उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का अभी भले ही औपचारिक ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन सियासी दलों ने अपने-अपने चुनावी अभियान तेज कर दिए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को पूर्वांचल के गोरखपुर को विकास की सौगात से नवाजेंगे. वहीं, सपा प्रमुख अखिलेश यादव और आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी पश्चिमी यूपी के मेरठ से चुनावी हुंकार भरेंगे. सपा-आरएलडी गठबंधन के बाद दोनों नेता एक साथ पहली बार चुनावी मंच पर नजर आएंगे.
पूर्वांचल में मोदी-योगी
सीएम योगी के गढ़ पूर्वांचल को विकास की सौगात देकर पीएम मोदी 2022 के चुनावी माहौल को बीजेपी के पक्ष में बनाने का काम करेंगे. मोदी गोरखपुर में खाद कारखाने से लेकर एम्स और आरएमआरसी की लैब का लोकार्पण करेंगे. बीजेपी के लिए पूर्वांचल का किला बचाने की चुनौती है, जिसका जिम्मा सीएम योगी से लेकर पीएम मोदी तक ने संभाल लिया है. मोदी डेढ़ महीने में चौथी बार पूर्वांचल के दौरे पर हैं. पीएम मोदी के अलावा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी पूर्वांचल में रैली कर चुके हैं.
गोरखपुर में फर्टिलाइजर के नाम से मशहूर खाद कारखाना 20 अप्रैल, 1968 को शुरू हुआ था, लेकिन 1990 में बंद कर दिया गया था. पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद साल 2016 को खाद कारखाने का शिलांन्यास किया गया था, जो अब बनकर तैयार है. साथ ही पीएम मोदी गोरखपुर में बने एम्स और आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र की नौ बायोसेफ्टी लेवल (बीएसएल) टू प्लस लैब भी राष्ट्र को समर्पित करेंगे.
पश्चिमी यूपी में अखिलेश-जयंत
किसान आंदोलन के चलते सभी की निगाहें 2022 के विधानसभा चुनाव में पश्चिमी यूपी पर है. बीजेपी पिछले चुनाव में विपक्ष का सफाया पश्चिमी यूपी में कर दिया था, लेकिन किसान आंदोलन के चलते माहौल काफी बदल गया है. सपा-आरएलडी ने हाथ मिला लिया है और अब मेरठ में मंगलवार को पहली बार जयंत चौधरी और अखिलेश यादव एक साथ चुनावी रैली कर अपने खोए हुए जनाधार को वापस लाने की कवायद करेंगे.
अखिलेश-जयंत मेरठ रैली के जरिए बीजेपी को अपनी ताकत का एहसास भी कराना चाहते हैं, जिसके लिए सपा-आरएलडी ने पूरी ताकत झोंक दी है. हालांकि, पहले यह आरएलडी की ही रैली थी, लेकिन बाद में इसे गठबंधन की रैली में तब्दील कर दिया गया. यह पहला मौका होगा, जब दोनों नेता चुनाव से पहले एक साथ होंगे. इस दौरान 36 गांवों के अलग-अलग समाज के लोग चौधरी जयंत सिंह और अखिलेश यादव को मंच पर पगड़ी बांधेंगे, जिसके जरिए पश्चिमी यूपी को सियासी संदेश देने की रणनीति बनाई गई है.
सपा-आरएलडी गठबंधन तय है, लेकिन सीट बंटवारे को लेकर अभी तक कोई औपचारिक एलान नहीं हुआ है. हालांकि, 32 से 36 सीटें आरएलडी को मिल सकती हैं. इसकी घोषणा भी अखिलेश-जयंत मेरठ रैली से करेंगे. यह बात खुद जयंत ने कही है कि हमारी परंपरा है कि फैसले बंद दरवाजों के पीछे नहीं लिए जाते हैं, जनता में चर्चा होती है. हम अपने सभी संदेश सात दिसंबर को मेरठ रैली से देंगे.
बता दें कि अखिलेश यादव और जयंत चौधरी के साथ आने से राजनीतिक जानकार ये तो तय मान रहे हैं कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी को नुकसान हो सकता है. अखिलेश यादव और जयंत चौधरी ने बीजेपी के इस नुकसान का पूरा फायदा उठाने की तैयारी कर ली है. जयंत चौधरी की पार्टी का पश्चिमी यूपी के 13 जिलों में प्रभाव माना जाता है. अगर ये गठबंधन वोट बटोरने में कामयाब रहा, तो बीजेपी की राहें वाकई मुश्किल हो सकती हैं.