वैसे तो कांग्रेस की डूबती हुई नैया बचाने का जिम्मा हर कांग्रेसी का है, लेकिन जब बात परिवार की आती है तो प्रियंका गांधी उसे अपने कंधों पर उठाती नजर आ रही हैं. उत्तर प्रदेश का प्रभार अपने कंधों पर लेकर प्रियंका गांधी बीते कई महीनों से उत्तर प्रदेश की सड़कों पर द्वंद्व करती भी नजर आ रही हैं.
2017 में रायबरेली की दो विधानसभा सीटों पर कांग्रेस को सफलता हासिल की थी, लेकिन बाद में दोनों ही कांग्रेसी विधायक भाजपाई हो गए, जिसके बाद गांधी के घर यानी रायबरेली में एक भी सीट कांग्रेस के पास नहीं बची. अब कांग्रेस रहित रायबरेली में कांग्रेस को जिताने के साथ-साथ इन बागियों को भी सबक सिखाने के लिए प्रियंका गांधी आज (19 फरवरी) से 2 दिन के दौरे पर रायबरेली आने वाली हैं.
दुर्ग को बचाने के लिए प्रियंका गांधी ने दूसरी पार्टी से आए बागी पूर्व विधायकों को नेताओं को अपने यहां टिकट भी दिए. हरचंदपुर से पंजाबी सरेनी से सुधा द्विवेदी तो ऊंचाहार विधानसभा से अतुल सिंह को अपनी पार्टी का प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा है. सूत्रों की माने तो उनकी पहली प्राथमिकता बागियों को हराने की है यानी कि उनके निशाने पर सीधे तौर में रायबरेली की सदर सीट और हरचंदपुर सीट है, जहां वह किसी भी हालत में अदिति सिंह और राकेश सिंह को हराने के हरसंभव प्रयास करने में लगी हैं.
गढ़ बचाने के लिए प्रियंका गांधी 2 दिनों में 7 नुक्कड़ सभाएं और दो बड़ी जनसभाओं को संबोधित करेंगी. अपने कार्यक्रमों में करीब 10.45 बजे लखनऊ से निकलने के बाद प्रियंका गांधी की पहली नुक्कड़ सभा जो जोहवाशर्की होते गुरुबक्सगंज, खीरों, सेमरी होते हुए सरेनी विधानसभा जनसभा के बाद डलमऊ नुक्कड़ सभा करते हुए शाम को 5. 35 पर भुएमऊ गेस्ट हाउस पहुंचेंगी.
दूसरे दिन सुबह 9 बजे ऊंचाहार विधानसभा की जगतपुर में नुक्कड़ सभा करेंगी, जिसके बाद ऊंचाहार विधानसभा की बाबूगंज ऊंचाहार गदागंज गौरा रहेंगी. इसके बाद करीब 11.40 पर सदर विधानसभा की शहरी क्षेत्र में अपने कार्यक्रम को आगे बढ़ाएंगी, जहां डिग्री कॉलेज चौराहा से लेकर त्रिपुला चौराहे तक जनसंपर्क कार्यक्रम रखा गया है. दोपहर करीब 1 बजे बछरावां विधानसभा पहुंचेगी, जहां करीब 2 बजे पछतावा में एक जनसभा, 2.50 बजे महाराजगंज में जनसंपर्क कार्यक्रम तय किया गया है.
प्रियंका गांधी के दो दिवसीय कार्यक्रम को लेकर कांग्रेसियों में उत्साह है लेकिन वह उत्साह जमीन पर वोटरों को घर से निकालने में कितना कारगर होगा ये तो 10 मार्च को पता चल ही जाएगा. फिलहाल प्रियंका गांधी के साथ साथ रायबरेली में कांग्रेस का जिम्मा उठाने वाले रणनीतिकारों के लिए भी इस बार का चुनाव खासा चुनौतीपूर्ण होने वाला है.