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UP Election: लखनऊ में फिर खिलेगा कमल या दौड़ेगी साइकिल? जानिए सभी 9 सीटों का समीकरण

हर सीट का अपना जातीय समीकरण है. कहीं पर मुस्लिम मतदाता के सहारे चुनावी नैया पार करने की कोशिश की जाती रही हैं तो कहीं दलित वोट बैंक तो किसी सीट पर ब्राह्मण-ठाकुर वोट बैंक के सहारे चुनाव जीतने का सिलसिला जारी रहा है. 

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UP Election 2022
UP Election 2022
स्टोरी हाइलाइट्स
  • हर सीट का अपना जातीय समीकरण है
  • लखनऊ में 23 फरवरी को होना है मतदान

दिल्ली का रास्ता यूपी से जाता है और UP का किला जिसको फतेह करना है उसके लिए लखनऊ की किलेबंदी को भी फतह करना होगा. उत्तर प्रदेश में हो रहे चुनाव के बीच राजधानी लखनऊ की 9 विधानसभा सीटों पर क्या है जातीय समीकरण, किस पार्टी ने किस वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए उतारे हैं प्रत्याशी, इस रिपोर्ट को पढ़िए...

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लखनऊ में 9 विधानसभा सीटें, पूर्वी, उत्तरी, मध्य, पश्चिम, सरोजिनी नगर, कैंट, मोहनलालगंज, मलिहाबाद, बख्शी तालाब है. हर सीट का अपना जातीय समीकरण है. कहीं पर मुस्लिम मतदाता के सहारे चुनावी नैया पार करने की कोशिश की जाती रही हैं तो कहीं दलित वोट बैंक तो किसी सीट पर ब्राह्मण-ठाकुर वोट बैंक के सहारे चुनाव जीतने का सिलसिला जारी रहा है. 

लखनऊ पूर्वी सीट

लखनऊ पूर्वी सीट बीजेपी की परंपरागत सीट रही है. 1991 से लेकर 2017 तक पूर्व विधानसभा पर बीजेपी का ही कब्जा रहा है. 1991 में भगवती शुक्ला से बीजेपी ने इस सीट पर कब्जा किया और वर्तमान में प्रदेश सरकार के कैबिनेट मिनिस्टर आशुतोष टंडन इसी सीट से विधायक हैं. वोट बैंक की बात करें तो 4,51,408 वोटरो वाली इस सीट पर 65000 ब्राह्मण, 70 हजार क्षत्रिय, 75 हजार दलित, 42000 मुस्लिम, 25000 यादव और 35000 श्रीवास्तव वोटर हैं. 

2017 के विधानसभा चुनाव में आशुतोष टंडन ने सपा प्रत्याशी रहे अनुराग भदौरिया को 79, 230 वोटों से हराया था. 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों की बात करें तो बीजेपी ने इस पर अपने निवर्तमान विधायक और मंत्री आशुतोष टंडन को ही मैदान में उतारा है. समाजवादी पार्टी से अनुराग भदौरिया मैदान में है. कांग्रेस से छात्र नेता रहे मनोज तिवारी चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं बीएसपी ने आशीष सिन्हा को टिकट दिया है.

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लखनऊ पश्चिमी सीट

मुस्लिम बाहुल्य सीट पर 4,33,668 वोटरों में 1,10,000 के लगभग मुस्लिम मतदाता है. दूसरे नंबर पर 50,000 ब्राह्मण वोटर हैं और 30 से 40,000 श्रीवास्तव वोटर हैं. इस सीट पर भी बीजेपी का ही कब्जा रहा है. बीजेपी के दिग्गज नेता रहे लालजी टंडन की परंपरागत सीट रही है. 2007 में लालजी टंडन यहां से विधायक रहे. 2012 में समाजवादी पार्टी ने मोहम्मद रेहान ने इस सीट पर जीत हासिल की थी,  लेकिन 2017 में दोबारा बीजेपी से सुरेश श्रीवास्तव ने इस सीट पर बीजेपी को जीत दिलाई. 2022 चुनाव में बीजेपी ने अपने पुराने कार्यकर्ता व सभासद रहे अंजनी श्रीवास्तव को मैदान में उतारा है. सपा से अरमान खान मैदान में हैं, बीएसपी से कायम रज़ा चुनाव लड़ रहे हैं.

