उत्तर प्रदेश के मेरठ की एक विधानसभा सीट है सिवालखास विधानसभा सीट. मेरठ जिले की सिवालखास विधानसभा सीट बागपत संसदीय क्षेत्र के तहत आती है. इस विधानसभा सीट पर सात चरणों में होने जा रहे यूपी विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 10 फरवरी को मतदान होना है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इस सीट से मनेंद्र पाल सिंह को मैदान में उतारा है. बीजेपी के मनेंद्र पाल सिंह के सामने समाजवादी पार्टी (सपा) और राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) गठबंधन से गुलाम मोहम्मद, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से मुकर्रम अली उर्फ नन्हें खान, कांग्रेस से जगदीश शर्मा ताल ठोक रहे हैं.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
सिवालखास विधानसभा सीट की राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करें तो ये सीट 2007 के विधानसभा चुनाव तक अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी. 2007 के चुनाव में बसपा के विनोद कुमार हरित इस सीट से विधानसभा पहुंचे थे. 2008 के परिसीमन के बाद ये सीट सामान्य घोषित कर दी गई. सिवालखास विधानसभा सीट के सामान्य होने के बाद पहले चुनाव यानी 2012 में सपा के गुलाम मोहम्मद विधायक निर्वाचित हुए थे. आरएलडी के यशवीर सिंह दूसरे स्थान पर रहे थे. इस विधानसभा सीट से कोई भी लगातार दो बार विधानसभा नहीं पहुंच सका है.
2017 का जनादेश
सिवालखास विधानसभा सीट से साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जितेंद्र सतवई को टिकट दिया. बीजेपी के जितेंद्र सतवई ने सपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे तब के निवर्तमान विधायक गुलाम मोहम्मद को 11 हजार वोट से अधिक के अंतर से हरा दिया था. बीजेपी के जितेंद्र सतवई को 72842 और सपा के गुलाम मोहम्मद को 61421 वोट मिले थे. आरएलडी के यशवीर सिंह तीसरे और बसपा के नदीम अहमद चौथे नंबर पर रहे थे.
सामाजिक ताना-बाना
सिवालखास विधानसभा सीट के सामाजिक ताने-बाने की बात करें तो यहां हर जाति-वर्ग के लोग रहते हैं. इस विधानसभा सीट को जाट बाहुल्य सीट माना जाता है. इस विधानसभा सीट का चुनाव परिणाम तय करने में ब्राह्मण, त्यागी, गुर्जर और ठाकुर मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाता भी अच्छी तादाद में हैं. सिवालखास विधानसभा क्षेत्र में कुल करीब साढ़े तीन लाख मतदाता हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
सिवालखास विधानसभा क्षेत्र के चहुंमुखी विकास का दावा कर बीजेपी के नेता फिर से पार्टी के उम्मीदवार को विजयी बनाने की अपील कर रहे हैं. दूसरी तरफ, विपक्षी दलों के नेता क्षेत्र की समस्याओं को मसला बनाकर बीजेपी को घेरने में जुटे हैं. जनता के दिल में क्या है, ये तो 10 मार्च को मतगणना के बाद ही पता चल सकेगा.