उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के छठे चरण में सभी की निगाहें देवरिया की पथरदेवा सीट पर है, जहां मंत्री और पूर्व मंत्री के बीच सियासी मुकाबला है. बीजेपी से योगी सरकार में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही मैदान में हैं तो सपा से पूर्व मंत्री ब्रह्माशंकर त्रिपाठी ताल ठोक रहे हैं. बसपा से पूर्व मंत्री स्व. शाकिर अली के बेटे परवेज आलम चुनाव लड़ रहे हैं. ब्रह्माशंकर और सूर्य प्रताप के बीच राजनीतिक अदावत 1985 से चली आ रही है और आठवीं बार आमने-सामने मैदान में उतरे हैं. ऐसे में देखना है कि इस बार सियासी बाजी कौन मारता है?
देवरिया की पथरदेवा सीट पर कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही सियासी चक्रव्यूह में फंसे हैं, लेकिन दो मुस्लिम कैंडिडेट के मैदान में होने से जीत की उम्मीद लगाए हुए हैं. सूर्य प्रताप शाही इस सीट से विधायक हैं. पिछले चुनाव में उन्होंने सपा प्रत्याशी व पूर्व कैबिनेट मंत्री शाकिर अली को शिकस्त दी थी. शाकिर अली का निधन हो चुका है, जिसके चलते सपा ने पूर्व मंत्री ब्रह्माशंकर त्रिपाठी को पथरदेवा सीट पर उतार दिया है. ऐसे में शाकिर अली के बेटे परवेज बसपा का दामन थामकर चुनाव में उतर गए हैं.
पथरदेवा सीट पर किन दलों में मुकाबला
पथरदेवा सीट पर बीजेपी और सपा के बीच टक्कर के आसार हैं, लेकिन बसपा और कांग्रेस के प्रत्याशी भी कड़ी मशक्कत रहे हैं. बीजेपी प्रत्याशी सूर्य प्रताप शाही की नजर भूमिहार वोटों के साथ-साथ सैंथवार और अनुसूचित जाति के वोट बैंक पर है. वहीं, सपा प्रत्याशी ब्रह्माशंकर त्रिपाठी पार्टी के कोर वोटर मुस्लिम-यादव और ब्राह्मण मतदाताओं के सहारे जीत की आस लगाए हैं. वैसे इस सीट पर मुस्लिम और सैंथवार मतदाता सब पर भारी हैं. यही वजह है कि कांग्रेस और बसपा ने मुस्लिम उम्मीदवार उतारकर सपा की चिंता बढ़ा दी है.
सूर्यप्रताप शाही और सपा से पूर्व मंत्री ब्रह्माशंकर त्रिपाठी आठवीं बार आमने-सामने हैं. इससे पहले सात बार दोनों एक दूसरे के खिलाफ कुशीनगर के कसया विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े थे, जिसमें चार बार ब्रह्माशंकर त्रिपाठी तो तीन बार सूर्यप्रताप शाही विजयी रहे थे. 1985 में दोनों पहली बार कसया विधानसभा सीट पर आमने-सामने मैदान में उतरे थे, जिसमें सूर्यप्रताप शाही विजयी रहे. ब्रह्माशंकर उस समय निर्दलीय भाग्य आजमा रहे थे.
ब्रह्माशंकर त्रिपाठी का चुनावी सफर
1989 के चुनाव में ब्रह्माशंकर त्रिपाठी जनता दल से चुनाव लड़े और जीते. तीसरी बार1991 में फिर भिड़ंत हुई है, जिसमें सूर्यप्रताप शाही ने ब्रह्माशंकर को मात दी थी. चौथी बार साल 1993 में सपा से ब्रह्माशंकर त्रिपाठी चुनाव लड़े और जीत हासिल की. पांचवीं बार 1996 में फिर सूर्यप्रताप शाही जीत गए और ब्रह्माशंकर को पराजय का सामना करना पड़ा. छठवीं बार 2002 में ब्रह्मा शंकर त्रिपाठी चुनाव जीत गए.
सातवीं बार 2007 के चुनाव में ब्रह्माशंकर त्रिपाठी ने सूर्य प्रताप शाही को करारी शिकस्त दी. इसके बाद परिसीमन के बाद पथरदेवा विधानसभा सीट बनी. सूर्यप्रताप शाही कसया क्षेत्र बदल कर पथरदेवा से चुनाव लड़े और सपा के शाकिर अली से हार गए. साल 2017 के चुनाव में सूर्यप्रताप शाही विजयी हुए. इस बार सपा ने ब्रह्माशंकर त्रिपाठी को पथरदेवा से उतारा है, जिसके चलते आठवीं बार दोनों दिग्गज फिर आमने-सामने हैं.
पथरदेवा सीट के सियासी समीकरण के देखें तो सबसे ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं और उसके बाद दलित हैं. मुस्लिम 60 हजार, दलित 50 हजार, सैंथवार 37 हजार, वैश्य 32 हजार, यादव 25 हजार, ब्राह्मण 19 हजार, क्षत्रिय 13 हजार, कुशवाहा 12 हजार, राजभर 11 हजार, निषाद 6 हजार, भूमिहार 5 हजार, चौहान 6 हजार अन्य 48 हजार मतदाता हैं.
ऐसे में मुस्लिम और दलित वोटों को साधने वाली पार्टी की जीत लगभग तय हो सकती है. शाकिर अली ने इसी समीकरण पर 2012 में सूर्य प्रताप शाही को मात दी थी. इस बार ब्रह्माशंकर त्रिपाठी इसी समीकरण को दोहराने के लिए उतरे हैं तो सूर्य प्रताप शाही योगी-मोदी लहर में जीत का सपना संजोए हैं. ऐसे में देखना है कि इस बार कौन बाजी मारता है?