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UP Election: करहल के बाद अब पूर्वांचल में उतरेंगे मुलायम सिंह यादव, दोस्त के बेटे के लिए मांगेंगे वोट

यूपी चुनाव की लड़ाई अब आखिरी दौर में पहुंच चुकी है, जो पूर्वांचल के इलाके में लड़ी जा रही है. बीजेपी, सपा, कांग्रेस और बसपा पूर्वांचल के माहौल को अपने-अपने पक्ष में करने के लिए हर दांव चल रहे हैं. सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव भी यहां चुनाव प्रचार में उतर रहे हैं. वो जौनपुर में अपने करीबी दोस्त के बेटे लकी यादव के लिए चुनाव प्रचार करने उतरेंगे.

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मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव
मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव
स्टोरी हाइलाइट्स
  • यूपी 2022 चुनाव की लड़ाई अब पूर्वांचल पहुंची
  • मुलायम सिंह यादव मल्हनी सीट पर करेंगे रैली
  • मुलायम सिंह और नरेंद्र मोदी होंगे आमने-सामने

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की सियासी जंग पश्चिम से शुरू होकर अब पूर्वांचल में पहुंच गई है. सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव अपने बेटे अखिलेश यादव के बाद अब अपने दोस्त व सहयोगी के बेटे के लिए वोट मांगने उतरेंगे. मुलायम सिंह ने अभी तक सिर्फ करहल सीट पर जनसभा की है और अब पारसनाथ यादव के बेटे लकी यादव के लिए जौनपुर की मल्हनी सीट पर करेंगे. पीएम मोदी भी उसी दिन उसी जिले में रैली कर अपना दुर्ग बचाने की कवायद करेंगे तो मुलायम सिंह 'यादव बेल्ट' के बाद पूर्वांचल के सियासी समीकरण साधने उतरेंगे? 

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मुलायम सिंह दोस्त के बेटे का करेंगे प्रचार

सपा के संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव तीन मार्च को यानि गुरुवार को जौनपुर की मल्हनी सीट पर जनसभा करेंगे. मल्हनी सीट पर मुलायम सिंह के करीबी स्व. पारसनाथ यादव के बेटे लकी यादव सपा से चुनावी मैदान में हैं. मुलायम की यह रैली छठे चरण के लिए 57 सीटों पर मतदान के दिन होने जा रही है. इस तरह से जौनपुर में मुलायम की रैली से सपा पूर्वांचल की सियासी लड़ाई में बढ़त हासिल करने की कोशिश में है.

बता दें कि मुलायम सिंह ने 2017 के चुनाव में भी महज दो रैली की थीं, जिनमें एक रैली शिवपाल यादव के लिए जसवंतनगर में और दूसरी जनसभा परसनाथ यादव के लिए मल्हनी सीट पर की थी. मोदी लहर के बावजूद यह दोनों सीटें सपा जीतने में कामयाब रही थी. इस बार भी मुलायम सिंह यादव की सूबे में महज दो ही रैली रखी गई हैं, जिसमें एक अखिलेश की करहल सीट और दूसरी लकी यादव की मल्हनी सीट. इन दोनों जगह पर मुलायम सिंह यादव की रैली कराने के पीछे सपा की सोची समझी रणनीति भी मानी जा रही है.

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यादव बेल्ट के बाद पूर्वांचल में मुलायम

मुलायम सिंह ने करहल सीट पर चुनावी प्रचार में उतर पूरी 'यादव बेल्ट' को सियासी संदेश दिया था, जहां 2017 में बीजेपी ने विपक्ष का सफाया कर दिया था. इसीलिए अखिलेश यादव अपने पुराने दुर्ग को बीजेपी से छीनने के लिए उतरे. वहीं, अब मुलायम सिंह के मल्हनी सीट पर प्रचार कर लकी यादव के पक्ष में माहौल को बनाने के दांव के साथ-साथ पूर्वांचल में सपा को बड़ी जीत दिलाने का मकसद है. 

