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Panchayat AajTak: गौशाला, भूसा, भोजन... कैसा था योगी आदित्यनाथ का आश्रम में शुरुआती जीवन?

उन्होंने कहा कि फर्क साफ है हमारे लिए सेवा ही साधन है. मुझे इस बात का गौरव है कि हमारे लिए संन्यास का धर्म होता है सेवा. जब मैंने संन्यास लिया था तो मेरे गुरुजी ने कहा था कि सेवा के किस काम को चुनना है तो मैंने गौसेवा के काम को चुनने की बात कही थी.

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panchayat aaj tak cm yogi adityanath
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स्टोरी हाइलाइट्स
  • 'पंचायत आज तक' में CM योगी आदित्यनाथ पहुंचे
  • आश्रम के शुरुआती जीवन की बातें भी साझा कीं

उत्तर प्रदेश की सियासी सरगर्मी के बीच सोमवार को आजतक के खास कार्यक्रम 'पंचायत आजतक लखनऊ' में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहुंचे. 'योगी है तो यकीन है' सेशन में जब उनसे 5 साल के कार्यकाल के बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सेवा ही साधन है. साथ ही उन्होंने आश्रम के शुरुआती जीवन की बातें भी साझा कीं.  

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सीएम योगी ने कहा कि फर्क साफ है हमारे लिए सेवा ही साधन है. मुझे इस बात का गौरव है कि हमारे लिए संन्यास का धर्म होता है सेवा. जब मैंने संन्यास लिया था तो मेरे गुरुजी ने कहा था कि सेवा के किस काम को चुनना है तो मैंने गौसेवा के काम को चुनने की बात कही थी. फिर मेरे गुरुजी ने कहा कि गौसेवा के साथ मंदिर में लंगर चलता है, उसकी व्यवस्था भी तुम देखो और याद रखना बिना भेदभाव के हर व्यक्ति लंगर में आकर भोजन पा ले, ये तुम्हें देखना है.

फिर मैंने दोनों व्यवस्था संभाली और उस चीज को महसूस किया. गौसेवा भी देखता था कि साफ-सफाई है कि नहीं है? वहां चारा समय पर आया कि नहीं आया?  हरा चारा है कि नहीं? चोकर है कि नहीं है? गुड़ की व्यवस्था के लिए मंदिर में गुड़ फार्म डाल दिया ताकि शुद्ध गुड़ आए. कई बार वहां चारा कम पड़ जाता है तो मैंने वहां कई भूसाला बनवा दिये. अप्रैल में मैं भूसा इकट्ठा करवाता था जो हमें एक रुपये में पड़ता था. ऑफ सीजन में वही भूसा 15-16 रुपये पड़ता था तो सस्ते में हमारा सारा काम चलता था.  

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वहीं, मंदिर में भोजन का भी कार्यक्रम चलता था. रोजाना 12 से 15 सौ लोग आते थे. मैं सालभर के लिए व्यवस्था करवाता था. मैं प्लानिंग बनाकर चलता था कि साल में कितना दाल, चीन, चावल, घी, गेंहू लगेगा. उसके स्टोरेज की व्यवस्था रखता था. फिर एक दिन मैं अपने गुरुजी से पूछा आपने मुझे इस पर क्यों लगाया तो उन्होंने कहा कि अब जिधर तुम्हें जाना है उस तरफ का रास्ता तैयार करा रहा हूं. तुम्हें चुनाव लड़ना है. हालांकि मैंने चुनाव के उद्देश्य से संन्यास नहीं लिया था. 

सीएम योगी ने कहा कि वे 1998 में पहली बार गोरखपुर से सांसद बने थे, एक ही साल में राजनीति का मिजाज देखकर ऊब गए थे. उन्होंने 1999 में अपने गुरु से कहा था कि वो चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं. लेकिन कुछ ऐसे हालात बने जिससे उन्हें राजनीति में पूरी तरह उतरना पड़ा. बता दें कि योगी आदित्यनाथ 1998, 99, 2004, 2009 और 2014 में लगातार गोरखपुर से सांसद रहे हैं.  

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