उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कई बड़े सियासी चेहरे अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. इसी में से एक हैं समाजवादी पार्टी (सपा) के दिग्गज नेता कमाल अख्तर. कमाल अख्तर इस बार मुरादाबाद की कांठ विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं. इससे पहले वो अमरोहा की हसनपुर सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं, लेकिन इस बार सीट बदल दी गई है.
अमरोहा के उझारी गांव में 24 अक्टूबर 1971 को नफीसुद्दीन अहमद और महजबीन के घर पर कमाल अख्तर का जन्म हुआ था. उन्होंने जामिया मिल्लिया इस्लामिया से अपनी बी.ए. (ऑनर्स) अर्थशास्त्र और एलएलबी की पढ़ाई की. इसके बाद वह राजनीति में आ गए और शुरुआत समाजवादी पार्टी से ही की.
विरासत में मिली राजनीति
कमाल अख्तर को राजनीति विरासत में मिली. उनके पति नफीसुद्दीन अहमद लगातार तीन बार उझारी गांव के प्रधान रहे. इसके बाद 1988-93 में वह उझारी नगर पंचायत के चेयरमैन रहे. कमाल अख्तर की मां महजबीन तीन बार (2002, 2007 और 2012) में उझारी नगर पंचायत की चेयरमैन रहीं. इसके बाद कमाल अख्तर की पत्नी हुमेरा अख्तर भी अध्यक्ष बनीं.
जामिया से मुलायम के करीबी तक
कमाल अख्तर की राजनीति में एंट्री खुद समाजवादी पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने कराई थी. मुलायम ने कमाल अख्तर के राजनीतिक कौशल को देखते हुए उन्हें समाजवादी युवजन सभा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया था. इसके बाद कमाल अख्तर ने सपा युवजन सभा के विस्तार में अहम भूमिका निभाई.
सीधे राज्यसभा सदस्य बने थे कमाल
बताया जाता है कि 2002 के विधानसभा चुनाव में कमाल अख्तर हसनपुर सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन ऐन वक्त पर मुलायम सिंह ने उन्हें टिकट नहीं दिया. कमाल अख्तर ने सब्र कर लिया. इस सब्र का फल 2004 में मिला और कमाल अख्तर सीधे राज्यसभा भेज दिए गए. यानी राजनीतिक जीवन की शुरुआत सीधे बतौर राज्यसभा सदस्य हुई.
हसनपुर सीट से पहली बार पहुंचे विधानसभा
2012 में सपा ने कमाल अख्तर को अमरोहा की हसनपुर सीट से मैदान में उतारा. कमाल अख्तर ने जीत दर्ज की और उन्हें पंचायती राज मंत्री बना दिया गया. इसी बीच 2014 का लोकसभा चुनाव आया और सपा ने कमाल अख्तर की पत्नी हुमेरा अख्तर को अमरोहा सीट से चुनाव लड़ा दिया. हुमेरा 3.70 लाख वोट पाकर दूसरे नंबर पर रहीं.
2017 में 27 हजार से अधिक वोटों से हारे
2015 में कमाल अख्तर को अखिलेश यादव ने खाद्य एवं रसद विभाग का कैबिनेट मंत्री बना दिया. इसके बाद 2017 का चुनाव भी कमाल अख्तर ने हसनपुर सीट से लड़ा, लेकिन वह 27 हजार से अधिक वोटों से चुनाव हार गए. इस बार सपा ने अपने इस मुस्लिम चेहरे को मुरादाबाद की कांठ सीट से मैदान में उतारा है.