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Raja Bhaiya: कौन हैं गुलशन यादव जो कुंडा में राजा भैया के सियासी साम्राज्य के लिए बने सबसे बड़ी चुनौती?

Raja Bhaiya kunda seat: उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले की कुंडा सीट पर राजा भैया के खिलाफ सपा ने गुलशन यादव को उम्मीदवार बना दिया है. गुलशन यादव कभी राजा भैया के करीबी रहे हैं, लेकिन अब उन्हीं के सियासी साम्रज्य के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गए हैं.

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गुलशन यादव और राजा भैया
गुलशन यादव और राजा भैया
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कुंडा के सियासी समीकरण राजा भैया के खिलाफ
  • गुलशन यादव 10 साल से कुंडा की नगर पंचात पर काबिज
  • गुलशन के भाई प्रतापगढ़ के सपा जिला अध्यक्ष

उत्तर प्रदेश की सियासत में तीन दशक से प्रतापगढ़ जिले की कुंडा सीट से निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने घेरने के लिए उन्हीं के सारथी पर बड़ा दांव लगाया है. कुंडा विधानसभा सीट पर सपा ने राजा भैया के खिलाफ गुलशन यादव को अपना प्रत्याशी बनाया है. कुंडा के सियासी समीकरण ऐसे हैं कि गुलशन यादव उन्हें अगर अपने पक्ष में करने में कामयाब रहे तो राजा भैया के सामने अपने राजनीतिक वर्चस्व को बचाए रखना आसान नहीं होगा? 

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अखिलेश सरकार के दौरान राजा भैया उनकी कैबिनेट का अहम हिस्सा हुआ करते थे. इससे पहले मुलायम सिंह की सरकार में भी राजा का दबदबा कायम था. 2017 में सपा के सत्ता से हटते हुए उनके रिश्ते बिगड़ गए. ऐसे में अब अखिलेश यादव ने 2022 के विधानसभा चुनाव में राजा भैया को सियासी सबक सिखाने की तैयारी कर ली है. यही वजह थी कि पहले प्रतापगढ़ में राजा भैया को अखिलेश ने पहचानने से साफ इनकार कर दिया और अब कुंडा सीट पर उनके करीबी रहे गुलशन यादव को उतार दिया है.  

कौन हैं गुलशन यादव?

प्रतापगढ़ जिले के कुंडा के मऊदारा ग्रामसभा में गुलशन यादव का जन्म हुआ है. गुलशन के पिता का नाम सुंदर लाल यादव है और वो तीन भाई हैं. छोटे भाई छविनाथ यादव समाजवादी पार्टी के प्रतापगढ़ के जिला अध्यक्ष  हैं. गुलशन यादव ने अपनी राजनीतिक पारी का आगाज राजा भैया के सानिध्य में रहकर किया. गुलशन यादव एक सामान्य और परिवार से ताल्लुक रखते हैं. 

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करीब दो दशक साल पहले मायावती सरकार में राजा भैया पर पोटा लगा था, जिसके गवाह राजेंद्र यादव थे. राजेंद्र यादव की हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद गुलशन यादव चर्चा में आए थे और जेल गए थे. हालांकि, सपा सरकार में जेल से छूटकर बाहर आए गुलशन यादव विधायक राजा भैया के करीबी बन गए. यहीं से गुलशन यादव ने सियासत में कदम रखा और पहली बार मऊदारा के ग्राम प्रधान बने. इसके बाद से इस ग्राम सभा पर उनके ही परिवार का कब्जा है.  

दस साल से कुंडा के चेयरमैन

गुलशन यादव ने प्रधान बनने के बाद सियासत में मुड़कर नहीं देखा और वो 2011 में कुंडा नगर पंचायत का चेयरमैन बनने में कामयाब रहे. इसके बाद 2017 में गुलशन यादव जेल में रहते हुए कुंडा नगर पंचायत के चेयरमैन पद के चुनाव में अपनी पत्नी सीमा यादव को राजा भैया के प्रत्याशी के खिलाफ खड़ा कर जिताने में कामयाब रहे. सपा सरकार में पुलिस डीएसपी जियाउल हक की हत्या मामले में राजा भैया के साथ-साथ गुलशन यादव का भी नाम आया था. इसके बाद कुंडा में राजा के करीबी पुष्पेंद्र सिंह पर जानलेवा हमले के मामले में गुलशन यादव को गिरफ्तार किया गया था और इसी मामले में पिछले 4 साल तक जेल में बंद रहे, लेकिन जेल से बाहर आने के बाद सियासी तौर पर सक्रिय हैं. 

