यूपी के शामली जिले की पहचान औद्योगिक क्षेत्र के तौर पर है. यहां पेपर रिम धूरा, माचिस प्रिंट, गद्दे, चम्मच, पैकिंग बॉक्स, एल्यूमिनियम के उत्पाद, गैस के चूल्हे की उत्पादन इकाइयां हैं. कोरोना काल में शामली की औद्योगिक इकाइयों का निर्यात दोगुना हो गया है. औद्योगिक क्षेत्र का भी विस्तार हुआ है. माचिस और क्रॉकरी का निर्यात भी बढ़ा है. शामली जिले की एक विधानसभा सीट है शामली विधानसभा सीट.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
शामली विधानसभा सीट की राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करें तो ये सीट कैराना लोकसभा क्षेत्र में आती है. इस सीट से साल 2012 में कांग्रेस के पंकज मलिक विधायक रहे थे. शामली विधानसभा सीट 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी. इस विधानसभा सीट के लिए 2012 में पहली बार चुनाव हुए थे. पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर उतरे पंकज मलिक विधायक निर्वाचित हुए. सपा के वीरेंद्र सिंह दूसरे स्थान पर रहे थे.
2017 का जनादेश
शामली विधानसभा सीट से 2017 के चुनाव में कांग्रेस से सीटिंग विधायक पंकज मलिक चुनाव मैदान में थे. पंकज मलिक के सामने बीजेपी ने तेजेंद्र निर्वाल को उतारा था. बीजेपी के तेजेंद्र निर्वाल ने कांग्रेस के पंकज मलिक को करीब 30 हजार वोट से हरा दिया था. राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के बिजेंद्र सिंह तीसरे और निर्दलीय मनीष कुमार चौथे स्थान पर रहे थे.
सामाजिक ताना-बाना
शामली विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो इस विधानसभा क्षेत्र में हर जाति-वर्ग के लोग रहते हैं. इस विधानसभा सीट पर हुए दो चुनाव हुए हैं और जनता ने किसी एक उम्मीदवार पर भरोसा बनाए नहीं रखा. पहले चुनाव में जहां कांग्रेस के पंकज मलिक को विधानसभा भेजा तो दूसरी दफे हुए चुनाव में बीजेपी के तेजेंद्र निर्वाल को.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
शामली विधानसभा सीट से बीजेपी के विधायक तेजेंद्र निर्वाल अपने कार्यकाल के दौरान करोड़ों रुपये की लागत से विकास कार्य कराने का दावा कर रहे हैं. तेजेंद्र निर्वाल के दावे को विपक्षी दलों के नेता हवा-हवाई बता रहे हैं. विपक्ष का दावा है कि इलाके की समस्याएं जस की तस हैं. शामली की जनता विधायक बदलने का ट्रेंड बरकरार रखती है या तेजेंद्र निर्वाल पर भरोसा रखती है, ये आने वाला वक्त बताएगा.