scorecardresearch
 

5 राज्यों के चुनाव का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, रैली और सभाओं पर रोक लगाने की गुहार

शीर्ष न्यायालय में एडवोकेट विशाल तिवारी ने जनहित याचिका दाखिल कर चुनावी राज्यों में हो रही राजनीतिक रैलियों, सभाओं और जमावड़ों पर रोक लगाने की मांग की है. इसमें गुहार लगाई गई है कि चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए कि चुनावी रैलियां वर्चुअल कराई जाएं.

Advertisement
X
सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • राजनीतिक रैलियां वर्चुअल कराए जाने की गुहार लगाई
  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी चुनाव टालने की अपील की थी

कोरोना संक्रमण के ओमिक्रॉन वैरिएंट (Omicron Variant) के लगातार बढ़ते खतरे के बीच 5 राज्यों में चुनाव होने हैं. इन चुनावों को लेकर हो रही राजनीतिक रैलियों पर रोक लगाने का मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर गुहार लगाई गई है कि राजनीतिक पार्टियां चुनावी रैली को वास्तविक के बजाय वर्चुअल यानी डिजिटल रूप में ही करें.

Advertisement

शीर्ष न्यायालय में एडवोकेट विशाल तिवारी ने जनहित याचिका दाखिल कर चुनावी राज्यों में हो रही राजनीतिक रैलियों, सभाओं और जमावड़ों पर रोक लगाने की मांग की है. इसमें गुहार लगाई गई है कि चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए कि चुनावी रैलियां वर्चुअल कराई जाएं.

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई अर्जी में यह भी कहा गया कि चुनाव आयोग ने राजनीतिक रैलियों को लेकर जो आदेश और गाइडलाइन जारी की है, उसका पूरी तरह से पालन नहीं हो रहा है. इतना ही नहीं पिछले चुनावों में भी लापरवाहियां देखने को मिली थीं, उसके नतीजे भी सभी ने देखे. लिहाजा गाइडलाइन का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करवाया जाए.

बता दें कि इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की थी कि यूपी में रैलियों पर रोक लगनी चाहिए. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकार को यूपी विधानसभा चुनाव को भी कुछ समय टालने पर विचार करना चाहिए. कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी की.

Advertisement

बीत दिन हाईकोर्ट ने कहा था कि पीएम मोदी और चुनाव आयुक्त प्रदेश में चुनावी रैलियों व सभाओं पर रोक के लिए कड़े कदम उठाएं. कोर्ट ने कहा राजनीतिक पार्टियों से कहा जाए कि वे चुनाव प्रचार टीवी और समाचार पत्रों के माध्यम से करें. कोर्ट ने कहा, प्रधानमंत्री चुनाव टालने पर भी विचार करें, क्योंकि जान है तो जहान है.  

Advertisement
Advertisement