उत्तर प्रदेश की सियासत में एक हाउस वाइफ से विधायक और योगी सरकार में मंत्री बनने तक का सफर तय करने वाली स्वाति सिंह का बीजेपी ने टिकट काट दिया है. राजधानी लखनऊ की सरोजनी नगर सीट से बीजेपी ने स्वाति सिंह की जगह ईडी के पूर्व डायरेक्टर राजेश्वर सिंह को प्रत्याशी बनाया है. स्वाति सिंह की सियासत में एंट्री बेहद नाटकीय रही है और थोड़े से दिनों में वो बीजेपी की फायर ब्रांड नेता बन गईं. हालांकि, स्वाति सिंह अपने सियासी सफर में विवादों में रही, जिसके चलते उनका चमकता सितारे पर ग्रहण लग गया.
2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले स्वाति सिंह ने रसोई से निकलकर सियासत में कदम रखा था. राजनीति में उनकी एंट्री बेहद नाटकीय रही. स्वाति के पति दयाशंकर सिंह बीजेपी के नेता हैं. वो काफी कोशिश के बाद भी विधान परिषद का चुनाव नहीं जीत पा रहे थे. एमएलसी का चुनाव दूसरी बार हारने के बाद बीजेपी उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह ने बसपा प्रमुख मायावती के खिलाफ एक विवादित बयान दे दिया.
बसपा नेताओं की टिप्पणी का जवाब देकर उभरीं स्वाति सिंह
दयाशंकर के बयान से बीजेपी भी बैकफुट पर आ गई थी और उनके बयान से फौरन किनारा करते हुए उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया. लेकिन, बसपा के नेताओं ने जवाबी हमले की तैयारी कर ली थी. उन्होंने राजधानी लखनऊ में प्रदर्शन कर दयाशंकर सिंह पर जोरदार हमला किया. इसी दौरान नसीमुद्दीन सिद्दीकी सहित बसपा नेताओं ने दयाशंकर की पत्नी स्वाति सिंह और उनकी बेटी के खिलाफ अभद्र टिप्पणी कर दी. बस यहीं से स्वाति सिंह ने मायावती और बसपा नेताओं के खिलाफ जो मोर्चा खोला दिया.
बीजेपी ने स्वाति सिंह के फायरब्रांड इमेज को देखते हुए उन्हें सीधे प्रदेश महिला मोर्चा का अध्यक्ष बना दिया. इतना ही नहीं 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने स्टार प्रचारकों की लिस्ट में भी स्वाति सिंह के जगह दी. स्वाति सिंह उसी समय मायावती के खिलाफ चुनाव लड़ने की चुनौती दी थी और कहा था कि मायावती यूपी में किसी भी सामान्य सीट से चुनाव लड़ें, वो खुद उनके खिलाफ चुनाव लड़ेंगी. इसके बाद स्वाति को विधानसभा में टिकट मिलना भी तय हो गया था और हुआ भी वही.
स्वाति सिंह ने सरोजनीनगर सीट से जीता था चुनाव
बीजेपी ने स्वाति सिंह को लखनऊ की सरोजनीनगर सीट से उम्मीदवार बनाया, जहां पर बीजेपी तीन दशकों से जीत के लिए तरस रही थी. विवाद के बाद सहानुभूति और मोदी लहर के चलते उन्होंने अजेय समझी जाने वाली सरोजनीनगर सीट जीतकर बीजेपी की झोली में डाल दी. इसके बाद उन्हें योगी सरकार में मंत्रिमंडल में शामिल किया गया. यही नहीं विधानसभा चुनाव के बाद उनके पति दयाशंकर सिंह का निलंबन भी वापस ले लिया गया और उन्हें प्रदेश उपाध्यक्ष बना दिया गया.
स्वाति सिंह मंत्री बनने के साथ ही विवादों का जो नाता शुरू हुआ वो लगातार जारी रहा. मंत्री बनने के बाद लखनऊ में बियर शॉप का उद्घाटन करने पहुंच गई, जिसे लेकर सवालों में घेर में आ गई थी. अपने विधानसभा क्षेत्र में नवरात्र कार्यक्रम के भंडारे दौरान प्रसाद के साथ कन्याओं को 500-500 रुपये की नोट खुलेआम बांट दिए. बस फिर क्या था वो एक बार फिर से चर्चा में आ गई.
स्वाति सिंह को लेकर कई विवाद हुए
स्वाति सिंह का मंत्री रहते हुए सबसे गंभीर आरोप अंसल बिल्डर को लेकर लगा. सीओ कैंट के साथ हुई उनकी बातचीत का एक ऑडियो वायरल हुआ जिसमें वह बिल्डर का पक्ष लेकर सीओ को डपट रही थीं. बाल विकास पुष्टाहार विभाग में 38 करोड़ रुपये के टेंडर को लेकर भी महकमे के प्रमुख सचिव के साथ विवाद खुलकर सामने आ गया था. तहसील दिवस के दौरान उनकी नायब तहसीलदार के साथ हुई हॉट टॉक भी विवादों में रही
हाल ही में एक ऑडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक शख्स उनके पति पर बिल्डिंग कब्जे का आरोप लगा रहा है. इस ऑडियों में ही स्वाति सिंह खुद पर अपने पति के द्वारा किए जा रहे अत्याचारों की बात कर रही हैं. पांच साल तक विवादों में रही स्वाति सिंह की सरोजनीनगर सीट उनके पति दयाशंकर सिंह ने ही चुनौती बन गए.
एक ही सीट से टिकट मांग रहे थे स्वाति सिंह और दयाशंकर
स्वाति सिंह और दयाशंकर सिंह दोनों ही सरोजनीनगर सीट से टिकट मांग रहे थे, लेकिन राजेश्वर सिंह को प्रत्याशी बना दिया है. स्वाति सिंह का टिकट कटने के बाद उनके पति और बीजेपी के नेता दयाशंकर सिंह ने आजतक से बातचीत में पत्नी का टिकट कटने से खुश नजर आए. हालांकि उन्होंने कहा कि खुश होने जैसी बात नहीं है और न ही पति पत्नी के झगड़े में यह टिकट राजेश्वर सिंह को दिया गया है बल्कि पार्टी जिसे समझती है जो जीत सकता है उसे दिया है. यह पार्टी का फैसला है और पार्टी ने उनके लिए कुछ और सोचा होगा.
स्वाति सिंह एक राजपूत/ठाकुर परिवार से हैं. उनका जन्म और उनकी पढ़ाई लिखाई लखनऊ में हुई है. शादी से पहले स्वाति सिंह ने एक सामान्य लड़कियों की ही तरह जीवन गुजार रही थीं. उन्होंने 2001 में इलाहाबाद के एमएनआरईसी मौजूदा समय में एमएनएनआईटी से एमएमएस किया था और उसके बाद उन्होंने 2007 में लखनऊ विश्वविद्यालय से एलएलएम किया. पति राजनीति में थे लेकिन स्वाति को इससे कोई लगाव नहीं था. वह अपने दो बच्चों के पालन पोषण में ही व्यस्त रहती थीं, लेकिन पांच साल पहले पति एक बयान के बाद उनका सियासी सफर शुरू हुआ और पति से टिकट पर छिड़ा विवाद ने उनकी सियासत पर विराम लगा दिया.