यूपी में गंगा नदी के तट पर बसे कन्नौज जिले की कन्नौज सदर विधानसभा सीट इत्र के लिए प्रसिद्ध है. कन्नौज सदर विधानसभा सीट सुरक्षित सीट है और इस विधानसभा सीट पर पिछले 20 साल से समाजवादी पार्टी (सपा) का वर्चस्व है. 21वीं सदी में अब तक चार विधानसभा चुनाव हुए हैं और चारो ही दफे सपा के उम्मीदवार ने यहां से विजय पाई है.
कन्नौज सदर विधानसभा सीट का अपना धार्मिक महत्व है. यहां 51 शक्तिपीठों में से एक बाबा गौरी शंकर का मंदिर है जिसमें सम्राट हर्षवर्धन के समय 1001 पुजारी बाबा गौरी शंकर की पूजा अर्चना के लिए नियुक्त किए गए थे. इसका वर्णन चीनी यात्री ह्वेनसांग और फाह्यान ने भी किया है. स्वास्थ्य, रोजगार और शिक्षा के लिहाज से ये क्षेत्र काफी पिछड़ा है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
कन्नौज सदर विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. चुनावी अतीत की बात करें तो कन्नौज सदर विधानसभा सीट से 1977 में जनता पार्टी के बिहारी लाल, 1980 में कांग्रेस के रामबख्श, 1989 में जनता दल के कल्याण सिंह दोहरे, 1991 से 1996 तक इस भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बनवारी लाल दोहरे विधायक रहे.
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कन्नौज सदर सीट से 2002 के विधानसभा चुनाव में सपा ने जनता दल से विधायक रह चुके कल्याण सिंह दोहरे को चुनाव मैदान में उतारा. कल्याण सिंह दोहरे ने ये सीट सपा की झोली में डाल दी और तब से कन्नौज सदर सीट पर सपा का कब्जा है. 2007, 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा के ही टिकट पर अनिल दोहरे विधायक रहे.
2017 का जनादेश
कन्नौज सदर विधानसभा सीट से 2017 के चुनाव में भी सपा ने अनिल दोहरे पर ही भरोसा जताया. अनिल दोहरे को बीजेपी के टिकट पर पूर्व विधायक बनवारी लाल दोहरे ने कड़ी टक्कर दी लेकिन सपा उम्मीदवार चुनावी बाजी जीतने में सफल रहे. सपा के अनिल दोहरे नजदीकी मुकाबले में करीब ढाई हजार वोट के अंतर से जीतने में सफल रहे. बसपा के अनुराग सिंह तीसरे और भारतीय सुभाष सेना के कृपा राम चौधे स्थान पर रहे थे.
सामाजिक ताना-बाना
कन्नौज सदर विधानसभा सीट पर सवा चार लाख से अधिक मतदाता हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में हर जाति-वर्ग के लोग रहते हैं. यहां ब्राह्मण और अनुसूचित जाति के मतदाताओं की तादाद अधिक है. अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल जातियों के मतदाता भी चुनाव परिणाम निर्धारित करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
कन्नौज सदर विधानसभा सीट से विधायक अनिल दोहरे पेशे से अधिवक्ता हैं. 10 फरवरी 1964 को कन्नौज के अनौगी गांव में जन्मे अनिल के पिता का नाम बिहारी लाल दोहरे था. अनिल दोहरे एक मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं और अपने करीयर की शुरुआत एक वकील के तौर पर किया था. साल 2007 में अनिल ने सपा के टिकट पर पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए. साल 2017 में बीजेपी की लहर के बावजूद अनिल अपनी सीट बचाने में सफल रहे और इसके पीछे श्रेय वे अपने कार्यकाल में कराए गए विकास कार्यों को देते हैं.