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Sareni Assembly Seat: कांग्रेस के गढ़ में 24 साल बाद खिला कमल, सीट बचा पाएगी BJP?

सरेनी विधानसभा सीट से विधायक बीजेपी के धीरेंद्र बहादुर सिंह विकास के दावे करते हैं. बीजेपी विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह विकास कार्य गिना रहे तो उनके दावों को विपक्षी कांग्रेस और सपा के नेता हवा-हवाई बता रहे हैं.

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यूपी Assembly Election 2022 सरेनी विधानसभा सीट
यूपी Assembly Election 2022 सरेनी विधानसभा सीट
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बीजेपी के धीरेंद्र बहादुर सिंह हैं विधायक
  • कांग्रेस का गढ़ रही है सरेनी विधानसभा सीट

उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले की एक विधानसभा सीट है सरेनी. सरेनी विधानसभा क्षेत्र उन्नाव-फतेहपुर की सीमावर्ती सीट है. ये क्षेत्र गंगा नदी के किनारे उन्नाव और फतेहपुर के तराई क्षेत्र में बसा हुआ है. इस क्षेत्र को बैसवारा का क्षेत्र कहा जाता है. गेगासो स्थित संकटा माता का मंदिर यहां के रमणिक स्थलों में शामिल है जो गंगा नदी के तट पर बना हुआ है.

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लोगों की आस्था का केंद्र ऐहार का पुराना शिव मंदिर भी इसी विधानसभा क्षेत्र में आता है. केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की सरकार रहते रायबरेली जिले में रेल कोच कारखाना लगा था. वह कारखाना भी सरेनी विधानसभा क्षेत्र में ही है.

सरेनी विधानसभा क्षेत्र में ही है रेल कोच फैक्ट्री
सरेनी विधानसभा क्षेत्र में ही है रेल कोच फैक्ट्री

राजनीतिक पृष्ठभूमि

सरेनी विधानसभा सीट के लिए पहला विधानसभा चुनाव 1957 में हुआ था, तब कांग्रेस पार्टी के गुप्तार सिंह विधायक निर्वाचित हुए थे. गुप्तार सिंह साल 1962, 1967 और 1969 के विधानसभा चुनाव में भी विधायक निर्वाचित हुए. साल 1972 में इस सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने आर सिंह को मैदान में उतारा. आर सिंह विजयी रहे. 1977 में कांग्रेस ने पहली बार महिला प्रत्याशी उतारा. कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरीं सुनीता चौहान 1980 के बाद 1985 में भी विधानसभा पहुंचीं.

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सरेनी विधानसभा सीट पर कांग्रेस का विजय अभियान साल 1985 में रुका, जब निर्दलीय सुरेंद्र बहादुर सिंह ने सुनीता चौहान को हरा दिया. 1989 के चुनाव में कांग्रेस ने इंद्रेश विक्रम सिंह को उम्मीदवार बनाया और वे विधानसभा पहुंचने में सफल रहे. 1991 में इस सीट पर पहली बार कमल खिला. बीजेपी के गिरीश नारायण पांडेय विधायक चुने गए. साल 1993 में भी गिरीश नारायण पांडेय इस सीट से विधायक रहे.

सरेनी से तीन दफे जीते हैं सपा के उम्मीदवार
सरेनी से तीन दफे जीते हैं सपा के उम्मीदवार

समाजवादी पार्टी ने साल 1996 में सरेनी सीट पर अपना खाता खोला. सपा के अशोक कुमार सिंह ने बीजेपी के गिरीश नारायण पांडेय को हराया. साल 2002 में सपा के देवेंद्र प्रताप सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर उतरे अशोक सिंह को हराया. 2007 में अशोक सिंह कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा पहुंचने में सफल रहे. 2012 में सपा के देवेंद्र प्रताप सिंह चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का खाता नहीं खुला है.

2017 का जनादेश

साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे धीरेंद्र बहादुर सिंह विधानसभा पहुंचने में सफल रहे. बीजेपी के धीरेंद्र बहादुर सिंह ने 13,007 वोट के अंतर से बसपा के ठाकुर प्रसाद यादव को शिकस्त दी. कांग्रेस के अशोक कुमार सिंह तीसरे और सपा के देवेंद्र प्रताप सिंह चौथे स्थान पर रहे.

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सामाजिक ताना-बाना

सरेनी विधानसभा क्षेत्र तीन लाख से अधिक वोटर हैं. समोधा, रसूलपुर, मुरारमऊ, कहिजर, लखनापुर, सेमरपहा, प्रेमचक और धूरेमऊ ग्राम सभा, सबसे अधिक ग्राम सभाएं हैं. सबसे कम मतदाता सरेनी के डलमऊ, सुरजुपुर, मददू परुर, उबरनी, तेरुखा, हींगामऊ और जमुवावा ग्राम सभा में हैं. ये ग्राम सभाएं सरेनी की सियासत को काफी प्रभावित करती हैं.

विधायक का रिपोर्ट कार्ड

सरेनी विधानसभा सीट से विधायक बीजेपी के धीरेंद्र बहादुर सिंह विकास के दावे करते हैं. हालांकि विपक्षी कांग्रेस और सपा के नेता धीरेंद्र बहादुर सिंह के दावे को हवा-हवाई बता रहे हैं. ऐसे में बीजेपी के धीरेंद्र बहादुर सिंह के सामने कांग्रेस के गढ़ में कमल खिलाए रखने की चुनौती होगी.

 

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