उत्तर प्रदेश की सियासत में असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन ने 100 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने का ताल ठोक दी है, जिसके चलते सपा-बसपा से लेकर कांग्रेस तक बेचैन है. ऐसे में ममता बनर्जी के मुस्लिम मंत्री मौलाना सिद्दीक उल्लाह चौधरी का सोमवार को देवबंद दौरे पर आना और बीजेपी के साथ-साथ ओवैसी पर निशाना साधने के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. माना जा रहा है कि ओवैसी को यूपी की सियासत में बंगाल की तर्ज पर बेअसर करने का बड़ा दांव है.
पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार में मुस्लिम चेहरा माने जाने वाले मंत्री मौलाना सिद्दीक उल्लाह चौधरी दारूल उलूम देवबंद नायब मोहतमिम कारी उस्मान मंसूरपुरी व मौलाना अब्दुल खालिक संभली के निधन पर शोक व्यक्त करने के लिए पहुंचे थे. उन्होंने जिस तरह से असदुद्दीन ओवैसी पर निशाना साधा और मुसलमानों को बंगाल मॉडल पर बीजेपी को यूपी में भी चुनाव मात देने का संदेश दिया, उससे जाहिर होता है कि वो देवबंद ऐसे ही नहीं आए थे बल्कि सियासी मकसद भी है.
मुस्लिम एकजुट करने का दांव
मौलाना सिद्दीक उल्लाह चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अगुवाई में हिंदू और मुसलमानों ने एक साथ मिलकर बंगाल में बीजेपी का सफाया कर दिया था. बंगाल में 97 फीसदी मुसलमानों ने देश व संविधान को बचाने के लिए विधानसभा चुनाव में टीएमसी को को वोट दिया है. ऐसे ही अब यूपी की जनता को चाहिए की वो एकजुट होकर बीजेपी सरकार का पूरी तरह से सफाया करें. ममता के मंत्री के बयान से साफ जाहिर होता है कि बंगाल की तर्ज पर ही मुस्लिम यूपी में अपना वोटिंग पैटर्न रखे.
ओवैसी को बेअसर करने की रणनीति?
औवेसी पर निशाना साधते मौलाना ने कहा कि असदुद्दीन औवेसी हर राज्य के चुनाव में कूदकर मुस्लिम वोटों को बांटने का काम कर रहे हैं, जिससे बीजेपी जैसी ताकतें हावी हो रही है. उन्होंने कहा कि बंगाल की जनता ने पूरी तरह औवेसी को भी नकार दिया, क्योंकि उनके भडकाऊ बयानों से मुसलमानों को कोई फायदा नहीं होने वाला है. ममता के मंत्री के जिस तरह से ओवैसी को बीजेपी की बी-टीम करार दिया है और बंगाल चुनाव का हवाला दिया है. इसका साफ संकेत है कि मुसलमान यूपी में ओवैसी की सियासत को बेअसर करें.
उलेमा को राजनीति में आने का दिया न्योता
मंत्री सिद्दीक उल्लाह चौधरी ने उलेमाओं को सियासत में आने का न्योता दिया. उन्होंने कहा कि उलेमाओं को भी संविधान में अपने अधिकार हासिल करने के लिए देश की राजनीति में आना चाहिए. यूपी में बीजेपी को हराने के लिये सभी राजनैतिक दलों को एक साथ आने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि बंगाल की जनता ने टीएमसी को जिताकर सिग्नल दे दिया है कि मोदी व बीजेपी अपराजय नहीं है उन्हें हराया जा सकता है. ऐसे में अगर एकजुट होकर सैक्यूलर ताकतें एक मंच पर आ जाएं तो उत्तर प्रदेश और उसके बाद पूरे देश में बीजेपी को शिकस्त हो सकती है.
बता दें कि ममता के मुस्लिम मंत्री का दारुल उलूम देवबंद आना और मुस्लिम समुदाय को सियासी संदेश देने के पीछे साफ सियासी मकसद छिपा है. उन्होंने एक तीर से कई सियासी निशाने साधे हैं. एक तरह बंगाल की तर्ज पर यूपी में भी मुस्लिमों को एकजुट होकर वोट डालने की संदेश दिया तो दूसरी तरफ ओवैसी की सियासत को भी बंगाल की तरह यूपी में बेअसर करने का मंत्र दे गए.
मौलाना का देवबंद आने का सियासी मकसद
पश्चिम बंगाल में 30 फीसदी मुस्लिम आबादी है. इसी मुस्लिम मतों को सहारे असदुद्दीन ओवैसी अपने सियासी पैर जमाने के लिए वहां पर गए थे, लेकिन उनकी पार्टी पूरी तरह से मुसलमानों ने नकार दिया. मुस्लिमों का एकमुश्त वोट ममता बनर्जी की पार्टी को मिला है और AIMIM के सभी सातों उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी. इतना ही नहीं कांग्रेस और लेफ्ट के भी उम्मीदवारों को मुस्लिम समुदाय ने पूरी तरह से नकार दिया था.
ममता के मुस्लिम मंत्री यूपी में भी ऐसे ही ओवैसी को सियासी तौर पर बेअसर करने की गुहार लगाई है. हालांकि, ममता के मंत्री ने यूपी में बीजेपी के खिलाफ वोट देना है यह बात खुलकर नहीं कही है. लेकिन, बंगाल में जिस तरह से सपा ने ममता के पक्ष में खड़ी रही है. ऐसे में कहीं ममता की टीम यूपी में पर्दे के पीछे से सपा को समर्थन के लिए सियासी बिसात बिछाने में जुट तो नहीं गई है, क्योंकि ओवैसी की सक्रियता से सबसे ज्यादा चिंता सपा की है. यूपी में मुसलमान सपा का परंपरागत वोटर माना जाता है, लेकिन अब बसपा से लेकर कांग्रेस तक उन्हें साधने में जुटी है.