scorecardresearch
 

Rudrapur Assembly Seat: देवरिया का हाईप्रोफाइल सीट, क्या बीजेपी का लगेगा जीत का चौका

देवरिया जिले के तहत आने वाले रुद्रपुर विधानसभा सीट (Rudrapur Assembly Seat) का राजनीतिक इतिहास बहुत ही पुराना है. यहां 1952 से लेकर 2017 तक विधानसभा के जो आम चुनाव, मध्यावधि चुनाव और उपचुनाव हुए उसमें अब तक कांग्रेस का ही दबदबा रहा है.

Advertisement
X
Rudrapur Assembly Seat
Rudrapur Assembly Seat
स्टोरी हाइलाइट्स
  • शिवलिंग श्री दुग्धेश्वर नाथ बाबा के रूप में यहां विराजमान
  • चीनी यात्री ह्वेनसांग ने मंदिर का वृतांत भारत यात्रा में लिखा
  • 2017 में भाजपा से जय प्रकाश निषाद चुनाव जीते, मंत्री बने

उत्तर प्रदेश विधानसभा में रुद्रपुर विधानसभा सीट की क्रम संख्या 336 है. रुद्रपुर सीट देवरिया जिले में आती है बाढ़ से ग्रस्त रुद्रपुर यूं तो पिछले क्षेत्रों में शुमार होता है लेकिन इसका पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व काफी है. साथ में हाई प्रोफाइल सीट के रूप में जानी जाती है. कभी कांग्रेस के लिए यह सीट उसका गढ़ हुआ करता था, तो भारतीय जनता पार्टी भी यहां से 3 बार जीत हासिल कर चुकी है.

Advertisement

देवरिया मुख्यालय से 20 किलोमीटर पश्चिम में रुद्रपुर स्थित है. पौराणिक, पुरातात्विक, ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व के रूप में स्वयम्भू शिवलिंग श्री दुग्धेश्वर नाथ बाबा के रूप में यहां विराजमान है, जिन्हें दूसरी काशी भी कहा जाता है. चीनी यात्री ह्वेनसांग ने इस पौराणिक मंदिर का वृतांत भारत यात्रा के दैरान अपनी पुस्तक में किया है. दूर-दूर से भक्त यहां बाबा के जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं.

सामाजिक तानाबाना
रुद्रपुर में सतासी स्टेट राजघराना है यहां के राजा उदित प्रताप नारायण सिंह ने अंग्रेज़ों के दांत खट्टे कर दिए थे जिसकी वजह से इन्हें काला पानी की सजा हुई जिसके दौरान इनकी मौत हो गई.

रुद्रपुर में शुरुआती दौर में मतदाताओं का रुझान कांग्रेस पार्टी की तरफ रहा लेकिन बाद में हवा के रुख को देखते हुए मतदाताओं ने अपना वोट बदलना करना शुरू कर दिया. यही नहीं वोटर जातीय समीकरण भी देखने लगे जैसे कि यहां निषाद मतदाता बहुसंख्यक हैं. इसको देखते हुए भाजपा ने जय प्रकाश निषाद को उम्मीदवार बनाया और इनकी जीत हुई. जबकि कांग्रेस और सपा में हुए गठबंधन के बावजूद कांग्रेस के उम्मीदवार व पूर्व विधायक अखिलेश प्रताप सिंह को हार का सामना करना पड़ा.

Advertisement

इसे भी क्लिक करें --- Varanasi Cantt Assembly Seat: कभी नहीं टूटा परिवार का तिलिस्म, बीजेपी को हराना नामुमकिन!

रुद्रपुर का सामाजिक आर्थिक इतिहास देखने से यह प्रतीत होता है कि यह अति पिछड़ा क्षेत्र रहा है. यहां के लोगों की खेती किसानी मजदूरी ही मुख्यतः पेशा रहा है. रुद्रपुर की पहचान बाढ़ग्रस्त इलाके से की जाती रही है. यहां प्रतिवर्ष बाढ़ आती है जिससे दोआबा यानी राप्ती नदी और गोर्रा के बीच के 52 गांव इसकी चपेट में आते है. बाढ़ की वजह से सैकड़ों एकड़ फसल चौपट हो जाती है. यहां की आर्थिक आधार देखा जाए तो कृषि ही मुख्य पेशा है लेकिन यहां के लोगों की रोजी-रोटी के लिए पलायन मजबूरी बन गई है.

जातीय समीकरण पर नजर डालें तो यह निषाद बाहुल्य क्षेत्र है. यहां निषाद की आबादी करीब 38 हजार तो ब्राह्मण 35000, क्षत्रिय 21000, दलित 37000, यादव 42000, सैठवार 18000, वैश्य 30000, मुस्लिम 15000 व अन्य 8000 है.

राजनीतिक इतिहास
रुद्रपुर विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास बहुत ही पुराना है. यहां सन 1952 से लेकर 2017 तक विधानसभा के जो आम चुनाव, मध्यावधि चुनाव और उपचुनाव हुए उसमें अब तक कांग्रेस का ही दबदबा रहा है. 1952 में रामजी सहाय कांग्रेस से विधायक हुए. 1957 में दुबारा कांग्रेस की सीट पर रामजी सहाय चुनाव जीते. रामजी सहाय स्वतंत्रता सेनानी थे और इनके नाम पर रुद्रपुर में इंटर कालेज और डिग्री कालेज है.