लखनऊ मध्य सीट

यह पुराने लखनऊ वाली सीट है. लखनऊ मध्य भी मुस्लिम बाहुल्य सीट मानी जाती है. तीन लाख 68 हजार के करीब वोटरों वाली सीट पर 85 से 90,000 मुस्लिम मतदाता है. 80,000 वैश्य व अन्य मतदाता हैं. 45 से 50 हजार ब्राह्मण वोटर हैं. 45000 श्रीवास्तव वोटर हैं. 35 से 40,000 सोनकर और धानुक वोटर हैं. 2017 के चुनाव में इस सीट पर कैबिनेट मंत्री बृजेश पाठक ने जीत दर्ज की थी. बीजेपी इस सीट पर 7 बार जीत दर्ज कर चुकी है. दो बार कांग्रेस का भी कब्जा रहा है. 2012 के चुनाव में समाजवादी पार्टी से रविदास मेहरोत्रा भी जीत दर्ज कर चुके हैं. वर्तमान में बीजेपी ने इस सीट पर अहियागंज से सभासद रजनीश गुप्ता को मैदान में उतारा है. समाजवादी पार्टी ने रविदास मेहरोत्रा पर दांव लगाया है. बीएसपी ने आशीष श्रीवास्तव तो कांग्रेस से सदफ जफर मैदान में है.

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सरोजिनी नगर सीट

साल 2017 के चुनाव में जिस महिला अस्मिता के नाम पर बीजेपी ने लखनऊ की सरोजनीनगर नगर सीट को एनर्जी सेंटर बनाकर उत्तर प्रदेश में महिला सशक्तिकरण का सबसे बड़ा चेहरा बनाकर स्वाति सिंह को मैदान में उतारा था वह सरोजिनी नगर से एक बार फिर बीजेपी के लिए साख का सवाल है. मैदान में भले ही बीजेपी ने स्वाति सिंह की जगह  ईडी के ज्वाइंट डायरेक्टर राजेश्वर सिंह पूरे जोश से चुनाव लड़ रहे हैं. सरोजनी नगर के जातीय समीकरण की बात करें तो सरोजिनी नगर सीट पर सबसे ज्यादा ब्राह्मण वोटर 1 लाख 10 हजार हैं. दूसरे नंबर पर 1 लाख के लगभग जाटव वोटर हैं. करीब 70 हजार क्षत्रिय वोटर और 70 हजार ही यादव वोटर हैं. मुस्लिम वोटरों की संख्या 40 हजार के आसपास है. वहीं राजपूत वोट बैंक भी 40 हजार है.

अब अगर प्रत्याशियों की बात करें तो सपा से छत्रिय जाति से डॉक्टर राजेश्वर सिंह मैदान में है कांग्रेस से बबलू सिंह क्षेत्रीय वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए खड़े हैं. बसपा ने मुस्लिम और दलित वोट बैंक के सहारे जीत के लिए जलीस खान को मैदान में उतारा है तो वहीं सपा की तरफ से प्रोफेसर अभिषेक मिश्रा ताल ठोक रहे हैं. ब्राह्मण वोट बैंक को साधने के लिए बीजेपी ने सपा के तीन बार विधायक रहे शारदा प्रताप शुक्ला और छत्रिय वोट बैंक की सेंधमारी को रोकने के लिए शंकर सिंह को पार्टी में शामिल करा लिया है. सरोजिनी नगर सीट राजेश्वर सिंह और अभिषेक मिश्रा की दावेदारी की वजह से ब्राह्मण और ठाकुरों के वर्चस्व की लड़ाई बन गई है.

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 लखनऊ उत्तरी सीट

2008 के परिसीमन के बाद 2012 के चुनाव से अस्तित्व में आई लखनऊ उत्तरी सीट पर सपा से अभिषेक मिश्रा ने जीत दर्ज की थी. 2017 में बीजेपी से नीरज बोरा ने 27,278 के मार्जिन से जीत दर्ज की थी. महोना और पूर्वी सीटों के इलाकों से बनी इस उत्तरी सीट पर ब्राह्मण और मुस्लिम वोटरों का बोलबाला है. वोटरों की बात करें जो सीट पर 80,000 ब्राह्मण वोटर हैं. 70,000 मुस्लिम वोटर हैं. 40,000 यादव हैं और 40,000 कायस्थ वोटर है. 2022 के चुनाव में बीजेपी ने नीरज बोरा को टिकट दिया है तो समाजवादी पार्टी ने लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र नेता रही पूजा शुक्ला को मैदान में उतारा है.

