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UP Election: 'श्मशान-कब्रिस्तान' और आतंकवाद.. स्पीच नई-पैटर्न वही, यूपी में 2017 के फॉर्मूले पर बीजेपी

यूपी चुनाव में अचानक आतंकवाद का मुद्दा गरमा गया है. बीजेपी 2017 के पैटर्न पर ही अपना सियासी एजेंडा सेट करती दिखाई पड़ रही है. पिछली बार के चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी ने श्मशान-कब्रिस्तान, रमजान-दिवाली का मुद्दा उठाकर सपा को घेरा था तो इस बार चुनाव में आतंकवाद की एंट्री कराई है.

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 यूपी चुनाव प्रचार में जुटे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
यूपी चुनाव प्रचार में जुटे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बीजेपी 2017 के पैटर्न पर सियासी एजेंडा सेट कर रही
  • पिछली बार तीसरे चरण के दिन श्मशान-कब्रिस्तान
  • आतंकवाद की एंट्री से किसे मिलेगा सियासी फायदा

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जाटलैंड, मुस्लिम-यादव बेल्ट के बाद वोटों के बदलते समीकरण के साथ ही तीसरे चरण से चुनावी मुद्दों और भाषणों की टोन भी पूरी तरह बदल गई है. 2017 के चुनाव में ऐसा ही राजनीतिक पैटर्न देखने को मिला था, जब तीसरे चरण की वोटिंग के दिन ही पीएम मोदी ने 'श्मशान, कब्रिस्तान, रमजान' जैसे बयानों से चुनावी हवा पूरी तरह से बदल दी थी. इस बार भी तीसरे फेज की वोटिंग के दिन ही पीएम ने 'आतंकवाद' पर सपा को घेरते हुए चुनावी नैरेटिव सेट करने की कोशिश की. बीजेपी के तमाम शीर्ष नेताओं के भाषणों का पैटर्न में कुछ ऐसा ही है. सवाल ये है कि 2017 का बीजेपी का ये विनिंग फॉर्मूला क्या 2022 में भी वही नतीजे दोहरा पाएगा?

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बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव में शुरुआती दो चरण में पश्चिमी यूपी के इलाके की सीटों पर वोटिंग हो चुकी थी और तीसरे चरण में अवध के क्षेत्र सीटों पर वोटिंग चल रही थी. पीएम मोदी 19 फरवरी 2017 को चौथे चरण के चुनाव प्रचार के लिए फतेहपुर पहुंचे थे और उन्होंने एक बयान से सूबे की सियासी फिजा को पूरी तरह बदल दिया था. प्रधानमंत्री ने कहा था 'रमजान में बिजली आती है तो दिवाली में भी आनी चाहिए. अगर कब्रिस्तान है तो श्मशान भी होना चाहिए. शासन का मंत्र भेदभाव नहीं सबका साथ सबका विकास होना चाहिए.

यूपी चुनाव में चल गया था कब्रिस्तान-श्मशान का मुद्दा

मोदी के कब्रिस्तान-श्मशान और रमजान-दिवाली के बयान ने ऐसा चुनावी एजेंडा सेट किया था कि चुनाव का पूरा समीकरण बदल गया था. पीएम ने कथित तौर पर धर्म के आधार पर भेदभाव का मुद्दा उठाकर यूपी चुनाव में नई सियासी बहस छेड़ दी थी, जिसके चलते तमाम बाकी मुद्दे पीछे छूट गए थे. यूपी के बाकी चार चरणों के चुनाव प्रचार में सिर्फ कब्रिस्तान-शमशान और रमजान-दिवाली का ही मुद्दा छाया हुआ था. पीएम ने इस तरह अवध, बुंदेलखंड और पूर्वांचल की सीटों की सियासी हवा पूरी तरह बदल दी थी. 

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2017 में यह पहला मौका था जब पीएम मोदी ने सीधे-सीधे धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव का मुद्दा उठाते हुए सपा को घेरा था. इस बयान के बाद चुनावी मैदान में बड़ा तूफान खड़ा हो गया था और विरोधी चुनाव में वोट के लिए ध्रुवीकरण यानी हिंदू-मुस्लिम की बात करने का आरोप लगाया था. वहीं, इस बार के चुनाव में भी नरेंद्र मोदी से लेकर योगी आदित्यनाथ तक के भाषणों का मजमून भी कुछ वैसा ही है और तीसरे चरण के वोटिंग के दिन ही 'आतंकवाद' के मुद्दे पर सपा को घेर कर सियासी बहस छेड़ दिया है.  