दरअसल, जौनपुर के एक तरफ अखिलेश यादव का संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ है तो दूसरी तरफ पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र काशी है. इस पूरे इलाके में सातवें चरण में चुनाव है, जहां पीएम मोदी 3 मार्च से ही कैंप करने जा रहे हैं. मोदी भी तीन मार्च को ही जौनपुर में रैली करने जा रहे हैं. मोदी की रैली जफराबाद के जीआईजी मैदान में होगी. ऐसे में सपा ने भी मुलायम सिंह यादव की जौनपुर में उसी दिन रैली रखकर बड़ा सियासी दांव चला है. 

पारसनाथ यादव और मुलायम सिंह के रिश्ते

मुलायम सिंह ही पारसनाथ यादव को सियासत में लेकर आए थे और पूर्वांचल में ओबीसी के कद्दावर नेता के तौर पर स्थापित किया था. ऐसे में मुलायम के साथ मरते दम तक कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे. पारसनाथ यादव अपना पहला विधानसभा चुनाव 1985 में जौनपुर की बरसठी सीट से लोकदल से जीते थे. इसके बाद वह 1989 में जनता दल से विधायक बने और 1993 में सपा से जीत दर्ज की. 1996 और 2002 में मड़ियाहूं से चुने गए और 2012-2017 में भी मल्हनी सीट से जीत दर्ज की थी. 

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मल्हनी सीट पर पारसनाथ यादव का लंबे समय से कब्जा रहा है. 2020 में पारसनाथ यादव के निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनके बेटे लकी यादव को सपा ने प्रत्याशी बनाया था. प्रदेश में एक साथ हुए सात उपचुनावों में सपा को केवल इसी सीट पर सफलता मिली थी. लकी यादव ने बाहुबली नेता पूर्व सांसद धनंजय सिंह को हराकर अपने पिता की विरासत को बरकरार रखा था. 

मल्हनी सीट पर लकी बनाम धनंजय

सपा ने लकी यादव को एक बार फिर से मल्हनी सीट से चुनावी मैदान में उतारा है, जहां बीजेपी, कांग्रेस और बसपा से भी प्रत्याशी हैं. लेकिन यहां असल मुकाबला माफिया धनंजय सिंह से माना जा रहा है. धनंजय सिंह इस बार जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. लंबे समय तक फरार रहने के बाद धनंजय सिंह ने चुनाव लड़ने के लिए ही नामांकन से ठीक एक दिन पहले जौनपुर कोर्ट में सरेंडर किया था. 

धनंजय सिंह को लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव और उनकी पार्टी आक्रामक रुख अपनाए हुए है और योगी आदित्यनाथ पर संरक्षण देने का आरोप लगाए जा रहे हैं. वहीं, अब लकी यादव की सीट पर अखिलेश यादव के साथ-साथ मुलायम सिंह यादव भी चुनावी प्रचार में उतर रहे हैं, जिससे मल्हनी सीट और जौनपुर ही नहीं बल्कि पूर्वांचल को सियासी संदेश देने की रणनीति मानी जा रही है.

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पीएम मोदी काशी में करेंगे कैंप

यूपी में अब पूर्वांचल की 111 विधानसभा सीटों पर अगले दो चरणों में चुनाव है. ऐसे में पीएम मोदी तीन से पांच मार्च को चुनाव प्रचार का शोर थमने तक काशी में कैंप कर रहे हैं. काशी से लगे हुए आसापास के जिलों में चुनाव प्रचार का मोर्चा संभालेंगे. 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान भी पीएम मोदी ने इसी तरह कैंप किया था और पूर्वांचल का सियासी माहौल ही बदल दिया था. 

2017 के जीत के फॉर्मूले पर मोदी फिर से पूर्वांचल की जंग को फतह करने के लिए उतर रहे हैं ताकि उत्तर प्रदेश में दोबारा सत्ता पर अपनी पकड़ को मजबूत बनाए रखा जाए. हालांकि, इस बार पूर्वांचल में 2017 जैसे सियासी हालात नहीं हैं बल्कि चुनौतियां हैं. पांच साल पहले सरकार बनाते वक्त पूर्वांचल के लोगों ने जो बीजेपी से उम्मीदें की थीं वह कितनी कसौटी पर खरी उतरी है, उसके आकलन के अनुसार ही इस बार मतदान होगा. यही वजह है कि सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ही पूर्वांचल पर पूरा फोकस कर रखा है. 


 

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