किसान आंदोलन के चलते पश्चिम उत्तर प्रदेश पहले से ही बीजेपी के लिए चुनौती बना हुआ था. वहीं, अब लखीमपुर खीरी हादसे में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत से सूबे की सियासत गर्मा गई है. सियासी बवाल के बीच प्रियंका गांधी से लेकर तमाम विपक्षी दलों के नेताओं ने आक्रमक रुख अपना लिया है और किसान नेता आंदोलन को आगे धारदार बनाने की रणनीति में जुट गए हैं. ऐसे में चार महीने के बाद यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव में लखीमपुर-खीरी की घटना कहीं बीजेपी का सियासी गणित ना बिगाड़ दे?
प्रियंका गांधी को हिरासत में लिया गया
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी किसानों से मिलने के लिए रविवार की रात लखीमपुर खीरी रवाना हो गई थीं. सूबे की पुलिस ने प्रियंका गांधी को लखनऊ में घर के बाहर रोकने की कोशिश की, लेकिन वो गाड़ी से उतरकर पैदल ही चल दीं. प्रियंका गांधी रुट बदलकर पुलिस की नजरों से बचते हुए लखीमपुर खीरी के लिए निकल गई थी, लेकिन सीतापुर के हरगांव बॉर्डर पर हिरासत में ले लिया गया. बीएसपी नेता सतीश चंद्र मिश्रा को लखनऊ में हाउस अरेस्ट कर लिया गया जबकि किसान नेता राकेश टिकैत के काफिले को भी रोका गया, लेकिन वह आगे जाने में कामयाब रहे.
अखिलेश-जयंत ने बीजेपी के खिलाफ खोला मोर्चा
वहीं, दलित नेता व भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद का काफिला भी पुलिस ने खैराबाद के पास रोक दिया, जिसके बाद उन्हें सीतापुर पुलिस लाइन में नजरबंद कर दिया गया. आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह को भी सीतापुर में हिरासत में ले लिया गया. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी समेत अन्य विपक्षी नेता सोमवार को लखीमपुर के लिए रवाना होंगे. ममता बनर्जी ने भी अपना प्रतिनिध मंडल लखीमपुर खीरी भेजने का ऐलान किया है.
लखीमपुर खीरी की घटना को लेकर प्रियंका गाधी ने कहा कि लखीमपुर खीरी में जो हुआ वह दिखाता है की बीजेपी सरकार किसानों को कुचलने की राजनीति कर रही है. किसानों को खत्म करने की राजनीति कर रही है. यह देश किसानों का देश है, बीजेपी की विचारधारा की जागीर नहीं है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से इस देश में किसानों को कुचला जा रहा है, उसके लिए शब्द ही नहीं है. कई महीने से किसान अपनी आवाज उठा रहा है कि उसके साथ गलत हो रहा है, लेकिन सरकार सुनने को राजी नहीं है.
केशव मौर्य के कार्यक्रम से पहले बवाल
बता दें कि यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के रविवार को लखीमपुर खीरी के दौरे से पहले हुई हिंसा में आठ लोगों की जान चली गई. लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में काले झंडे दिखाने के लिए खड़े किसानों की बीजेपी नेताओं से झड़प हो गई. आरोप है कि इसी दौरान प्रदर्शन कर रहे किसानों पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्र के बेटे ने किसानों पर गाड़ी चढ़ा दी, जिसमें चार किसानों की मौत हो गई. इसके बाद आक्रोशित किसानों ने गाड़ी नेताओं ने फूंक दी. किसान और बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़प हुई.
लखीमपुर की घटना यूपी में फैल सकती है
यूपी के वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस कहते हैं कि लखीमपुर खीरी की घटना में सीधे तौर पर बीजेपी नेता का नाम आ रहा है. ऐसे में विपक्षी दलों ने जिस तरह से इस घटना को लेकर रुख अपनाया है, उससे बीजेपी के माथे पर बल ला दिया है. चार महीने के बाद यूपी में विधानसभा चुनाव है, ऐसे में यह घटना निश्चित तौर पर बीजेपी के लिए चुनौती बढ़ा सकती है. कृषि आंदोलन के चलते पश्चिम यूपी में पहले ही किसान आंदोलित हैं और अब लखीमपुर खीरी की घटना के बाद यह आंदोलन पूरे तराई बेल्ट में फैल जाएगा.
वह कहते हैं कि लखीमपुर खीरी के घटना का मामला सीधे तौर सत्ताधारी बीजेपी से जुड़ा है, जिसके चलते मैसेज गया कि बीजेपी नेताओं ने किसानों को जानबूझकर अपनी गाड़ियों से रौंदा. बीजेपी सत्ता के नशे में चूर हैं और आम-आदमी को ये लोग कुछ समझते ही नहीं है. इससे किसानों का गुस्सा बढ़ेगा और अब आंदोलन पूरे सूबे में फैल सकता है. राकेश टिकैत ने यूपी के तमाम जगह रैली की थी, लेकिन पश्चिम यूपी की तरह माहौल नहीं खड़ा कर सके थे, लेकिन इस घटना के चलते जो माहौल बन रहा है, उसे बीजेपी को कैसे निपटती है.