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गुलशन यादव के भाई छविनाथ सपा के जिला अध्यक्ष हैं. इतना ही नहीं गुलशन की मां मऊदारा से ग्राम प्रधान हैं और उनके भाई छविनाथ करेटी गांव से प्रधान है. मऊदारा गांव के आसपास इलाके में गुलशन यादव की सियासी तूती बोलती है. ऐसे में राजा भैया ने सपा से अलग होकर जनसत्ता पार्टी बनाई तो गलुशन यादव और छविनाथ यादव ने सपा में ही रहने का फैसला किया. ऐसे में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी उन्हें सियासी अहमियत देना शुरू किया और कुंडा खासकर गुलशन यादव के घर तक गए.

सपा ने 2 दशक के बाद उतारा प्रत्याशी 

दरअसल, राजा भैया साल 1993 से लगातार निर्दलीय विधायक चुने जाते आ रहे हैं और सपा और बीजेपी के सहयोग से मंत्री बनते रहे. सूबे में बीजेपी के कल्याण सिंह से लेकर राम प्रकाश गुप्ता और राजनाथ सिंह की सरकार में मंत्री रहे तो मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री काल में सत्ता में बन रहे. ऐसे में पिछले ढाई दशक से सपा कुंडा में राजा भैया के समर्थन में कई प्रत्याशी नहीं उतारती रही, जिसके चलते वो आसानी से कुंडा सीट से जीतते रहे हैं. लेकिन, इस बार सपा ने उनके खिलाफ अपना प्रत्याशी यादव प्रत्याशी उतार दिया है, जिससे राजा की सियासी राह कठिन हो सकती है. 

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अखिलेश यादव के साथ रिश्ते बिगड़ने के बाद राजा भैया ने जनसत्ता दल नाम से अपनी राजनीतिक पार्टी बना ली. 2019 लोकसभा के चुनाव में पार्टी से दो सीटों कौशांबी और प्रतापगढ़ सीट पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन दोनों में से कोई भी जीत नहीं सका था. कुंडा क्षेत्र में यादव मतदाताओं का दबदबा है. राजा भैया कुंडा में यादव, पासी, मुस्लिम और ठाकुर वोटरों के सहारे सियासी दबदबा कायम किए थे, क्योंकि ब्राह्मण वोटर यहां उनके खिलाफ शुरू से रहा है. 

कुंडा का जातीय समीकरण 

कुंडा विधानसभा सीट के सियासी समीकरण को देखें तो सपा के पक्ष में दिख रहा है. यहां पर 75 हजार यादव, 50 हजार ब्राह्मण, 55 हजार मुस्लिम, 30 हजार कुर्मी, 18 हजार ठाकुर, 15 हजार मौर्य, 10 वैश्य और 90 हजार के करीब दलित मतदाता है, जिनमें पासी सबसे ज्यादा हैं. बसपा छोड़कर सपा में आए पूर्व मंत्री इंद्रजीत सरोज और गुलशन यादव और छविनाथ यादव एकजुट हो गए हैं. 

सपा के इस तिकड़ी ने जिला पंचायत के चुनाव में राजा भैया को पसीने छुड़ा दिए थे. सपा ने कुंडा क्षेत्र में अपने दो जिला पंचायत सदस्य पासी समुदाय से जिताए थे. कुंडा से सपा प्रत्याशी गुलशन यादव अगर सपा के कोर वोटबैंक यादव और मुस्लिम के साथ-साथ दलित और ब्राह्मण वोटों को अपने पक्ष में करने में कामयाब रहते हैं तो राजा के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं. 

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यादव-मुस्लिम के छिटकने का डर 

गुलशन यादव के उतरने से कुंडा सीट पर यादव वोटों के छिटकने का डर राजा भैया को साफ नजर आ रहा है. इसीलिए वो पिछले दिनों कुर्मी वोटों को साधने के लिए पहले जिला पंचायत की कुर्सी पर कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी के समर्थन से कुर्मी समुदाय को जिताया. इसके बावजूद पहली बार राजा भैया को गांव-गांव जाकर वोट मांगना पड़ रहा है जबकि इससे पहले तक सिर्फ उनके फरमान ही जारी हुआ करते थे. ऐसे में देखना है कि कुंडा सीट पर किस तरह का सियासी घमासान होता है.  

 

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