यूपी की राजधानी लखनऊ की एक विधानसभा सीट है लखनऊ पश्चिमी विधानसभा सीट. ये विधानसभा सीट पुराने लखनऊ की विधानसभा सीट मानी जाती है. इसमें लखनऊ के कई प्रमुख इलाके आते हैं. पुराने लखनऊ के राजाजी पुरम, चौक, नक्खास आदि इलाके लखनऊ पश्चिमी विधानसभा सीट के तहत ही आते हैं.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
लखनऊ पश्चिमी विधानसभा सीट के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो ये पुरानी सीट है. इस विधानसभा सीट के लिए पहला चुनाव 1967 में हुआ था. लखनऊ पश्चिमी विधानसभा सीट से पहले विधायक जनसंघ के एस शर्मा निर्वाचित हुए. 1969 में जनता दल के डीपी बोरा, 1974 में कांग्रेस के शकील अहमद, 1980 में कांग्रेस से कन्हैयालाल महेंद्रू, 1985 में जफर अली नकवी विधायक निर्वाचित हुए.
लखनऊ पश्चिमी विधानसभा सीट से साल 1989 में पहली दफे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को जीत मिली. 1989, 1991 और 1993 में बीजेपी के राजकुमार शुक्ला विधायक रहे तो 1996, 2000 और 2007 में लगातार तीन दफे लालजी टंडन ने विधानसभा में इस सीट का प्रतिनिधित्व किया. साल 2009 में उपचुनाव में कांग्रेस के एसके शुक्ला ने बीजेपी का विजय रथ रोक दिया. 2012 के चुनाव में सपा के मोहम्मद रेहान ने बीजेपी के सुरेश श्रीवास्तव को 7812 वोट के अंतर से हरा दिया. 2007 में लालजी टंडन के खिलाफ बुक्कल नवाब और नीरज बोरा चुनाव लड़े थे. बुक्कल नवाब और नीरज बोरा, दोनों अब बीजेपी में हैं.
2017 का जनादेश
लखनऊ पश्चिमी विधानसभा सीट से साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सुरेश श्रीवास्तव को टिकट दिया. बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे सुरेश श्रीवास्तव ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी समाजवादी पार्टी (सपा) के मोहम्मद रेहान को 10 हजार वोट से अधिक के अंतर से हरा दिया था. सुरेश श्रीवास्तव के निधन के बाद से ये विधानसभा सीट रिक्त चल रही है.
सामाजिक ताना-बाना
लखनऊ पश्चिमी विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो इस विधानसभा क्षेत्र में हर जाति वर्ग के मतदाता रहते हैं. जातिगत समीकरणों की बात करें तो यहां ब्राह्मण और अल्पसंख्यकों के साथ ही यादव मतदाताओं के वोट ज्यादा हैं. इस विधानसभा क्षेत्र के पुराने लखनऊ में शिया और सुन्नी समुदाय के मतदाता भी अच्छी तादाद में हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में करीब साढ़े तीन लाख मतदाता हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
लखनऊ पश्चिमी विधानसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए सुरेश श्रीवास्तव के कार्यकाल के दौरान इलाके में विकास की गंगा बहाने का दावा पार्टी के लोग कर रहे हैं. सुरेश श्रीवास्तव के निधन के बाद ये सीट रिक्त चल रही है. विपक्षी दलों के नेता दावा कर रहे हैं कि इलाके में विकास कार्य ठप पड़े हुए हैं.