उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी और सपा के बीच शह-मात का खेल जारी है. करहल सीट पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव को घेरने के लिए बीजेपी ने सपा नेता रहे एसपी सिंह बघेल को उतारा है. वहीं, अब सपा ने भी सीएम योगी आदित्यनाथ को उनके ही घर में घेरने के लिए उसी तर्ज पर बड़ा सियासी दांव चला है. योगी के खिलाफ गोरखपुर सीट पर सपा ने बीजेपी के कभी ब्राह्मण चेहरा रहे उपेंद्र शुक्ला की पत्नी सुभावती शुक्ला को प्रत्याशी बनाया है.
सुभावती शुक्ला जिंदगी में पहली बार चुनावी मैदान में किस्मत आजमाने उतर रही हैं. हाल ही में वो सपा में शामिल हुई हैं. सुभावती भले ही चुनावी पिच पर पहली बार उतर रही हों, लेकिन उनके पति स्व. उपेंद्र शुक्ला गोरखपुर की सियासत में ब्राह्मण चेहरा माने जाते थे. भाजपा के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष और गोरखपुर के क्षेत्रीय अध्यक्ष रहे उपेंद्र दत्त शुक्ला ब्राह्मणों पर मजबूत पकड़ रखते थे.
उपेंद्र शुक्ल 2013 से 2018 तक भाजपा के गोरखपुर क्षेत्रीय अध्यक्ष रहे थे. यह 64 विधानसभा 12 लोकसभा क्षेत्रों का एक बहुत बड़ा संगठन क्षेत्र होता है. वह संघ और भाजपा के पुराने कैडर के कार्यकर्ता थे. वह जनसंघ के जमाने से भाजपा से जुड़े थे. छात्र जीवन में विद्यार्थी परिषद की राजनीति में भी उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. साधारण सदस्य के रूप में पार्टी ज्वाइन की और अपनी कर्मठता से जिलाध्यक्ष, क्षेत्रीय अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पदों पर लम्बे समय तक सफलतापूर्वक काम किया.
आरएसएस के आंगन में पले बढ़े उपेंद्र शुक्ला
आरएसएस के आंगन में पले बढ़े उपेंद्र शुक्ला बीजेपी संगठन के कद्दावर नेताओं में गिने जाते थे. उपेंद्र दत्त शुक्ला गोरखपुर, बस्ती और आजमगढ़ मंडल में बीजेपी का ब्राह्मण चेहरा थे, पार्टी में लंबे समय तक संगठन की सेवा करने वाले उपेंद्र दत्त शुक्ला विभिन्न पदों पर भी रहे. कौड़ीराम विधानसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे, लेकिन जीत नहीं सके. पिछले साल उपेंद्र शुक्ला का निधन हो गया था और अब उनकी पत्नी ने सपा के टिकट पर योगी के खिलाफ चुनाव में उतरने जा रही हैं.
शिवप्रताप शुक्ला सियायत में लाए थे उपेंद्र को
उपेंद्र शुक्ला को सियासत में बीजेपी के कद्दावर नेता शिवप्रताप शुक्ला लेकर आए थे. शिव प्रताप शुक्ल का सीएम योगी के साथ सियासी रिश्ते जगजाहिर हैं. गोरखपुर सीट पर बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे शिव प्रताप शुक्ल के खिलाफ योगी ने अपने कैंडिडेट को उतारकर हराने का काम किया था. इसके बाद से शिव प्रताप शुक्ल बीजेपी में सियासी तौर पर हाशिए पर चले गए थे, लेकिन 2017 में उन्हें राज्यसभा भेजा गया और केंद्र में मंत्री बनाया. इसके बाद उपेंद्र शुक्ला का भी सियासी कदम बढ़ा.
इस वजह से हो गए थे राजनीति से दूर
योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद गोरखपुर सदर लोकसभा सीट पर 2018 में हुए उपचुनाव में भाजपा ने उपेंद्र को प्रत्याशी बनाया. बीजेपी के सत्ता और योगी के सीएम रहते हुए उपेंद्र शुक्ला को सपा प्रत्याशी प्रवीण निषाद से पराजित होना पड़ा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की परंपरागत सीट से भाजपा की हार के बाद उपेंद्र शुक्ला सक्रिय राजनीति से दूर होते गए.
राजनीति में कितने सफल कितने असफल?
पूर्वांचल और समाज में लगातार सक्रिय रहने के बावजूद उपेंद्र शुक्ल चुनावी राजनीति में कभी सफल नहीं हो पाए. गोरखपुर संसदीय सीट से योगी आदित्यनाथ के उत्तराधिकारी के तौर पर लड़ने से पहले वह कौड़ीराम विधानसभा क्षेत्र से भी चुनाव लड़ चुके थे. हालांकि तब भाजपा ने उन्हें अपना उम्मीदवार नहीं बनाया था. प्रदेश में जब राजनाथ सिंह की सरकार थी, तब उपेंद्र शुक्ला गोरखपुर में पार्टी के जिलाध्यक्ष थे.
हमेशा पार्टी में सक्रिया रहे
साल 2017 के विधानसभा चुनावों में भी सहजनवा सीट से उनके नाम की चर्चा चल रही थी, लेकिन वर्तमान विधायक शीतल पांडेय के नाम पर सहमति बनने के बाद वह बात आई-गई हो गई. इसके बावजूद वह भाजपा में हमेशा सक्रिय रहे. इस बीच डेढ़ साल पहले उपेंद्र शुक्ला की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई थी. इसके बाद उनका परिवार बीजेपी से दूर हो गया और सपा के शामिल होकर उनकी पत्नी सुभावती शुक्ला अब योगी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरने जा रही हैं. सपा ने सुभावती शुक्ला को योगी के खिलाफ उताकर ठाकुर बनाम ब्राह्मण एजेंडे को सियासी बिसात बिछाने का दांव चला है. ऐसे में देखना है कि सुभावती शुक्ला किस तरह से योगी को टक्कर देती हैं?