नकुड विधानसभा सीट (Nakur assembly seat) सहारनपुर जिले के सात विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. इस विधानसभा सभा सीट की विधानसभा संख्या 2 है. यह अनारक्षित सीट है. गंगा और यमुना के दोआब पर बसा सहारनपुर अपने आप में धार्मिक और राजनीतिक विरासत समेटे हुए है.
शाह हारून चिश्ती और बाबा लालदास की दोस्ती ने इस जनपद में सांप्रदायिक सदभाव को हमेशा सींचा है. उत्तराखंड, हरियाणा और हिमाचल की सीमा से सटे सहारनपुर की पहचान वुड कार्विंग के काम से दुनियाभर में फैली हुई है. वहीं देवबंद का परंपरागत उद्योग गंडासा है. सहारनपुर में एक तरफ शाकंभरी सिद्धपीठ है जंहा माता ने दैत्यों से युद्ध किया था. मां काली का शांत रूप भी यही है. तो दूसरी तरफ विश्व विख्यात इस्लामिक संस्था दारूल उलूम है. तो वहीं त्रिपुरा बाला सुंदरी सिद्ध पीठ है. यह वही स्थान है जहां पांडवों ने अपना अज्ञातवास काटा था. यहीं पर माता के नौ रूप देखने को मिलते हैं तो ग्यारह मुखी शिवलिंग के दर्शन भी होते हैं.
इस विधानसभा क्षेत्र में पहला विधानसभा चुनाव 1952 में आयोजित किया गया था. नकुड विधानसभा के 1952 में हुए चुनाव में इंडियन नेशनल कांग्रेस के दाता राम यहां पर विधायक बने थे. 1957 में दाताराम ने नकुड में दोबारा जीत हासिल की. 1962 में हुए चुनाव में यहां से इंडियन नेशनल कांग्रेस के यशपाल सिंह चौधरी ने जीत हासिल की.
दो पिछले चुनावों की बात करें तो सन 2012 में हुए 16वीं विधानसभा के चुनाव में नकुड विधानसभा से डॉक्टर धर्म सिंह सैनी ने बसपा के टिकट पर चुनाव जीता जबकि 17वीं विधानसभा के 2017 के चुनाव में डॉक्टर धर्म सिंह सैनी ने बसपा छोड़कर भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और फिर से नकुड विधानसभा से विधायक बने.
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बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का गढ़ माने जाने वाले सहारनपुर के समीकरण 2017 के चुनाव में बिल्कुल पलट गए. इस चुनाव में सात विधानसभा में से चार पर भाजपा, दो पर कांग्रेस व एक सीट पर सपा ने अपनी जीत का परचम फहरा दिया. इस चुनाव में पहली बार सहारपुर से बसपा को एक भी सीट नहीं मिली.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
नकुड विधानसभा सीट पर अब तक 17 चुनाव हो चुके हैं. 1952 में हुए चुनाव में इंडियन नेशनल कांग्रेस के दाता राम यंहा पर विधायक बने थे. 1957 में दाताराम ने नकुड में दोबारा जीत हासिल की. 1962 में हुए चुनाव में इंडियन नेशनल कांग्रेस के यशपाल सिंह चौधरी ने जीत हासिल की. 1967 में यहां से निर्दलीय प्रत्याशी एन. सिंह ने यंहा पर अपनी विजय पताका फहरायी और 1969 में भी इस सीट से निर्दलीय प्रत्याशी काजी रशीद मसूद ने जीत हासिल की. उसके बाद 1974 और 1977 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के उम्मीदवार यशपाल चौधरी विधायक बने.
1980 में इस सीट से लगातार तीसरी बार यशपाल सिंह चौधरी INC (I) से विधायक बने. 1985 में रालोद से रामशरण दास विधायक बने. 1989 और 1991 में नकुड से लगातार दो बार निर्दलीय उम्मीदवार कुंवर पाल सिंह ने अपनी विजय पताका फहरायी. 1993 में 12वीं विधानसभा के चुनाव में एक बार फिर से INC से यशपाल सिंह चौधरी विजयी हुए. 1996 में निर्दलीय उम्मीदवार कुंवरपाल सिंह विधायक बने. 2000 में हुए उपचुनाव में राष्ट्रीय लोकदल के प्रदीप चौधरी विजयी हुए. 2002 में 14वी विधानसभा के चुनाव में INC के टिकट पर सुशील चौधरी विजयी हुए.
जबकि 2007 में 15वीं विधानसभा के चुनाव में बसपा के टिकट पर महिपाल सिंह चुनाव में जीते. सन 2012 में 16वीं विधानसभा के चुनाव में नकुड विधानसभा से डॉक्टर धर्म सिंह सैनी ने बसपा के टिकट पर चुनाव जीता और अब 17वीं विधानसभा के 2017 के चुनाव में डॉ. धर्म सिंह सैनी बसपा छोड़कर भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े और फिर से नकुड विधानसभा से विधायक बने.
सामाजिक तानाबाना
साल जनवरी 2021 के आंकड़ों के अनुसार नकुड विधानसभा क्षेत्र में कुल 3 लाख 48 हजार 712 मतदाता हैं, जिनमें 1 लाख 84 हजार 354 पुरुष मतदाता हैं तो 1 लाख 64 हज़ार 352 महिला मतदाता और 6 अन्य मतदाता हैं.
अगर हम नकुड विधानसभा के जातिगत आंकड़ों की बात करें तो सूत्रों के अनुसार सबसे ज़्यादा 1,20,000 मुस्लिम मतदाता हैं. दूसरे नंबर 50 हज़ार अनूसचित जाति के मतदाता हैं. जबकि तीसरे नंबर पर 40 हज़ार गुर्जर मतदाता व चौथे नंबर पर 35 हज़ार सैनी मतदाता हैं. पांचवें नंबर पर 25000 कश्यप मतदाता हैं. जबकि इस विधानसभा में 12 हज़ार जाट, 12 हजार ब्राह्मण, 9 हज़ार ठाकुर, 8 हजार वैश्य मतदाता व बाक़ी अन्य मतदाता हैं.
2017 का जनादेश
17वीं विधानसभा के 2017 के चुनाव में डॉक्टर धर्म सिंह सैनी बसपा छोड़कर भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े और 94375 वोट पाकर कांग्रेस के उम्मीदवार इमरान मसूद को 4057 वोट से हराया और फिर से नकुड विधानसभा से जीत हासिल की.
रिपोर्ट कार्ड
नकुड विधानसभा से भाजपा विधायक डॉ. धर्म सिंह सैनी का जन्म 4 अप्रैल 1961 को सहारनपुर के सोना गांव में हुआ था. परिवार में पत्नी साधना सैनी, तीन बेटे और एक बेटी हैं. धर्म सिंह सैनी पेशे से आयुर्वेदिक फिजीशियन व राजनीतिक व्यक्ति हैं.
डॉक्टर सैनी लगातार तीन बार विधायक रहे हैं. उत्तर प्रदेश की 14वीं और 15वीं विधानसभा के दौरान उन्होंने उत्तर प्रदेश के सरसावा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. 15वीं विधानसभा के दौरान वे प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे थे. इस बार उन्हें प्रदेश सरकार में मंत्री बनाया गया और उन्हें आयुष, राहत और पुनर्वास मंत्रालय मिला.