प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमूमन सरकारी कार्यक्रम में या किसी चुनावी जनसभा के मंच पर किसी नेता का हाथ पकड़ कर उसे नहीं उठाते. पीएम मोदी जेवर में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के शिलान्यास के मौके पर केशव मौर्य से बात करते नजर आए. पीएम मोदी ने सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का हाथ पकड़ा और फिर दोनों के हाथ एक साथ उठा दिया.
प्रधानमंत्री ने ये भी सुनिश्चित किया कि अगर योगी दाईं तरफ बैठे हैं तो उनके ठीक बगल में बाईं तरफ केशव मौर्य बैठें. पीएम मोदी की मंच पर बैठे-बैठे केशव प्रसाद मौर्य के साथ बातचीत की तस्वीरें भी सामने आईं. मंच पर प्रधानमंत्री मोदी और केशव मौर्य से काफी देर तक बातें करते रहे. प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन के दौरान केशव प्रसाद मौर्य को कर्मठ और अपना पुराना साथी बताया.
अगर इन तस्वीरों से सियासत को समझें तो एक बात साफ दिखाई देती है कि प्रधानमंत्री की ये कोशिश थी कि केशव प्रसाद मौर्य के मन में अगर कहीं भी कोई नाराजगी है तो उसे दूर किया जाए. लखनऊ एयरपोर्ट की तस्वीर से लेकर जेवर के मंच तक की तस्वीरें ये बयान करती हैं कि यूपी के इन दोनों शीर्ष नेताओं को एक पेज पर लाने की कोशिश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद शुरू कर दी है.
Farmers in large numbers gathered at the Singhu border to observe the first anniversary of protest against the three farm laws pic.twitter.com/gDBjr2VLgN
— ANI (@ANI) November 26, 2021
बॉडी लैंग्वेज के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न सिर्फ सियासत साध रहे हैं बल्कि रुठे को मना भी रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी इन दिनों तस्वीरों के जरिए उत्तर प्रदेश की सियासत को बड़ा संकेत दे रहे हैं तो वहीं पार्टी के अंदर ये तस्वीरें हलचल भी मचा रही हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केशव मौर्य दोनों की आपसी केमिस्ट्री सियासत में किसी से छिपी नहीं है लेकिन चुनाव में इसका नुकसान न उठाना पड़े. इसलिए पार्टी का शीर्ष नेतृत्व बैलेंस करने की कोशिश करता नजर आ रहा है.
केशव मौर्य की कम सक्रियता से खड़े हुए पार्टी के कान
केशव प्रसाद मौर्य ने सार्वजनिक रूप से कभी नाराजगी जाहिर नहीं की है लेकिन उनकी सक्रियता में आई कमी ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कान खड़े कर दिए. पिछले दिनों जब सुल्तानपुर, महोबा और झांसी में प्रधानमंत्री मोदी के बड़े कार्यक्रम हुए तब केशव मौर्य मंच पर नजर नहीं आए. प्रधानमंत्री के लगातार तीन बड़े कार्यक्रम हुए और तीनों कार्यक्रमों में केशव प्रसाद मौर्य नजर नहीं आए. जिस समय गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लखनऊ में डीजीपी काॉन्फ्रेंस के लिए लखनऊ में रूके थे उसके पहले ही केशव प्रसाद मौर्य धार्मिक यात्रा पर निकल गए थे.
केशव प्रसाद मौर्य ने सार्वजनिक रूप से नाराजगी जाहिर नहीं की लेकिन पार्टी के लिए संदेश साफ था. पीएम मोदी जब लखनऊ से नई दिल्ली लौट रहे थे, उस दिन की दो तस्वीरें सामने आई थीं. पहली तस्वीर में पीएम मोदी ने सीएम योगी के कंधे पर हाथ रखा था तो दूसरी तस्वीर में वे केशव प्रसाद मौर्य से गर्मजोशी से मिलते नजर आए थे. ये दोनों तस्वीरें डैमेज कंट्रोल से जोड़कर देखा जा रहा था. गौरतलब है कि केशव प्रसाद मौर्य भी फायर ब्रांड नेता माने जाते हैं लेकिन पिछले कुछ समय से उनकी सक्रियता कम थी.
मुश्किल भरा हो सकता है केशव को नजरअंदाज करना
यूपी चुनाव में जिस तरीके से समाजवादी पार्टी ओबीसी कार्ड खेल रही है और एमवाई समीकरण छोड़कर ओबीसी को लुभाने में लगी है, बीजेपी को कहीं ना कहीं इस बात का अंदेशा है कि अगर सपा ओबीसी वोट बैंक में सेंध लगाने में सफल रही तो पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. यूपी के विधानसभा चुनाव में केशव प्रसाद मौर्य को नजरअंदाज करना पार्टी के लिए मुश्किलों का सबब हो सकता है.