यूपी में तीसरे चरण का मतदान कब हुआ?

2022 विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण की सीटों पर रविवार (20 फरवरी) को वोटिंग चल रही थी और पीएम मोदी चौथे चरण के लिए अवध क्षेत्र के हरदोई में चुनावी प्रचार करने उतरे थे. इस दौरान उन्होंने आतंकी घटनाओं का जिक्र करते हुए सपा को निशाने पर लिया. पीएम मोदी ने कहा, 'पहले दिल्ली, मुंबई, लुधियाना में सीरियल ब्लास्ट होते थे. गुजरात के हम मुख्यमंत्री थे तो उस दौरान अहमदाबाद में सीरियल बम ब्लास्ट हुआ. मैं उसे कभी भूल नहीं सकता हूं. मैंने उस रक्त से गीली मिट्‌टी को उठाकर शपथ ली थी कि मेरी सरकार आई तो इन्हें सजा दिलाई जाएगी. अभी दो दिन पहले उन्हें अदालत ने सजा सुनाई है और कई आतंकियों को फांसी की सजा हुई.'

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पीएम मोदी ने साइकिल और बम पर क्या बयान दिया
 
पीएम ने कहा था कि आतंकियों ने समाजवादी पार्टी के चुनाव निशान साइकिल पर बम रखे थे. उस समय हैरान था कि ये आतंकी धमाकों में साइकिल का इस्तेमाल क्यों करते थे. उसी दौरान समाजवादी पार्टी की सरकार ने आतंकियों को बचाने का प्रयास किया, लेकिन कोर्ट ने इनके मंसूबों को कामयाब नहीं होने दिया. आतंकियों को सपा की सरकार में केस वापस लेने का गिफ्ट दिया जा रहा था. उन्होंने कहा कि इन सपा वालों को दोबारा सत्ता में आने का मौका न देना. सपा पर हमला करते हुए कहा कि जो तुष्टिकरण की राजनीति में हमारे त्योहारों को रोकते थे, उन्हें यूपी की जनता का उत्तर 10 मार्च को मिल जाएगा. 

पीएम मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक, हर बड़ा नेता अब अपनी रैलियों में आतंकवाद मुद्दे पर नैरेटिव सेट करने में जुट गई. बीजेपी नेता ऐसा बताने का प्रयास कर रहे है कि सपा आतंकवादियों को संरक्षण देती है, अगर सपा की सरकार बन गई तो सभी आतंकियों के मुकदमे वापस ले लिए जाएंगे. 

योगी ने कहा कि नाम समाजवादी, काम आतंकवादी और सोच परिवारवादी है. योगी ने दावा कर दिया कि सपा ने एक आतंकी के पिता को अपना स्टार प्रचारक बना दिया है, लेकिन वे अपने चाचा शिवपाल को बैठने के लिए एक कुर्सी भी नहीं दे पाते. सीएम ने आरोप लगाया कि सपा आतंकियों को इसलिए ढोते फिरती है जिससे जनका की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया जा सके. इस तरह मोदी और योगी आतंकवाद के इर्द-गिर्द चुनावी एजेंडा सेट करने में जुट गए हैं. 

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दरअसल, बीजेपी 2017 के सियासी पैटर्न पर ही सियासी एंजेडा सेट कर रही है और जिस तरह से तीसरे चरण की वोटिंग के दिन ही आतंकवाद के मुद्दे की एंट्री कराई गई है, उसके पीछे सोची समझी रणनीति है. यूपी में अब बाकी चरण की जिन इलाके की सीटों पर चुनाव है, वहां पर जातीय समीकरण ही हावी है. जाति की पिच पर बीजेपी घिर जाती है जबकि धार्मिक और राष्ट्रवाद की पिच पर आक्रामक रहती है. यही वजह है कि बीजेपी ने अब राष्ट्रवाद के मुद्दे के साथ-साथ आतंकवाद पर सपा को घेरना शुरू कर दिया है ताकि उसे अपनी पिच पर लाया जा सके. ऐसे में देखना है कि इस बार बीजेपी का यह सियासी दांव कितना सफल रहता है. 

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