विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सहयोगी संगठन और योगी सरकार के मंत्रियों की सोमवार को आमने-सामने बैठक हुई. संघ के सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल की मौजूदगी में आरएसएस और सरकार की समन्वय बैठक में 2022 के चुनाव को लेकर मंथन किया गया. संघ की एक पाठशाला में प्रदेश सरकार के कामकाज और कामकाज के तरीकों पर चर्चा हुई और योगी सरकार के मंत्रियों को नया टॉस्क दिया गया है.
लखनऊ के कुर्सी रोड पर स्थित एक होटल में आरएसएस और सरकार के बीच हुई समन्वय बैठक में संघ के सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल के साथ, अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आम्बेकर, अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख अनिल ओक भी मौजूद थे.
समवन्य बैठक में अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाले इन संगठनों में काम करने वाले प्रतिनिधियों ने कानून-व्यवस्था, शिक्षा और रोजगार, कृषि जैसे मामलों पर सरकार के मंत्रियों को विभागों के हिसाब से सुझाव दिए. इसी के साथ यह भी बताया कि किस क्षेत्र में सरकार की ओर से काम करने में क्या कमी रह गई है.
संघ ने सरकार को सुझाव दिया है कि अगर इन शिकायतों को कुछ महीने में दूर कर लिया जाए तो अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में बेहतर नतीजे आ सकते हैं. साथ ही यह भी सुझाव दिया गया कि सरकार इन सभी सहयोगी संगठनों के साथ समन्वय बनाकर काम करे. संघ इससे पहले भी योगी सरकार के मंत्रियों को यह बात कह चुका है.
सोमवार को ही देर शाम आरएएस के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने सीएम योगी आदित्यनाथ, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और संगठन महामंत्री सुनील बंसल के साथ बैठक कर भविष्य को लेकर किए जाने वालों कामों का रोडमैप भी तैयार किया. यह 2022 के यूपी चुनाव को लेकर मंथन किया जा रहा है.
आरएसएस और सरकार के बीच हुई बैठक को तीन हिस्सों में बांटा गया था. इसमें एक सत्र में रोजगार, उद्योग और कृषि से जुड़े सत्र में इन क्षेत्रों में आने वाली समस्याओं के साथ भविष्य में किए जाने वाले सुधारों की बात हुई. इस सत्र में औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना, कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, खादी और लघु मध्यम उद्योग मंत्री मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह, गन्ना मंत्री सुरेश राणा भी मौजूद थे.
इस दौरान लघु उद्योग भारती, भारतीय मजदूर संघ जैसी संस्थाओं में काम करने वालों ने अलग-अलग सुझाव दिए. कहा गया कि कृषि उत्पादों को खरीदने के लिए क्रय केंद्र बढ़ाए जाने चाहिए. इस बात पर नाराजगी व्यक्त की गई कि गन्ना किसानों को हम भुगतान तो कर रहे हैं पर उन्हें जानकारी नहीं दे रहे हैं. सभी जिलों में एक जिला एक उत्पाद का कार्यक्रम चल रहा है पर उसमें कुछ और स्थानीय उत्पादों को जोड़ने की जरूरत है. औद्योगिक विकास विभाग को जमीन देने से पहले वहां विकास करना चाहिए.
वहीं, शिक्षा के सत्र में विद्या भारती, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और शैक्षिक महासंघ जैसे संगठनों ने कोरोना काल में वित्त विहीन शिक्षकों के मानदेय पर ध्यान देने, संस्कृत शिक्षकों का मानदेय बढ़ाने और शोध पीठ की सक्रियता बढ़ाने जैसे मुद्दों पर सुझाव दिए. संघ की बैठक में कानून-व्यवस्था के सत्र में धर्मांतरण, गोरक्षा जैसे कानूनों पर मंथन हुआ तो यूपी में बेहतर कानून-व्यवस्था को लेकर तारीफ की गई.