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Menhdawal Assembly Seat: मोदी लहर में बीजेपी ने जीता 2017 चुनाव, क्या हो पाएगी वापसी??

मेहदावल विधानसभा सीट, समाजवादी पार्टी की पारंपरिक सीट रही है. 2017 यूपी चुनाव में मोदी लहर और राम मंदिर के मुद्दे पर बीजेपी उम्मीदवार राकेश सिंह बघेल ने चुनाव तो जीत लिया. लेकिन इस बार उनकी वापसी फिर से हो पाएगी या नहीं इसको लेकर संशय है.

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यूपी विधानसभा चुनाव- मेहदावल विधानसभा सीट
यूपी विधानसभा चुनाव- मेहदावल विधानसभा सीट

मेहदावल विधानसभा तीन बार समाजवादी पार्टी के पक्ष में रही है. मेहदावल विधानसभा पर विकास के मुद्दे पर ही चुनाव लड़ा जाता रहा है. बखिरा झील, सड़कों की खस्ता हालत, संकरी गलियां और बाढ़ के मुद्दे अक्सर चुनाव में राजनीतिक पार्टियों के लिए मुद्दा बने रहते थे.

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लेकिन पार्टियां चुनाव बीत जाने के बाद मुद्दों से भटक जाती है और फिर अगले चुनाव में उन्हीं मुद्दों पर दोबारा चुनाव लड़ती हैं. हालांकि 2017 में मोदी लहर और राम मंदिर के नाम पर विधानसभा से राकेश सिंह बघेल को बड़ी जीत मिली. उन्होंने बीएसपी प्रत्याशी अनिल कुमार त्रिपाठी को हराकर विधायकी हासिल की. 

इंडिया स्टेट्स पब्लिकेशन के मुताबिक मेहदावल विधानसभा में कुल 446,206 मतदाता हैं, जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 2433,83 है, महिला मतदाताओं की संख्या 202804 है और थर्ड जेंडर मतदाताओं की संख्या 19 है. यह आंकड़े 2019 के हैं.

मेहदावल विधानसभा के करमैनी घाट से राप्ती नदी का बहाव है. जो बरसात के दिनों में तराई इलाके के खेतिहर भूमि को प्रभावित करता है और नीचे के इलाके में रहने वाले दर्जनों गांव को भी प्रभावित करता है. राजनीतिक मुद्दे में शामिल होने के बावजूद बखिरा झील लंबे समय से उपेक्षा का शिकार है. 

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सरकार की तमाम योजनाएं आईं लेकिन बखीरा झील आज भी अपनी बदहाली के आंसू बहा रहा है. 2022 विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी कार्यकर्ता जोश से लबरेज नजर आ रहे हैं. वहीं समाजवादी पार्टी और बीएसपी भी इस लड़ाई को अपने पाले में गिराने के लिए आतुर है. मेहदावल विधानसभा निशाद बहुल क्षेत्र माना जाता है. निषाद जातीय समीकरण से किसी भी पार्टी के उम्मीदवार को यहां पर जीत दिलाई जा सकती है. यहां 60 प्रतिशत आबादी निषाद जाति की है.

राप्ती नदी के तटीय इलाके में निषाद समुदाय और अन्य जातियों के लोग बड़ी मात्रा में निवास करते हैं. लगभग 25 किलोमीटर की परिधि में बसा मेहदावल विधानसभा का ज्यादातर हिस्सा खेतिहर भूमि वाला है. यहां केले, सब्जी और खेती से जुड़े अन्य व्यवसाय को रोजगार मानकर स्थानीय निवासी चलते हैं. 

विधानसभा में व्याप्त हैं कई समस्याएं

वहीं शहरी क्षेत्र में मेहदावल विधानसभा के अंतर्गत शहर के बीचो-बीच संकरी गलियां और संकरी रास्ते की वजह से आए दिन स्थानीय लोगों को जाम जैसी समस्या से दो चार होना पड़ता है. बारिश के दिनों में गलियों में कूड़े-कचरे और भारी गंदगी का सामना करना पड़ता है. मेहदावल विधानसभा को जोड़ने वाली 3 मुख्य सडक हैं. जैसे खलीलाबाद मेहदावल बाईपास मार्ग, जो अपनी बदहाली के आंसू लंबे समय से बहाता आ रहा है. 

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यहां कि जर्जर सड़कें पुराने दिनों की याद दिलाती हैं. मेहदावल, पीपीगंज, गोरखपुर मार्ग और बस्ती मेहदावल मार्ग की हालत बेहद खराब है. मेहदावल विधानसभा, सिद्धार्थनगर से होते हुए सड़कों पर भारी आवाजाही होती है लेकिन सड़कों की हालत आज भी बेहद खराब है.

