उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की सीमा से सटी है हरदोई जिले की संडीला विधानसभा सीट. ये विधानसभा क्षेत्र लड्डू के लिए प्रसिद्ध है. इस क्षेत्र के मतदाताओं ने आजादी के बाद से अब तक हुए विधानसभा चुनाव में किसी भी राजनीतिक दल पर बहुत भरोसा नहीं किया. इस क्षेत्र के मतदाताओं ने लगभग हर सियासी दल को विधानसभा में अपना प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया.
संडीला विधानसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार चार दफे चुनाव जीते तो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) भी तीन दफे ये सीट जीत चुकी है. बीजेपी इस बार जीत का चौका लगाकर कांग्रेस के रिकॉर्ड की बराबरी करने का दम भर रही है लेकिन ये भी ध्यान देना होगा कि इस सीट का समीकरण नए परिसीमन के बाद बदल गया है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
संडीला विधानसभा सीट का स्वरूप 2008 के परिसीमन के बाद 2012 के चुनाव से बदल गया है. संडीला नगर और ग्रामीण, भरावन और कोथावां ब्लॉक की 9 ग्राम पंचायतों को मिलाकर इस विधानसभा सीट का गठन किया गया. संडीला विधानसभा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशियों ने चार बार, बीजेपी और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्रत्याशियों को तीन-तीन दफे जीत मिली है. समाजवादी पार्टी (सपा) के उम्मीदवार को भी इस सीट से एक दफे जीत मिली है.
ये भी पढ़ें- Govardhan Assembly Seat: 4-4 बार जीते हैं BJP और कांग्रेस, कारिंदा सिंह बचा पाएंगे विधायकी?
संडीला बिलग्राम साउथ ईस्ट विधानसभा सीट के नाम से अस्तित्व में आई इस विधानसभा सीट के लिए 1951 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए थे. पहले चुनाव में यहां से दो विधायक चुने गए थे. कांग्रेस के तिलक राम और लक्ष्मी देवी विधानसभा पहुंचे थे. 1957 में इस सीट का नाम संडीला सुरक्षित हो गया. 1957 में भी इस सीट से दो विधायक निर्वाचित हुए. प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के मोहनलाल वर्मा और शंभू दयाल विधायक निर्वाचित हुए. 1962 में निर्दलीय पंचम, 1967 में जनसंघ के काशीनाथ, 1969 में नवाब घराने से ताल्लुक रखने वाली कांग्रेस की कुदेसिया बेगम, 1974 में जनसंघ के काशीनाथ विधायक निर्वाचित हुए.
ये भी पढ़ें- Kushinagar Assembly Seat: 1996 से है इस सीट पर BJP का कब्जा, 2022 में क्या होगा?
संडीला विधानसभा सीट से 1977 में निर्दलीय और 1980, 1985 में कांग्रेस के टिकट पर कुदेसिया बेगम, 1989 में जनता दल के सुरेंद्र दुबे, 1991 और 1993 में बीजेपी के टिकट पर भरावन राजघराने के महावीर सिंह, 1996, 2002 और 2007 में बसपा के अब्दुल मन्नान लगातार तीन दफे विधानसभा पहुंचे. 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के पूर्व विधायक महावीर सिंह सपा में शामिल हो गए और सपा के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए.
2017 का जनादेश
संडीला विधानसभा सीट से 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने लोकतांत्रिक कांग्रेस और सपा से एमएलसी रह चुके कछौना ब्लॉक के ब्लॉक प्रमुख रह चुके राजकुमार अग्रवाल को अपना प्रत्याशी बनाया. बीजेपी के राजकुमार अग्रवाल ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी सपा के अब्दुल मन्नान को करीब 21 हजार वोट के अंतर से हरा दिया. बसपा उम्मीदवार को तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा.
सामाजिक ताना-बाना
संडीला विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो ये सीट अनुसूचित जाति जनजाति और मुस्लिम मतदाताओं की बहुलता वाली सीट मानी जाती है. अनुमानों के मुताबिक इस विधानसभा क्षेत्र में ब्राह्मण, क्षत्रिय, यादव और अर्कवंशी मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं. यहां कायस्थ, वैश्य, कहार और कुर्मी मतदाता भी अच्छी तादाद में हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
संडीला विधानसभा सीट से बीजेपी के विधायक राजकुमार अग्रवाल उर्फ राजिया 70 साल के हैं. हरदोई के आरआर इंटर कॉलेज से नौवीं पास राजकुमार अग्रवाल की गिनती नरेश अग्रवाल के करीबियों में होती है. लोकतांत्रिक कांग्रेस ने स्थानीय नगर निकाय में विधान परिषद की हरदोई सीट से उम्मीदवार बनाया और वे एमएलसी निर्वाचित हुए थे. नरेश अग्रवाल सपा में शामिल हुए तो राजकुमार भी उनके ही साथ थे. वे सपा से भी एमएलसी चुने गए. सपा ने 2016 के विधान परिषद चुनाव में राजकुमार का टिकट काट दिया तब वे सपा छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए और चुनाव लड़ा लेकिन तब उन्हें मात मिली थी.
ये भी पढ़ें- Sardhana Assembly Seat: सपा को पहली जीत की तलाश, BJP के संगीत सोम हैं विधायक
बीजेपी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने राजकुमार को संडीला विधानसभा सीट से उम्मीदवार बना दिया और वे पहली बार विधानसभा चुनाव जीतकर लखनऊ स्थित सूबे की विधानसभा में पहुंचने में सफल रहे. उपलब्धियों की बात करें तो बीजेपी के नेता संडीला में रेलवे ओवरब्रिज के निर्माण की मंजूरी, भरावन के बालेश्वर मंदिर सोनिकपुर में पर्यटन विभाग की से 49 लाख रुपये की लागत से सौंदर्यीकरण, संडीला औद्योगिक क्षेत्र में कई बड़ी औद्योगिक इकाइयों की स्थापना को विधायक की उपलब्धि बता रहे हैं.