लखनऊ कैंट सीट

लखनऊ कैंट सीट बीजेपी के लिए सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती है. वजह है सर्वाधिक ब्राह्मण वोटरों की संख्या. पहाड़ के निवासी वोटरों की अधिक संख्या भी इस सीट पर निर्णायक भूमिका निभाती है. वोटरो की बात करें तो सीट पर 1,40,000 के लगभग ब्राह्मण वोटर हैं  40,000 मुस्लिम वोटर हैं, 50,000 सिंधी वोटर हैं, 25000 वैश्य वोटर है और 30 से 35 हजार दलित वोटर हैं. 2017 के चुनाव में इस सीट पर बीजेपी के पुराने नेता सुरेश तिवारी ने जीत दर्ज की थी. इस बार बीजेपी ने अपने कैबिनेट मिनिस्टर बृजेश पाठक की सीट बदलकर कैंट से प्रत्याशी बनाया है तो समाजवादी पार्टी ने अपने सभासद राजू गांधी को मैदान में उतारा है.

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बख्शी का तालाब सीट

2012 से पहले लखनऊ के ग्रामीण इलाके से बनी यह सीट महोना विधानसभा में आती थी परसीमन के बाद बख्शी तालाब विधानसभा सीट का गठन हुआ. दलित व पिछड़ी जाति के बाहुल्य इस सीट पर सपा से गोमती यादव ने जीत दर्ज की थी. वर्तमान में बीजेपी ने पुराने कार्यकर्ता योगेश शुक्ला को मैदान में उतारा है. सपा से गोमती यादव मैदान में हैं. कांग्रेस से ललन कुमार जीत की कोशिश में है तो वही बसपा ने सलाउद्दीन सिद्दीकी को मैदान में उतारा है. वोटरों की बात करें तो इसी पर 1,30,000 के लगभग अनुसूचित जाति जनजाति के वोटर हैं. 1 लाख 10,000 से अधिक पिछड़ा वर्ग का वोटर है. 70,000 क्षत्रिय वोटर हैं. 90,000 ब्राह्मण वोटर हैं 70,000 मुस्लिम वोटर हैं वहीं 50,000 के लगभग अन्य जातियां हैं.

मलिहाबाद (सुरक्षित सीट)

दलित बाहुल्य मलिहाबाद सीट पर बीजेपी ने सांसद कौशल किशोर की पत्नी जय देवी पर एक बार फिर भरोसा जताया है. बीजेपी से जय देवी मैदान में है, समाजवादी पार्टी ने सुरेंद्र कुमार को टिकट दिया है तो वही कांग्रेस ने सपा के बागी इंदल रावत को टिकट देकर रावत बाहुल्य सीट पर वोट बैंक का समीकरण बिगाड़ दिया है. बसपा से भी जगदीश रावत मैदान में है. मलिहाबाद सुरक्षित सीट के इतिहास की बात करें तो सीट पर 7 बार कांग्रेस और 4 बार समाजवादी पार्टी कब्जा कर चुकी है. बीजेपी पहली बार 2017 में मलिहाबाद से चुनाव जीती थी. वोट बैंक की बात करें तो मलिहाबाद सुरक्षित सीट पर पौने दो लाख दलित वोट बैंक हैं. 55 हजार के लगभग मुस्लिम मतदाता हैं. 40-40 हजार यादव और मौर्या वोट बैंक हैं, 20 हजार के लगभग ब्राह्मण वोटर हैं, 25000 क्षत्रिय  वोटर हैं और 15000 वैश्य वोटर हैं.

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मोहनलालगंज (सुरक्षित सीट)

लखनऊ के मोहनलालगंज सीट ऐतिहासिक सीट है.  देश के पहले विधानसभा चुनाव के साथ यह सीट अस्तित्व में है. मोहनलालगंज सुरक्षित समाजवादी पार्टी की परंपरागत सीट मानी जाती रही है. 2017 की मोदी लहर में भी इसी पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अमरीश पुष्कर ने बेहद कम मार्जिन से जीत दर्ज की थी. अमरीश पुष्कर ने 530 वोटों से बसपा के प्रत्याशी रामबहादुर को हराया था. इस बार सपा ने अमरीश पुष्कर के बजाए अपनी पूर्व सांसद व मोहनलालगंज से विधायक रही सुशीला सरोज को मैदान में उतारा है. बीजेपी ने अमरीश कुमार को टिकट दिया है तो कांग्रेस से ममता चौधरी और बीएसपी से देवेंद्र कुमार मैदान में है. मोहनलालगंज सीट पर अगर वोटरों की संख्या की बात करें तो इस सीट पर सवा लाख से अधिक दलित वोटर है. 55 हजार के लगभग कुर्मी वोटर, 45 हजार से अधिक यादव वोटर, 20-20 हजार लोधी और कश्यप वोटर, 35000 से अधिक मुस्लिम वोटर, 20 हजार के लगभग ब्राह्मण वोटर और 15000 के लगभग क्षत्रिय वोटर हैं. 
 

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