राज्यों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में जातियों को शामिल करने का अधिकार देने संबंधी संविधान संशोधन बिल संसद के दोनों सदनों से पास हो गया है. राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ ही ये बिल कानूनी रूप अख्तियार कर लेगा. इसी के साथ उत्तर प्रदेश में तमाम जातियों को ओबीसी में शामिल करने की तैयारी भी शुरू कर दी गई है.
यूपी चुनाव से पहले सूबे की 39 नई जातियों को ओबीसी की फेहरिश्त में शामिल कर योगी सरकार बीजेपी के वोटबैंक को ओर भी मजूबत कर सकती है.
उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग मंगलवार को पहली बैठक की थी, जिसमें 39 जातियों को ओबीसी कैटेगिरी में शामिल करने पर चर्चा हुई. राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष जसवंत सैनी ने aajtak.in से बातचीत में कहा है कि आयोग जल्द ही इस संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार को एक सिफारिश भेजेगा, जिसके बाद इन जातियों को पिछड़ा वर्ग का दर्जा देना अधिकार राज्य सरकार के ऊपर निर्भर करेगा.
उन्होंने बताया कि यूपी में जो भी जातियां ओबीसी में शामिल होने के लिए सिफारिश करती है. आयोग उनकी जनसंख्या सामाजिक, आर्थिक, शैक्षाणिक और राजनीतिक सहित 35 बिंदुओं पर सर्वे करता. सर्वेक्षण के आधार पर आयोग रिपोर्ट तैयार करता है. सर्वे का काम पूरा होने के बाद राज्य पिछड़ा आयोग अपनी सिफारिश सरकार को देगा और उन्हें शामिल करने पर अंतिम फैसला सरकार करेगी.
उत्तर प्रदेश में ओबीसी की सूची में इस समय 79 जातियां शामिल हैं. आयोग के पास कुल 70 जातियों ने ओबीसी में शामिल होने के लिए प्रतिवेदन किया है, जिनमें से 39 जातियों को प्रतिवेदनों को मानकों के आधार पर विचार करने के लिए चयनित किया गया है. इसमें भाटिया, अग्रहरी, वैश्य, रुहेला, भाटिया, हिंदू कायस्थ, मुस्लिम कायस्थ, भूटिया, बगवां, दोहर, दोसर वैश्य, मुस्लिम शाह, केसरवानी वैश्य, हिंदू और मुस्लिम भाट जैसी जातियां शामिल हो सकती.
जसंवत सैनी ने कहा है कि यूपी में जिन भी जातियों ने ओबीसी में शामिल होने का आवेदन किया है. उनका प्रतिनिधित्व के आधार सहित तमाम बिंदुओं पर हम जातियों के सर्वेक्षण का कार्य चल रहा है. यूपी में जिन 39 जातियों का चयन किया गया है, उनमें से 24 जातियों का सर्वे हो चुका है जबकि 15 जातियों का सर्वे होना बाकी है. सर्वे पूरा होते ही आयोग राज्य सरकार से इस दिशा में सिफारिश करेगा. हालांकि, उन्होंने बताया कि उनके चेयरमैन बनने से पहले ही यूपी में इन जातियों के सर्वे का काम किया जा रहा था.
उत्तर प्रदेश ओबीसी आयोग 39 जातियों के ओबीसी सूची में शामिल होने की सिफारिश करता है तो इस पर योगी सरकार को फैसला करना होगा. यूपी चुनाव से पहले योगी सरकार अगर इन जातियों को ओबीसी का दर्जा देने का कदम उठाती है तो बीजेपी के लिए मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकता है, क्योंकि वैश्य समुदाय बीजेपी का परंपरागत वोटर माना जाता है. वो बिहार की तर्ज पर यूपी में ओबीसी में शामिल होने की मांग कर रहे हैं.
केंद्र के हाथ में ओबीसी की लिस्टिंग करने के अधिकार होने से केंद्र और राज्य की ओबीसी सूचियां अलग-अलग थी. लेकिन, अब ओबीसी बिल संसद से पास होने के बाद राज्यों को ओबीसी जाति की कैटेगरी बनाने का अधिकार मिल गया है. ऐसे में योगी सरकार चुनाव से पहले अपने राजनीतिक समीकरण को दुरुस्त करने के लिए उन्हें ओबीसी में शामिल करने का बड़ा दांव चल सकती हैं, जो बीजेपी के लिए सियासी तौर पर फायदा दिला सकता है.
बीजेपी की नजर यूपी में ओबीसी मतदाताओं पर है. 2014 और 2019 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा में बीजेपी ओबीसी मतों के सहारे ही सत्ता में आई है. ऐसे में बीजेपी ओबीसी मतों के लेकर संजीदा है. इसी मद्देनजर केंद्र सरकार ने नीट में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा की है, जिसे यूपी चुनाव में बीजेपी भुनाने में जुटी है. इसके अलावा यूपी में मुस्लिम मतों में सेंधमारी करने के लिए मुसलमानों की ओबीसी जातियों को साध रही है.