Advertisement

1962 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से चन्द्रबली सिंह ने इस सीट पर जीत दर्ज की तो 1967 में यह सीट आरक्षित हो गई जिस पर डॉक्टर सीताराम कांग्रेस से विधायक चुने गए. 1969 में हुए मध्यवधि चुनाव में दोबारा कांग्रेस से डॉक्टर सीताराम विधायक हुए. 1974 में राजेंद्र प्रसाद गुप्ता कांग्रेस से विधायक निर्वाचित हुए. 1977 में प्रदीप बजाज ने जनता पार्टी से जीत दर्ज की.

सन 1980 के मध्यावधि चुनाव में भास्कर पांडेय कांग्रेस से विधायक चुने गए. 1984 में कांग्रेस से गोरख नाथ जीते तो वहीं 1989 में जनता दल से मुक्तिनाथ यादव विधायक बने. 1991 में हुए मध्यावधि चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज की और यहां से जय प्रकाश निषाद विधायक चुने गए. 1993 में हुए दोबारा मध्यावधि चुनाव में सपा ने बाजी मार ली यहां से मुक्तिनाथ यादव सपा से विधायक बने. 1996 में भाजपा की वापसी हुई तो जय प्रकाश निषाद विधायक निर्वाचित हुए. 2002 में सपा की सीट से अनुग्रह नारायण सिंह उर्फ खोखा सिंह विधायक हुए. जबकि 2007 में बसपा ने खाता खोला और सुरेश तिवारी जीते. 2012 में कांग्रेस पार्टी से अखिलेश प्रताप सिंह विधायक चुने गए तो वहीं 2017 में भाजपा से जय प्रकाश निषाद चुनाव जीते.

कांग्रेस ने यहां से अब तक 8 बार जीत दर्ज की है तो भाजपा ने 3 बार जीत हांसिल की. सपा ने 2 बार और बसपा ने 1 बार जीत हासिल की. 

Advertisement

2017 का जनादेश
भारतीय जनता पार्टी के जय प्रकाश निषाद 77,754 वोट प्राप्त कर निर्वाचित हुए तो वहीं कांग्रेस और सपा के गठबंधन से कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार अखिलेश प्रताप सिंह जो कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता भी हैं 50,965 मत पाकर दूसरे स्थान पर रहे तो वहीं तीसरे स्थान पर बसपा के चंद्रिका निषाद को 23,081 मत प्राप्त हुआ .

रिपोर्ट कार्ड
रुद्रपुर विधानसभा से भाजपा के विधायक जय प्रकाश निषाद यूपी सरकार में पशुधन, मत्स्य एवं दुग्ध विकास मंत्री हैं. 61 वर्षीय जय प्रकाश निषाद रुद्रपुर तहसील के लक्ष्मीपुर गांव के निवासी हैं और ये बहुत ही सरल स्वभाव व मिलनसार प्रवृत्ति के हैं. सन 1973 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हैं.

1988 में ग्राम प्रधान बने जिसके बाद से ही भारतीय जनता पार्टी में काम करना शुरू कर दिया था. ये राम जन्मभूमि आंदोलन में 35 दिन बस्ती जेल में बंद भी रहे. अभी तीन वर्ष ग्राम प्रधान के पूरे हुए तभी 1991 में भाजपा से पहली बार विधायक चुने गए. देवरिया जिले के भाजपा से दो बार जिलाध्यक्ष और चार बार उप जिलाध्यक्ष रहे. उत्तर प्रदेश के प्रदेश मंत्री के रूप में भी इन्होंने कई वर्ष काम किया है.

इनके बेटे विश्वविजय निषाद भाजपा के जिला कार्यसमिति में सदस्य हैं तो बहु अनिता देवी भाजपा से गौरीबाजार की ब्लाक प्रमुख निर्वाचित हुई हैं. विधायक जय प्रकाश निषाद ने करोड़ों रुपये की लागत से अपने विधानसभा में इस कार्यकाल में कई काम कराया है. मठिया तिवारी मदनपुर और गांव सूरजपुर में चार करोड़ की लागत से बिजली घर का निर्माण कराया है. तो वहीं 11 करोड़ की लागत से सेहुड़ा पकड़ी बाजार में राजकीय आईटीआई कॉलेज का निर्माण अभी चल रहा है. जबकि 11 करोड़ की लागत से ग्राम नगवा में राजकीय इंटर कालेज बन रहा है.

Advertisement

यही नहीं एक करोड़ की लागत से पशु चिकित्सालय गौरी बाजार और रुद्रपुर में बनकर तैयार है. यहां 6 पशु केंद्रों का 10-10 लाख रुपये की लागत से निर्माण हो चुका है. 80 लाख की लागत से बन रहे कृषि कल्याण केंद्र का निर्माण अभी चल रहा है तो वहीं 20 करोड़ की लागत से 30 किलोमीटर तिघरा मराक्षी बांध मार्ग, पचलड़ी बेलवा मार्ग, मदनपुर केवटलिया रघवा पौहरिया मार्ग सड़क निर्माण का काम कराया गया है. 100 करोड़ की लागत से बंधे की सुरक्षा के लिए पिचिंग कार्य हुआ है. साथ में कई अन्य विकास कार्य कराए जा रहे हैं.


 

Advertisement
Advertisement