उत्तर प्रदेश के प्रयागराज और कौशांबी की सीमा से सटे प्रतापगढ़ जिले में एक विधानसभा सीट ऐसी है जहां किसी दल की दाल नहीं गलती. यहां न कमल खिला और ना ही साइकिल चली. यहां एक शख्स की तूती बोलती है, उसी का राज चलता है. बात हो रही है जनसत्ता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का गढ़ मानी जाने वाली कुंडा विधानसभा सीट की.
कुंडा विधानसभा सीट से राजा भैया ने साल 1993 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा था. 1993 से अब तक राजा भैया सात बार कुंडा विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं.समाजवादी पार्टी (सपा), भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) या कांग्रेस, कोई भी दल राजा भैया के अभेद्य किले कुंडा में सेंध नहीं लगा सका. राजा भैया कुंडा के राज परिवार से आते हैं.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
कुंडा विधानसभा सीट भी आजादी के बाद शुरुआती साल में कांग्रेस का गढ़ रही. साल 1962 से लेकर 1989 तक कांग्रेस के नियाज हसन कुंडा सीट से विधायक हुआ करते थे. निजाय हसन कुंडा विधानसभा सीट से लगातार पांच बार विधायक रहे. राजा भैया ने साल 1993 में बीजेपी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था और विजयी रहे थे. साल 1996 के विधानसभा चुनाव में भी राजा भैया बीजेपी समर्थित उम्मीदवार के रूप में जीते तो साल 2002, 2007 और 2012 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के समर्थन से जीते.
2017 का जनादेश
कुंडा विधानसभा सीट से साल 2017 के चुनाव में राजा भैया लगातार सातवीं बार विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए. बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे राजा भैया ने 2017 के चुनाव में अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बीजेपी प्रत्याशी जानकी शरण पांडेय को एक लाख से अधिक वोट के बड़े अंतर से हरा दिया. राजा भैया को 1 लाख 36 हजार 223 वोट मिले थे जबकि जानकी शरण पांडेय 32870 वोट ही पा सके. बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार परवेज अख्तर 17176 वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे.
सामाजिक ताना-बाना
कुंडा विधानसभा क्षेत्र में हर जाति-वर्ग की अच्छी आबादी है. कुंडा विधानसभा क्षेत्र में समरसता रहती है. राजा भैया के पक्ष में हर जाति-वर्ग के लोग वोट करते हैं. मोहर्रम के दिन राजा उदय प्रताप सिंह हनुमान मंदिर पर भंडारे का आयोजन करते थे.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
कुंडा विधायक राजा भैया की भदरी कोठी पर जन सुनवाई होती है और उनका फैसला आखिरी फैसला माना जाता है. वे हर साल अपने खर्च पर हजारों की संख्या में युवतियों का सामूहिक विवाह कराते हैं. राजा भैया के विधायक रहते इलाके में विकास के काफी काम हुए हैं. राजा भैया कल्याण सिंह, मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव की सरकार में मंत्री भी रहे हैं. राजा भैया को मायावती की सरकार के समय पोटा कानून के तहत जेल भी जाना पड़ा था. अखिलेश सरकार में मंत्री रहे राजा भैया को डिप्टी एसपी जिया उल हक समेत तीन लोगों की हत्या के मामले में नाम आने के बाद पद से इस्तीफा देना पड़ा था. इस मामले में सीबीआई राजा भैया को क्लीन चिट दे चुकी है.