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Najibabad Assembly Seat: 1991 के बाद कभी नहीं जीत पाई बीजेपी, क्या इस बार खत्म होगा इंतजार?

नजीबाबाद विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी को केवल एक बार जीत मिली है. बीजेपी को इस सीट से 1991 में जीत मिली थी, तब राम मंदिर आंदोलन की लहर थी.

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यूपी Assembly Election 2022 नजीबाबाद विधानसभा सीट
यूपी Assembly Election 2022 नजीबाबाद विधानसभा सीट
स्टोरी हाइलाइट्स
  • नजीबाबाद से लगातार दूसरी बार विधायक हैं तस्लीम अहमद
  • 2017 में करीबी अंतर से हार गए थे बीजेपी के राजीव अग्रवाल

उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में मलान नदी के किनारे एक शहर है नजीबाबाद. कलात्मक नवाबी इमारतों के साथ-साथ लघु उद्योग के लिए अपनी पहचान रखने वाले नजीबाबाद शहर को नवाब नजीबुद्दौला ने बसाया था. नजीबाबाद के कंबल मशहूर हैं. यहां के गर्म कंबल धनगर समाज के लोगों की ओर से बनाए जाते थे, लेकिन सरकारी उपेक्षा के चलते अब ये काम लगभग समाप्ति की ओर है. 

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नजीबाबाद में नवाब नजीबुद्दौला का किला है. इस किले में कुछ दिन सुल्ताना डाकू ने भी शरण ली थी, जिसके बाद इसका नाम सुल्ताना डाकू का किले भी पड़ गया. नजीबाबाद को उत्तराखंड का मुख्य द्वार भी कहा जाता है. उत्तराखंड जाने के लिए नजीबाबाद से गुजरना पड़ता है. नजीबाबाद उत्तराखंड की सीमा से सटा हुआ है. इसकी एक सीमा हरिद्वार से मिलती है तो दूसरी पौड़ी गढ़वाल जिले के कोटद्वार से. नजीबाबाद एक तहसील भी है.

कनेक्टिविटी की बात करें तो नजीबाबाद से बसों का परिचालन होता है तो रेलवे स्टेशन भी है जहां से देश के अलग-अलग शहरों के लिए सीधी ट्रेन सेवा है. यहां कई अस्पताल हैं तो साथ ही स्कूल-कॉलेजों की भी कोई कमी नहीं. नजीबाबाद विधानसभा सीट भी है. नजीबाबाद विधानसभा सीट की गिनती बिजनौर जिले की सबसे विकासशील विधानसभा सीट के रूप में की जाती है.

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राजनीतिक पृष्ठभूमि

नजीबाबाद विधानसभा सीट के लिए 1957 में पहली बार चुनाव हुए थे. नजीबाबाद सीट से 1957 में कांग्रेस के हाजी मोहम्मद इब्राहिम, 1962 में श्रीराम, 1967 में निर्दलीय प्रत्याशी केडी सिंह, 1969 में भारतीय क्रांति दल के देवेंद्र सिंह, 1974 में कांग्रेस के सुखान सिंह, 1977 में जनता पार्टी के मुकंदी सिंह विधायक रहे. साल 1980 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के रतिराम और 1985 में कांग्रेस के ही सुक्कम सिंह, 1989 में बीएसपी के बलदेव सिंह इस सीट से विधायक रहे.

नजीबाबाद विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को केवल एक बार जीत मिली है. बीजेपी को इस सीट से 1991 में जीत मिली थी तब राम मंदिर आंदोलन की लहर थी. सीपीएम के रामस्वरूप सिंह साल 1993 से लेकर 2007 तक, लगातार तीन बार विधायक निर्वाचित हुए. 2007 में बीएसपी के शीशराम सिंह, 2012 में बीएसपी के ही टिकट पर हाजी तस्लीम अहमद विधानसभा पहुंचे.

2017 का जनादेश

नजीबाबाद विधानसभा सीट से 2017 के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने बीएसपी छोड़कर आए हाजी तस्लीम को चुनाव मैदान में उतारा. सपा के हाजी तस्लीम अहमद ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बीजेपी के राजीव अग्रवाल को करीब दो हजार वोट के अंतर से हराया. बीएसपी के जमील अहमद तीसरे और आरएलडी के टिकट पर उतरे लीना सिंघल चौथे स्थान पर रहे.

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सामाजिक ताना-बाना

नजीबाबाद विधानसभा क्षेत्र में करीब साढ़े तीन लाख मतदाता हैं. नजीबाबाद विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम वोटरों की बहुलता है. अनुसूचित जाति और वैश्य वोटरों के साथ ही रवा राजपूत, जाट और ब्राह्मण वोटर भी निर्णायक स्थिति में हैं. नजीबाबाद में मुस्लिम और दलित वोटर चुनावी समीकरण बनाने और बिगाड़ने का काम करते हैं.

विधायक का रिपोर्ट कार्ड

नजीबाबाद विधानसभा सीट से विधायक हाजी तस्लीम अहमद व्यावसायिक आदमी हैं. तस्लीम अहमद की मसाले की फैक्ट्री है. सपा से सियासत की शुरुआत करने वाले हाजी तस्लीम अहमद की गिनती मुलायम सिंह यादव के करीबियों में होती है. 2012 के चुनाव से पहले सपा से नाराज हुए तस्लीम बीएसपी में चले गए थे. तस्लीम ने 2012 का चुनाव बीएसपी के टिकट पर लड़ा और 2017 के चुनाव से पहले सपा में वापसी कर ली. विधायक अपने कार्यकाल में कराए गए कार्य गिनाते हैं लेकिन यहां सबसे बड़ी समस्या मलान नदी में हर साल आने वाली बाढ़ है. हर साल कई गांव इस बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं.

 

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