यूपी चुनाव (UP Election) को लेकर रोजाना नए समीकरण सामने आ रहे हैं. वहीं अब TMC प्रमुख और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) भी अब यूपी की राजनीति में कूद पड़ी हैं. वह समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के लिए वोट मांगेंगी. लिहाजा लखनऊ में 8 फरवरी को होने वाली वर्चुअल रैली के जरिये ममता बनर्जी सपा के लिए मतदान करने की अपील करेंगी. हालांकि जानकारों का कहना है कि इससे बंगाली समाज पर खास असर नहीं होगा. वहीं कुछ राजनीति के जानकारों का कहना है कि TMC बंगाली बाहुल्य इलाके से अपने लिए वोट मांगती तो टक्कर मजबूत हो सकती थी.
'यूपी के बंग भाषियों पर बंगाल की राजनीति का प्रभाव कम'
वाराणसी के वरिष्ठ बांग्ला पत्रकार अमिताभ भट्टाचार्य ने बताया कि टीएमसी के सपा को मिले साथ से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. क्योंकि यूपी में बंग भाषीय समाज के लोग अपनी सुरक्षा को लेकर दलों का समर्थन करते हैं. यूपी के बंग भाषियों पर बंगाल की राजनीति का कम प्रभाव है. पहले बनारस के बंग भाषीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता रुस्तम सैटिन जी को वोट देते थे, लेकिन इमरजेंसी के बाद बंग भाषीय 7 बार भाजपा विधायक रहे श्याम देव राय चौधरी से जुड़े रहे. ऐसा ही लाभ कैंट विधानसभा से पूर्व में 4 बार बंगाली भाजपा विधायक रहीं ज्योत्सना को मिला. अब मौजूदा कैंट विधानसभा से ही भाजपा के विधायक सौरभ श्रीवास्तव को लाभ मिल रहा है.
'हिंदी भाषियों से संपर्क न होना बड़ा माइनस पॉइंट'
वहीं वाराणसी के दक्षिणी विधानसभा से 7 बार भाजपा के विधायक और प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके वरिष्ठ बीजेपी नेता श्यामदेव राय चौधरी 'दादा' ने बताया कि बंगाली वोटर बीजेपी के साथ हैं. 8 फरवरी को ममता बनर्जी की वर्चुअल रैली के बारे में उन्होंने बताया कि ममता बनर्जी को भले ही लोग सुन लें, लेकिन उनको वोट कोई नहीं देने वाला है. ममता बनर्जी के बारे में दादा ने बताया कि ना तो उनका बंगाल में हिंदी भाषियों से संपर्क है ना ही उनको हिंदी बोलनी पड़ती है यह बड़ा माइनस पॉइंट है. जहां तक यूपी चुनाव में ममता दीदी के रोल की बात है, तो उनकी कोई भूमिका नहीं होने वाली है.
इन हालातों में मिल सकते थे वोट
मौजूदा कैंट विधानसभा से बीजेपी विधायक सौरभ श्रीवास्तव की मां ज्योत्सना श्रीवास्तव का दो बार कब्जा था. वह बंगाली परिवार से आती थीं. फिर सौरभ के पिता हरिश्चंद्र श्रीवास्तव का इस सीट पर कब्जा रहा. फिर 2 बार ज्योत्सना इस सीट से जीतीं. सौरभ श्रीवास्तव बताते हैं कि अगर TMC खुद लड़ती तो उनके क्षेत्र में रहने वाले 45 हजार बंगाली वोटर्स में से 500-1000 वोट TMC को मिल सकते थे. लेकिन TMC वोट सपा के लिए मांगेगी तो वोट नहीं मिलेगा.