उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज रहते बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने साल 2008 में नए जिले बनाए थे. साल 2008 में ही एटा जिले से अलग होकर कासगंज जिला अस्तित्व में आया था. कासगंज जिले में तीन विधानसभा क्षेत्र हैं. कासगंज जिले की इन्हीं तीन सीटों में से एक सीट है कासगंज विधानसभा सीट. कासगंज विधानसभा सीट में पिछले परिसीमन के दौरान सोरो विधानसभा क्षेत्र के कुछ इलाके भी मिला दिए गए थे.
परिसीमन के बाद सोरो विधानसभा सीट अतीत बन गई थी और अमांपुर नाम से नई विधानसभा सीट अस्तित्व में आई थी. कासगंज विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), हर प्रमुख सियासी दल के उम्मीदवार को जनता ने विधानसभा में अपना प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
कासगंज विधानसभा सीट पर आजादी के बाद पहले चुनाव में कांग्रेस के कालीचरण अग्रवाल को जीत मिली थी. आजादी के बाद शुरुआती दौर में कांग्रेस का गढ़ रही कासगंज विधानसभा सीट धीरे-धीरे जनसंघ और बीजेपी के गढ़ में तब्दील हो गई. बीजेपी के नेतराम सिंह वर्मा इस सीट से छह बार विधायक रहे. पूर्व मंत्री मानपाल सिंह भी कांग्रेस और सपा के टिकट पर विधानसभा में कासगंज विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. साल 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर मानपाल सिंह ने बसपा के हसरत उल्ला शेरवानी को 10179 वोट से हराकर जीत दर्ज की थी.
2017 का जनादेश
कासगंज विधानसभा सीट से साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने देवेंद्र सिंह राजपूत को चुनावी रणभूमि में उतारा. देवेंद्र सिंह राजपूत के खिलाफ सपा ने बसपा छोड़कर पार्टी में आए हसरत उल्ला शेरवानी को टिकट दिया. बीजेपी के देवेंद्र राजपूत ने सपा के हसरत उल्ला शेरवानी को 52 हजार से अधिक वोट के अंतर से शिकस्त दी. देवेंद्र को 1 लाख 1 हजार 908 वोट मिले थे.
सामाजिक ताना-बाना
कासगंज विधानसभा सीट में शहरी इलाकों के वोटर्स की तादाद ज्यादा है. कासगंज विधानसभा क्षेत्र में लगभग हर जाति-धर्म के लोग रहते हैं. कासगंज विधानसभा सीट को लोधी बाहुल्य सीट माना जाता है. इस विधानसभा क्षेत्र में यादव मतदाताओं की बहुलता है. वैश्य मतदाता भी विधानसभा चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
कासगंज विधानसभा सीट से विधायक देवेंद्र सिंह राजपूत अपने कार्यकाल में विकास कार्यों का दावा कर रहे हैं, वहीं विपक्षी इसे कोरा दावा करार दे रहे हैं. सपा को यहां से हसन उल्ला शेरवानी को न्यायालय से सजा सुनाए जाने के बाद सपा को नए चेहरे की तलाश है. लोधी नेता देव प्रकाश, पूर्व ब्लॉक प्रमुख अविनाश सिंह और पूर्व राज्यमंत्री मानपाल सिंह टिकट के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं.