उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत की घटना को लेकर घिरी योगी सरकार विपक्ष के साथ-साथ अपनों के निशाने पर भी हैं. पीलीभीत से बीजेपी सांसद वरुण गांधी लखीमपुर खीरी हिंसा को लेकर अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़े कर दिया है. ऐसा पहली बार नहीं है जब वरुण गांधी ने अपनी पार्टी लाइन से हटकर अपनी बात रखी है बल्कि बागी तेवर अख्तियार अपनाते हुए योगी सरकार पर एक के बाद एक चिट्ठियों से वार कर रहे हैं.
वरुण गांधी ने पहली बार सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र नहीं लिखा. इससे पहले उन्होंने गन्ने के दाम बढ़ाने के लिए सीएम योगी से अपील की थी जबकि एक दिन पहले ही योगी सरकार ने गन्ना का रेट बढ़ाकर 350 रुपये प्रति क्विंटल करने का फैसला किया था. इससे पहले मुजफ्फरनगर में हुई महापंचायत को लेकर वरुण ने किसानों का समर्थन किया और अपनी ही सरकार को असहज कर दिया था.
लखीमपुर खीरी की घटना को लेकर वरुण आक्रामक
वरुण गांधी इन दिनों सूबे में अपनी ही बीजेपी सरकार पर सवाल उठाते नजर आ रहे हैं. लखीमपुर खीरी मामले से जुड़ा एक वीडियो मंगलवार को ट्वीट करते हुए वरुण गांधी ने कहा कि 'लखीमपुर खीरी में किसानों को गाड़ियों से जानबूझकर कुचलने का यह वीडियो किसी की भी आत्मा को झकझोर देगा. पुलिस इस वीडियो का संज्ञान लेकर इन गाड़ियों के मालिकों, इनमें बैठे लोगों, और इस प्रकरण में संलिप्त अन्य व्यक्तियों को चिन्हित कर तत्काल गिरफ्तार करे.'
बता दें कि लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है. इस घटना में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा सहित 14 लोगों पर केस दर्ज हुआ है. ऐसे में वरुण गांधी ने सीधे तौर पर केंद्रीय मंत्री के बेटे की गिरफ्तारी की मांग उठाकर अपनी ही पार्टी को निशाने पर ले लिया है. वरुण गांधी ने ट्वीटर पर जो वीडियो शेयर किया है, जिसमें देखा जा सकता है कि किसानों के एक प्रदर्शन के दौरान एक बड़ी गाड़ी को पीछे से आकर उनको रौंदते हुए निकल जाती है.
लखीमपुर की घटना की सीबीआई जांच कराने की मांग
वरुण गांधी लखीमपुर मामले के आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग उठाने से पहले इस घटना की सीबीआई जांच कराने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र भी लिख चुके हैं. सीएम योगी को लिखे पत्र में वरुण गांधी ने कहा कि किसानों को कुचलने की घटना में शामिल लोगों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने कहा कि तीन अक्टूबर को विरोध-प्रदर्शन के किसानों को निर्दयतापूर्वक कुचलने की जो हृदय विदारक घटना हुई, उससे देश के नागरिकों में पीड़ा और रोष है.'
उन्होंने कहा कि एक दिन पहले ही गांधी जयंती मनाई गई और उसके बाद हमारे अन्नदाताओं की हत्या की गई, यह किसी भी सभ्य समाज में अक्षम्य है. आंदोलनकारी किसान अपने नागरिक हैं. अगर किसान कुछ मुद्दों को लेकर पीड़ित हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं तो हमें उनके साथ बड़े संयम और धैर्य के साथ बर्ताव करना चाहिए. वरुण गांधी ने सीएम से मामले के सभी संदिग्धों की पहचान कर 302 के तहत मुकदमा दायर कर सख्त सजा सुनिश्चित करने की मांग की थी.
