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Sultanpur Assembly Seat: मंदिर आंदोलन के बाद बन गया बीजेपी का गढ़, 2022 में क्या होगा?

सुल्तानपुर विधानसभा सीट 1989 और उससे पहले कांग्रेस का गढ़ थी, लेकिन राम मंदिर की लहर के साथ ही ये पूरी तरह कमलमय हो गई. 2012 के चुनाव से पहले इस सीट का नाम सदर विधानसभा था.

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यूपी Assembly Election 2022 सुल्तानपुर विधानसभा सीट
यूपी Assembly Election 2022 सुल्तानपुर विधानसभा सीट
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बीजेपी के सूर्यभान सिंह हैं सुल्तानपुर से विधायक
  • सुल्तानपुर से सर्वाधिक चार बार जीती है बीजेपी

यूपी के सुल्तानपुर जिले की सुल्तानपुर विधानसभा सीट लखनऊ-वाराणसी राष्ट्रीय राज्य मार्ग 56 पर स्थित है. इस विधानसभा क्षेत्र में 350 गांव हैं. यहां साक्षरता की दर 67 फीसदी है. इस विधानसभा क्षेत्र से अयोध्या की दूरी महज 60 किलोमीटर है जबकि वाराणसी यहां से 134 किलोमीटर दूर है. इस विधानसभा क्षेत्र से लखनऊ की दूरी 140 किलोमीटर और प्रयागराज की दूरी सौ किलोमीटर है. यहां हिंदी, अवधी और खड़ी बोली का बोलचाल में उपयोग किया जाता है.

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अयोध्या से नजदीक होने की वजह से सुल्तानपुर का पौराणिक महत्व है. इस विधानसभा क्षेत्र में पौराणिक महत्व का पारिजात वृक्ष है और लोग इसकी विधिवत पूजा करते हैं. इसी विधानसभा क्षेत्र में सीताकुंड धाम भी है जिसे श्रीराम के ज्येष्ठ पुत्र महाराज कुश की कर्मस्थली भी कहा जाता है. जब पूरे देश में दुर्गा पूजा समाप्त होती है, तब यहां इसकी शुरुआत होती है.

कुश की प्रतिमा
कुश की प्रतिमा

राजनीतिक पृष्ठभूमि

सुल्तानपुर विधानसभा क्षेत्र के पिछले तीन दशक के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का कब्जा अधिक रहा है. हालांकि, ये विधानसभा सीट 1989 और उससे पहले कांग्रेस का गढ़ थी लेकिन राम मंदिर की लहर के साथ ही ये पूरी तरह कमलमय हो गया. बता दें कि 2009 के परिसीमन से पहले इस सीट का नाम सदर विधानसभा था.

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इस विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा चार बार बीजेपी का कब्जा रहा है. इस सीट से जनसंघ, समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), कांग्रेस के साथ ही जनता पार्टी के उम्मीदवार भी जीते हैं. साल 1974 के चुनाव में जितेंद्र कुमार, 1977 में जितेंद्र अग्रवाल जीते. साल 1980 से 1989 तक कांग्रेस के मुईद अहमद विधायक रहे.

पौराणिक महत्व के पारिजात का वृक्ष
पौराणिक महत्व के पारिजात का वृक्ष

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सुल्तानपुर विधानसभा सीट पर 1991 में पासा पलटा और बीजेपी के राम प्यारे शुक्ला ने जीत दर्ज की. 1993 में सपा के बरकत अली खान, 1996 और 2002 में बीजेपी के सूर्यभान सिंह और ओम प्रकाश पांडेय विधायक बने. 2007 और 2012 में सपा के उम्मीदवार को जीत मिली.

2017 का जनादेश

सुल्तानपुर विधानसभा सीट से साल 2017 के चुनाव में बीजेपी ने सूर्यभान सिंह पर दांव लगाया. सूर्यभान सिंह यहां से विधायक बने. 2017 के विधानसभा चुनाव में सुल्तानपुर सीट से कुल 15 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे. बीजेपी के सूर्यभान ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बसपा के मुजीब अहमद को 30 हजार से अधिक वोट के अंतर से शिकस्त दी. सपा के संतोष पांडेय तीसरे स्थान पर रहे.

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बीजेपी विधायक सूर्यभान सिंह (फाइल फोटो)
बीजेपी विधायक सूर्यभान सिंह (फाइल फोटो)

सामाजिक ताना-बाना

सुल्तानपुर विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो यहां हर जाति-वर्ग के मतदाता रहते हैं. जनवरी 2021 के आंकड़ों के मुताबिक सुल्तानपुर विधानसभा क्षेत्र में 3 लाख 70 हजार 554 मतदाता हैं. इनमें 1 लाख 93 हजार 19 पुरुष और 1 लाख 77 हजार 518 महिला मतदाता हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में थर्ड जेंडर के भी 17 वोटर हैं. 

विधायक का रिपोर्ट कार्ड

सुल्तानपुर विधानसभा सीट से विधायक सूर्यभान सिंह का जन्म 5 फरवरी, 1950 को हुआ था. इनके पिता का नाम हरिहर प्रसाद सिंह है. साफ-सुथरी छवि के सूर्यभान सिंह ने हाई स्कूल तक पढ़ाई की है. विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन करते समय सूर्यभान की ओर से दिए गए शपथ पत्र के मुताबिक इनकी संपत्ति साढ़े आठ करोड़ से अधिक थी.

 

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