चुनाव से पहले बीजेपी के लिए बढ़ाएगी चिंता
वरिष्ठ पत्रकार हरवीर सिंह कहते हैं कि कृषि कानून के खिलाफ चल रहे दस महीने के आंदोलन में पहली बार ऐसी घटना हुई, जिसमें लोगों की जानें गई हैं. ऐसे में पहले से नाराज किसानों को बीजेपी के खिलाफ गुस्से को बढ़ा सकता है. चुनाव से ठीक पहले इस तरह की घटनाओं से कोई भी सत्ता में रहते हुए बचना चाहती है, लेकिन सत्ताधारी पार्टी का सीधे तौर पर नाम आ रहा है.
वह कहते हैं कि कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा किसान आंदोलन अब पश्चिम यूपी के साथ पूरे सूबे को अपनी जद में ले सकता है. लखीमपुर खीरी का इलाका तराई का बेल्ट है, जहां गन्ना की सबसे ज्यादा पैदावार होती है. लखीमपुर खीरी में 13 सुगर मील है और यहां के किसान गन्ना मूल्य बढ़ाने को लेकर पहले से नाराज थे और अब यह घटना उनके गुस्से को बढ़ा सकती है, जो बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है. गन्ना किसान सूबे की चुनावी राजनीति को भी काफी प्रभावित करता है और किसान संगठन और विपक्ष जिस तरह से लखीमपुर खीरी की घटना को लेकर रुख अपनाया है. उससे निश्चित तौर पर बीजेपी के खिलाफ माहौल खड़ा हो सकता है.
किसानों के निशाने पर क्यों केंद्रीय मंत्री?
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी लखीमपुर के सांसद हैं. मोदी कैबिनेट में अभी हाल में एंट्री मिली हैं. अजय मिश्र टेनी ने कुछ दिनों पहले मंच से किसानों को लेकर धमकी भरा विवादित बयान दिया था, जिसके बाद से पूरे इलाके में विरोध हो रहा है. सोशल मीडिया में वायरल हो रहे वीडियों में मंत्री अजय मिश्रा कहते हैं कि जो किसान प्रदर्शन कर रहे हैं, अगर मैं पहुंच गया होता तो भागने का रास्ता नहीं मिलेगा. लोग जानते हैं कि मैं विधायक, सांसद बनने से पहले मैं क्या था, जिस चुनौती को स्वीकार कर लेता हूं, उसे पूरा करके ही दम लेता हूं. सुधर जाओ...नहीं तो 2 मिनट का वक्त लगेगा, लखीमपुर खीरी से भागने का मौका नहीं मिलेगा. अजय मिश्र के इस बयान के बाद से ही किसान नाराज थे.
बीजेपी के लिए चुनौती बन सकता है?
किसान आंदोलन के चलते पश्चिम यूपी में बीजेपी का समीकरण पहले से ही गड़बड़ाया हुआ है. जाट नाराज हैं, जिन्हें साधने के लिए योगी सरकार तमाम जतन कर रही है और किसान आंदोलन का काट ढूंढने में जुटे हैं. ऐसे में चुनाव से ठीक पहले लखीमपुर खीरी में मचे बहाल ने चिंता बढ़ा दी है. योगी सरकार ने पश्चिम यूपी डैमेज कन्ट्रोल के लिए हरसंभव कोशिश कर रही थी, क्योंकि 2017 में बीजेपी की सत्ता में आने में पश्चिम यूपी और किसानों की अहम भूमिका रही है. इस तरह बीजेपी वेस्ट्रन यूपी से लेकर तराई के पूरे बेल्ट में विपक्ष का सफाया कर दिया था. मुस्लिम बहुल इलाके में भी बीजेपी कमल खिलाने में कामयाब रही थी.
हालांकि, इस बार किसान आंदोलन के चलते बीजेपी का समीकरण गड़बड़ाया हुआ है. पश्चिम यूपी में जाट मुस्लिम एक साथ खड़े नजर आ रहे हैं तो अब लखीमपुर खीरी की घटना से तराई में सिख समुदाय भी योगी सरकार के खिलाफ नाराजगी बढ़ सकती है. किसान आंदोलन अब पूरे यूपी में फैल सकता, लेकिन अब देखनेवाली बात होगी कि योगी सरकार और बीजेपी लखीमपुर खीरी हादसे का डैमेज कंट्रोल कैसे करती है?