उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के छठे चरण के लिए गुरुवार को मतदान होगा. पूर्वांचल के महराजगंज जिले की नौतनवा विधानसभा सीट पर सभी की नजर लगी हुई है, जहां से बाहुबली अमरमणि त्रिपाठी के बेटे अमनमणि त्रिपाठी चुनाव मैदान में हैं. पांच साल पहले जेल में रहकर निर्दलीय चुनाव जीतने वाले अमनमणि बसपा के हाथी पर सवार हैं और उनकी सियासी राह आसान नहीं दिख रही है, क्योंकि यहां उनके खिलाफ विपक्ष दलों ने जबरदस्त चक्रव्यूह रच रखा है.
एक तरफ अमनमणि को अपनी पत्नी की हत्या के मामले में विरोध का सामना करना पड़ रहा है. तो वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी-निषाद पार्टी गठबंधन से चुनाव लड़ रहे ऋषि त्रिपाठी और सपा से कुंवर कौशल सिंह मुन्ना के चुनाव मैदान में उतरने से इस बार नौतनवा सीट पर कांटे की टक्कर मानी जा रही है. ऐसे में देखना होगा कि अमनमणि इस बार क्या सियासी दमखम दिखा पाते हैं?
बता दें कि निर्दलीय विधायक अमनमणि त्रिपाठी के पिता पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी पूर्वांचल की सियासत के ब्राह्मण समुदाय का बड़ा चेहरा माने जाते थे. वो कवियत्री मधुमिता शुक्ला के हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं. वहीं, अमनमणि त्रिपाठी पर भी अपनी पत्नी सारा सिंह की हत्या के आरोप हैं. इसके लिए उन्हें जेल भी रहना पड़ा था और मामला अदालत में है.
पिता अमरमणि त्रिपाठी का रहा वर्चस्व
नौतनवा विधानसभा सीट उत्तर प्रदेश में उन चुनिंदा सीटों में से है, जहां पर कभी कमल नहीं खिल सका है. पिछली बार बीजेपी की प्रचंड लहर में भी यहां से निर्दलीय खड़े हुए बाहुबली नेता और पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी के पुत्र अमनमणि त्रिपाठी ने जेल में रहते हुए चुनाव जीत लिया था. 2017 में अमनमणि त्रिपाठी ने सपा के कुंवर कौशल किशोर सिंह (मुन्ना सिंह) को 32256 वोटों के अंतर से हराया था. एक बार फिर से दोनों आमने सामने हैं.
2022 के विधानसभा चुनाव में नौतनवा सीट पर अमनणमि के खिलाफ बीजेपी-गठबंधन से ऋषि त्रिपाठी जबकि सपा से किशोर सिंह उर्फ मुन्ना और कांग्रेस से सदामोहन उपाध्याय चुनावी मैदान में हैं. ऐसे में तीन ब्राह्मण नेताओं के बीच सपा से ठाकुर कैंडिडेट हैं. नौतनवा सीट ब्राह्मण बहुल मानी जाती है, लेकिन यादव, मुस्लिम और दलित वोटर निर्णायक भूमिका में हैं.
नौतनवा विधानसभा सीट पर अमनमणि के पिता अमरमणि त्रिपाठी का वर्चस्व रहा है. अमरमणि के मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में जेल जाने के बाद अमनमणि ने उनकी विरासत को संभाला. 2012 में सियासत में कदम रखा, लेकिन जीत नहीं सके और 2017 में निर्दलीय विधायक बने. ऐसे में अमनमणि तीसरी बार चुनावी मैदान में उतरे हैं. अमनमणि त्रिपाठी की नौतनवा सीट पर अच्छी पकड़ मानी जाती है, लेकिन बीजेपी गठबंधन से ब्राह्मण कैंडिडेट होने से वोटों के बिखराव लाजमी माना जा रहा है. ऐसा अगर होता है तो अमनमणि त्रिपाठी के सामने बसपा के हाथी पर सवार होकर भी अपने सियासी वर्चस्व को बचाए रखना चुनौतीपूर्ण बन सकता है.