मेहदावल विधानसभा, मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूरी पर स्थित है. यहां पर हिंदी और स्थानीय भाषा बोली जाती है. मेहदावल केले की खेती के लिए जाना जाता है. मेहदावल विधानसभा में कहीं भी रेल मार्ग नहीं है. सड़क मार्ग से ही मेहदावल विधानसभा जाया जा सकता है. मेहदावल विधानसभा में आने वाले पक्षी विहार, विश्व विख्यात हैं. जहां जाड़े के सीजन में साइबेरियन पक्षियों का एक बड़ा बेड़ा यहां उतरता है. जिसे देखने के लिए दूरदराज के लोग बखिरा झील आते हैं.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

मेहदावल विधानसभा एक नगर पंचायत है. नगर पंचायत का कार्य क्षेत्र सीमित होने के कारण विधानसभा में काफी कुछ अधूरा रह जाता है. जिसके कारण गांव से शहर की तरफ आने वाले ग्रामीणों को जाम जैसी समस्या से जूझना पड़ता है. 2017 के चुनाव में बखीरा झील सड़कों की समस्या नदी से होने वाले कटान से ग्रामीणों की दिक्कत को लेकर आम जनमानस में काफी उम्मीद थी. जो मोदी लहर में मेहदावल विधानसभा विकास की राह देख रहा है. हालांकि मेहदावल विधानसभा एक बातों से और चर्चा में रहा है कि यहां के जमींदार परिवार में अटल बिहारी वाजपेई का आना-जाना रहा है.

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मेहदावल विधानसभा की सबसे बड़ी समस्या है खलीलाबाद से लेकर मेहदावल मार्ग, जो लगभग 25 किलोमीटर की है. यह सड़क पिछले कई दशकों से बदहाली का रोना रो रहा है. लोगों ने 2017 विधानसभा चुनाव में कमल खिलाया था. उन्हें उम्मीद थी कि हालात कुछ ठीक होंगे. लेकिन आज भी खलीलाबाद-मेहदावल मार्ग अपनी बदहाली झेल रहा है. 

 
पिछले तीन विधानसभा चुनावों में इस सीट पर समाजवादी पार्टी का ही परचम लहराया है. लेकिन समाजवादी पार्टी में चुनावों से पहले हुए दो फाड़ ने ये साफ कर दिया है कि पार्टी को सियासी नुकसान उठाना पड़ेगा. देखना दिलचस्प होगा कि इस बार सीट पर क्षेत्र की जनता किस पार्टी के प्रत्याशी पर भरोसा जताती है.

2017 विधानसभा चुनाव

2017 विधानसभा चुनाव में मेहदावल सीट पर कुल तेरह प्रत्याशी मैदान में थे. लेकिन मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच रहा. मेहदावल विधानसभा सीट पर कुल 449761 मतदाता थे, जिसमें से 40.5 प्रतिशत वोटरों ने मतदान किया. भारतीय जनता पार्टी के कैंडिडेट राकेश सिंह बघेल को सर्वाधिक 86976 मत मिले. वहीं बहुजन समाज पार्टी के अनिल कुमार त्रिपाठी 44062 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे. 

विधानसभा की समस्याएं

राजनीतिक तौर पर मेहदावल विधानसभा सक्रिय रहा है जिसके चलते नेताओं के लिए जातिगत समीकरण बनाकर क्षेत्रीय पार्टियों ने राज किया है. मेहदावल विधानसभा में बिजली की समस्या, शुद्ध पेयजल की समस्या, बाढ़ का खतरा, स्वास्थ्य सुविधाओं का आभाव, सड़कों का अभाव, बेहतर शिक्षा का अभाव लगातार प्रभावी रहा है.

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विविधा

भारतीय जनता पार्टी के राकेश सिंह बघेल अक्सर चर्चा में रहे. मेहदावल विधानसभा से जीतने के बाद कलेक्ट्रेट सभागार संत कबीर नगर में जूता बाजार मामले से काफी ख्याति मिली. लेकिन उसके बाद फिर एक बार चर्चा में आए, जब संत कबीर नगर न्यायालय के न्यायाधीश ने एक मामले में इनके खिलाफ 420 ,419 का मामला कोतवाली थाना मे दर्ज करवाया. 

दरअसल इन्होंने न्यायालय को कोविड-19 को लेकर गलत रिपोर्ट दी थी. इसको लेकर न्यायालय ने जांच कराई और उस वक्त मौजूद रहे सीएमओ डॉक्टर हरगोविंद सिंह और मेहदावल विधायक राकेश सिंह बघेल के खिलाफ 420 और 419 का मामला स्थानीय थाने कोतवाली खलीलाबाद में दर्ज करवाया गया.

यूपी की जनसंख्या

2011 की जनगणना के मुताबिक उत्तर प्रदेश की जनसंख्या 19.98 करोड़ है इसमें 10.44 करोड़ पुरुष और 9.53 करोड़ महिलाएं हैं. यूपी का क्षेत्रफल 240928 वर्ग किलोमीटर है. यूपी में साक्षरता दल 67.68 फीसदी है. महिला साक्षरता दर 57.18 फीसदी और पुरुष साक्षरता दर 77.28 फीसदी है.

 

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