उत्तर प्रदेश के एटा जिले में एक कस्बा है मारहरा. प्राचीन इतिहास समेटे हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल मारहरा कस्बे की नींव अलाउद्दीन खिलजी के दौर में रखी गई थी. 'मारहरा' नाम और इस कस्बे की बुनियाद रखे जाने के पीछे भी एक दिलचस्प ऐतिहासिक दास्तान है.
कहा जाता है कि इस इलाके को अलाउद्दीन खिलजी की सेना ने खंडहर में तब्दील कर दिया था. चार साल बाद अलाउद्दीन खिलजी के जिलेदार राजपूत राजा मुनिराम ने इस कस्बे की नींव डाली. इसी वजह से कभी स्वरूपगंज गांव रहे इस कस्बे का नाम मारहरा रखा गया. इसे शेर शाह सूरी के शासनकाल में परगना घोषित किया गया.
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एटा जिले में इसी मारहरा कस्बे के नाम पर एक विधानसभा सीट है मारहरा विधानसभा सीट. मारहरा विधानसभा सीट का नाम पहले निधौली विधानसभा सीट था. साल 2012 के परिसीमन में निधौली विधानसभा सीट का अस्तित्व समाप्त हो गया और मारहरा विधानसभा सीट अस्तित्व में आई.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
मारहरा विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी (सपा) का दबदबा रहा है वहीं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को इस सीट पर पहली जीत का इंतजार है. 2012 के परिसीमन के बाद ये सीट यादव और लोधी बाहुल्य सीट में तब्दील हो गई है. मारहरा विधानसभा सीट के अस्तित्व में आने के बाद यहां दो दफे विधानसभा चुनाव हुए हैं. दो चुनाव में एक दफे सपा और एक दफे भारतीय जनता पार्टी (बीजपी) के उम्मीदवार को जीत मिली है.
2017 का जनादेश
मारहरा विधानसभा सीट से साल 2017 के चुनाव में बीजेपी ने वीरेंद्र को टिकट दिया था. बीजेपी के टिकट पर चुनावी रणभूमि में उतरे वीरेंद्र के सामने सपा से निवर्तमान विधायक अमित गौरव टीटू यादव की चुनौती थी. बीजेपी के वीरेंद्र ने सपा के अमित गौरव टीटू यादव को 30 हजार वोट से अधिक के अंतर से हरा दिया. बसपा उम्मीदवार को तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा.
सामाजिक ताना-बाना
मारहरा विधानसभा क्षेत्र में मारहरा कस्बे के साथ ही ग्रामीण इलाके भी आते हैं जिसमें निधौली और अन्य इलाके शामिल हैं. अनुमानों के मुताबिक इस विधानसभा सीट पर सबसे अधिक संख्या यादव और लोधी मतदाताओं की है. मुस्लिम मतदाता भी मारहरा विधानसभा सीट के चुनाव परिणाम को प्रभावित करते हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
मारहरा विधानसभा सीट से विधायक वीरेंद्र ग्रेजुएट तक शिक्षित हैं. चार भाइयों में तीसरे नंबर के वीरेंद्र का मुख्य व्यवसाय कृषि और ठेकेदारी रहा है. विधायक वीरेंद्र अपने कार्यकाल में हुए कार्य गिनाने के साथ ही स्वच्छता अभियान की भी चर्चा करते हैं. वीरेंद्र स्वच्छता अभियान को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि बताते हैं.