प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के ऐलान के बाद भी किसान मानने को तैयार नहीं है. सोमवार को लखनऊ में राकेश टिकैत किसान महापंचायत के दौरान केंद्र सरकार पर जमकर बरसे.
इतना ही नहीं टिकैत ने साफ कर दिया की जब तक सरकार उनकी सभी मांगों को पूरा नहीं करेगी तब तक वो अपना आंदोलन खत्म नहीं करेंगे. किसान अब न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी की एमएसपी पर कानून की मांग को लेकर अड़ गए हैं.
कृषि कानून वापस लिए जाने के फैसले का श्रेय किसे जाते हैं इस पर राकेश टिकैत ने प्रधानमंत्री पर हमला बोलते हुए कहा कि आंदोलन के दौरान जो 750 किसानों की शहादत (मौत) हुई उसका श्रेय भी पीएम मोदी को जाता है.
उन्होंने कहा, 'दिल्ली की चमकीली कोठियों में बैठने वालों को समझाने में हमें एक साल लग गया और जो लोग बात करने आते थे उनकी भाषा भी दूसरी होती थी. उन्हें समझाने में 12 महीने बीत गए.'
टिकैत ने लगे हाथों आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों की याद में स्मृति स्थल बनाने के लिए मोदी सरकार से सिंघु बॉर्डर पर जमीन देने की मांग भी रख दी.
टिकैत ने लखनऊ में महापंचायत के दौरान कहा कि सरकार की मंशा पूरे देश को प्राइवेट मंडी बनाने का है. इसलिए संघर्ष रोकने का प्रस्ताव हमने ठुकरा दिया और अभी ये आंदोलन जारी रहेगा.
ये भी पढ़ें: