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Majhawan Assembly Seat: बसपा नहीं लगा पाई थी जीत का चौका, बीजेपी बचा पाएगी सीट?

मझवां विधानसभा सीट से लगातार तीन बार के विधायक रमेश बिंद को 2017 के चुनाव में बीजेपी की शुचिस्मिता मौर्या ने जीत का चौका लगाने से रोक दिया था.

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यूपी Assembly Election 2022 मझवां विधानसभा सीट
यूपी Assembly Election 2022 मझवां विधानसभा सीट
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मझवां से विधायक हैं बीजेपी की शुचिस्मिता मौर्या
  • शुचिस्मिता ने रोका था रमेश बिंद का विजय रथ

उत्तर प्रदेश के मीरजापुर जिले की एक विधानसभा सीट है मझवां विधानसभा सीट. मझवा विधानसभा क्षेत्र एक तरफ वाराणसी और दूसरी तरफ भदोही घिरी हुई है. गंगा नदी के तटवर्ती इलाके के गांव और मीरजापुर शहर से सटे गांव भी इसी विधानसभा सीट का हिस्सा हैं. मझवां विधानसभा सीट 1952 से 1969 तक अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी.

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मीरजापुर जिले की मझवां सीट 1974 के चुनाव से पहले सामान्य हुई. मझवां सीट के सामान्य होने के बाद यहां से कई दिग्गज चुनावी रणभूमि में उतरे और जीते भी. जो दिग्गज नेता मझवां विधानसभा सीट से निर्वाचित हो चुके हैं, उनमें लोकपति त्रिपाठी, रूद्र प्रसाद, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के भागवत पाल शामिल हैं.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

मझवां विधानसभा सीट 1974 में सामान्य हुई तब पहले चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में रूद्र प्रसाद ने जीत हासिल की थी. रुद्र प्रसाद इस सीट से दो बार विधायक रहे. इस सीट से पंडित लोकपति त्रिपाठी भी विधायक रहे. 1991 में बसपा के भागवत पाल ने भी इस सीट से दो बार चुनाव जीता. भागवत पाल तब बसपा के प्रदेश अध्यक्ष थे और उनकी गिनती पार्टी के बड़े नेताओं में होती थी.

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मझवां विधानसभा सीट से 1996 में बीजेपी के टिकट पर रामचंद्र मौर्या, 2002, 2007 और 2012 में बसपा के रमेश बिंद लगातार तीन बार यहां से विधायक रहे. साल 2012 में सपा की लहर में भी बसपा के रमेश बिंद इस सीट से सपा के राजेंद्र प्रसाद पांडेय को हराया था. 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार शुचिस्मिता मौर्या विजयी रहीं.

2017 का जनादेश

मझवां विधानसभा सीट से 2017 के चुनाव में बीजेपी ने शुचिस्मिता मौर्या को टिकट दिया. शुचिस्मिता ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बसपा के रमेश बिंद को 41 हजार वोट से अधिक के बड़े अंतर से हरा दिया था. सपा की लहर में रमेश बिंद ने मझवां सीट से जीत की हैट्रिक लगाई थी लेकिन 2017 में बीजेपी की शुचिस्मिता ने बसपा के रमेश बिंद को जीत का चौका लगाने से रोक दिया.

सामाजिक ताना-बाना

मझवां विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो यहां बिंद, ब्राह्मण और मौर्या बिरादरी के मतदाताओं की तादाद ज्यादा है. दलित बिरादरी के मतदाता भी मझवां सीट पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं. 

समस्याएं और मुद्दे

मझवां विधानसभा क्षेत्र हैंडलूम की साड़ी, कालीन और कृषि यंत्रों के निर्माण के लिए जाना जाता था. कछवां बाजार में कृषि यंत्रों के निर्माण से जुड़े करीब दो दर्जन कारखाने थे. जहां से कृषि यंत्रों का निर्माण कर दूसरे राज्यों, खासकर पंजाब और हरियाणा को भी भेजा जाता था लेकिन बिजली की समस्या और सरकारी उपेक्षा के कारण ये बंद होते चले गए. जो कारखाने चल भी रहे हैं, उनकी हालत ठीक नहीं है.

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विधायक का रिपोर्ट कार्ड

मझवां विधानसभा सीट से विधायक शुचिस्मिता मौर्या पहली बार विधायक हैं. शुचिस्मिता के श्वसुर रामचंद्र मौर्या 1996 में बीजेपी के टिकट पर इसी विधानसभा सीट से विधायक रहे थे. शुचिस्मिता मौर्या एमबीए हैं. शुचिस्मिता अपने विधानसभा क्षेत्र में एक्टिव रहती हैं. शुचिस्मिता पर क्षेत्र के लोगों से संपर्क में ना रहने के आरोप भी लगते रहे हैं.

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