गन्ना किसानों के दाम बढ़ाने की उठाई मांग
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के आने के बाद गन्ना किसान दाम बढ़ाने की मांग कर रहे थे. ऐसे में वरुण ने 12 सितंबर को किसानों की समस्याओं को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर गन्ने का रेट बढ़ाने की मांग सरकार से की थी. किसानों की मांग सुनने की अपील की थी. गन्ना के दाम बढ़ाने, बकाया भुगतान, धान की खरीदारी समेत 7 मुद्दों को उठाया था. वहीं, योगी सरकार ने 26 सितंबर को गन्ने का रेट बढ़ाकर 350 रुपये क्विंटल कर तो फिर वरुण गांधी ने फिर सीएम को चिट्ठी लिखकर गन्ने की कीमत 400 रुपये प्रति क्विंटल तक करने की मांग रख दी. वरुण गांधी ने कहा था कि महंगाई बढ़ गई गई है, जिससे किसानों की लागत भी ज्यादा आ रही है. ऐसे में गन्ना का दाम बढ़ाए जाएं.
किसानों के समर्थन में खड़े दिखे वरुण गांधी
कृषि कानून के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के भले ही बीजेपी नेता मुखालफत कर रहे हैं, लेकिन वरुण गांधी शुरू से समर्थन में खड़े नजर आ रहे हैं. कृषि कानूनों को लेकर 5 सितंबर को मुजफ्फरनगर में किसानों की महापंचायत हुई, जिसमें किसान नेताओं ने वोट से बीजेपी को चोट देने का ऐलान किया. वरुण गांधी ने इसी महापंचायत का वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा था कि मुजफ्फरनगर में लाखों किसानों जमा हुए हैं. ये हमारे अपने लोग हैं, हमें उनसे सम्मानजनक तरीके से दोबारा बातचीत शुरू करने की जरूरत है. उनका दर्द समझने की जरूरत है और आम सहमति बनाने के लिए बात करने की जरूरत है.
वरुण गांधी क्यों बीजेपी से नाराज हैं
ऐसा पहली बार नहीं है कि वरुण गांधी के बीजेपी से नाराज माने जा रहे हैं. इससे पहले भी वो कई बार बागी तेवर अपना चुके हैं. 2017 के चुनाव से ठीक पहले भी वरुण गांधी के नाराज होनी की खबरें आई थी, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर जीतकर तीसरी बार संसद पहुंचे. वरुण गांधी पिछले 12 सालों और 2009 से लगातार तीसरी बार सांसद हैं, लेकिन मोदी सरकार के 7 साल के कार्यकाल में बीजेपी ने उन्हें ना ही मंत्री पद दिया ना ही पार्टी में कोई और अहम जिम्मेदारी सौंपी.
किसानों पर टिकी है वरुण की सियासत
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में वरुण गांधी की मां मेनका गांधी को भी कैबिनेट में जगह नहीं मिल सकी. ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी में लगातार साइडलाइन होते जा रहे वरुण गांधी अपनी ही पार्टी और सरकार से नाराज हैं. हाल ही में कैबिनेट विस्तार में भी वरुण गांधी को जगह नहीं मिल सकी है. इतना ही नहीं वरुण गांधी जिस पीलीभीत इलाके से जीतकर आते हैं, वो तराई का क्षेत्र है और किसान वोटर काफी अहम और निर्णायक भूमिका में है. खासकर सिख वोटर जो उनकी जीत में अहम भूमिका अदा करता है.
वरुण गांधी की मां मेनका गांधी भी मूलरूप से पंजाबी हैं. पीलीभीत के सियासी समीकरण को देखते हुए अस्सी के दशक में मेनका गांधी ने अपनी सियासी कर्मभूमि बनाया था. सिख समुदाय वरुण और मेनका का कोर वोटबैंक माना जाता. वहां के किसानों का दबाव भी उन पर है. वरुण गांधी ने 2018 में किसानों की पृष्ठभूमि पर किताब 'रूरल मेनिफेस्टो' लिखी थी. इस किताब के जरिए वरुण ने हाशिये पर किसानों के संघर्ष के मुद्दे उठाए थे. वहीं, मौजूदा समय में किसान अपनी मांगों के लेकर आंदोलित है तो वरुण गांधी उनके पक्ष में मजबूती के साथ खड़े रहना चाहते हैं. इसके लिए वो अपनी सरकार और पार्टी से भी बागी रुख अपना रखा है.