उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जनपद का खुर्जा नगर मुगल काल से जुड़ा है. हुमायूं की सेना के सेनापति की पत्नी की दिल्ली से आगरा जाते के दौरान तबीयत खराब हो जाने और निधन होने पर उनके शव को यहीं सुपुर्द-ए-खाक किया गया था. इसके अलावा खुर्जा का कनेक्शन तैमूर वंश से भी है. तैमूर की सेना के कुछ मिट्टी के शिल्पकार यहां रह गए और क्षेत्र में पॉटरी कारोबार बढ़ता चला गया. खुर्जा तभी से पॉटरी के कारोबार में अग्रणी रहा है.
खुर्जा का पॉटरी कारोबार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान रखता है. देश में भी पॉटरी की डिमांड बढ़ी है. इसीलिए उत्तर प्रदेश सरकार ने इसको वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट में भी शामिल किया है. खुर्जा तहसील मुख्यालय के साथ-साथ खुर्जा जंक्शन भी है. खुर्जा नगर रेल मार्ग द्वारा जुड़े होने के कारण दिल्ली, नोएडा, अलीगढ़ मथुरा, आगरा और अन्य स्थान पर यहां से आसानी से आया जाया जा सकता है. रोजगार के साधन खुर्जा के आसपास कंपनियों में तो हैं ही साथ ही आसपास के नगरों में भी है. पॉलिटेक्निक इंस्टीट्यूट के साथ ही अन्य शिक्षण संस्थान भी हैं और ये जेवर एयरपोर्ट से भी नजदीक है. रोजगार और औद्योगिक गतिविधियों के साथ साथ खेती भी यहां के लोगों के रोजगार के मुख्य साधनों में शामिल है. खुर्जा तहसील और विधनसभा क्षेत्र की सीमा एक तरफ अलीगढ़ से सटी है तो दूसरी तरफ गौतमबुद्धनगर.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
बुलंदशहर की खुर्जा विधानसभा सीट के लिए 17 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. 17 चुनाव के बाद भी यहां किसी एक पार्टी का वर्चस्व नहीं रहा है. 17 में से सात चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार जीते हैं तो भारतीय जनता पार्टी और जनता पार्टी ने भी छह दफे ये सीट जीती है. दो बार बसपा और जनता दल ने इस सीट पर बाजी मारी है. समाजवादी पार्टी (सपा) को अब तक इस सीट पर पहली जीत का इंतजार है.
चुनावी अतीत की बात करें तो साल 1952 के पहले चुनाव में कांग्रेस के किशन स्वरूप भटनागर, 1957 में प्रांतीय सोशलिस्ट पार्टी के छत्तर सिंह, 1962 में कांग्रेस के महावीर सिंह और 1967 में कांग्रेस के बनारसी दास विजयी रहे थे. साल 1969 में जनसंघ के रघुराज सिंह, 1974 में कांग्रेस के ईश्वरी सिंह, 1977 में जनता पार्टी के बनारसी दास, 1980 और 1985 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर बुध पाल सिंह लगातार दो बार विधायक रहे थे.
साल 1989 में जनता दल के रविंद्र राघव जीते तो वहीं साल 1991, 1993 और 1996 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के हरपाल सिंह विजयी रहे. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर दो दफे अनिल शर्मा विजयी रहे तो वहीं 2012 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर बंसी पहाड़िया चुनाव जीते.
2017 का जनादेश
खुर्जा विधानसभा सीट से 2017 में बीजेपी के उम्मीदवार ने विजय पताका फहराया. बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे विजेंद्र सिंह खटीक ने बसपा के अर्जुन सिंह को हराया था. कांग्रेस उम्मीदवार बंसी सिंह तीसरे नंबर पर रहे थे. विजेंद्र सिंह खटीक विधानसभा सदस्य के लिए निर्वाचित होने से पहले ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य, जिला पंचायत सदस्य, ब्लॉक प्रमुख के चुनाव भी लड़ चुके थे और जीते भी थे.
सामाजिक ताना-बाना
खुर्जा विधानसभा सीट के सामाजिक ताना-बाना की बात करें तो यहां हर जाति-समुदाय के मतदाता हैं. जातिगत समीकरण की बात करें तो खुर्जा को ठाकुर बाहुल्य सीट माना जाता है. ठाकुर मतदाता इस सीट पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं. इसके अलावा दलित मतदाता भी यहां निर्णायक स्थिति में हैं. मुस्लिम, जाट, ब्राह्मण, वैश्य मतदाता भी प्रभावशाली स्थिति में हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
खुर्जा विधानसभा सीट से विधायक 47 साल के विजेंद्र सिंह इंटर पास हैं. वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी से शुरू से जुड़े रहे हैं. खुर्जा विधानसभा क्षेत्र के उस्मापुर गांव के मूल निवासी विजेंद्र सिंह के दो पुत्र हैं. एक एमबीबीएस डॉक्टर है तो दूसरा बीएएमएस डॉक्टर. विधायक ने अपने कार्यकाल में खुर्जा नगर पालिका की सीमा का विस्तार कराया. 32 कॉलोनियों को नियमित कराकर 40 हजार की आबादी तक सुविधाएं पहुंचवाईं.