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दिन में जनसभा और रात में बैठक, यूपी फतेह के लिए फिर पुरानी रणनीति अपना रहे Amit Shah

यूपी के लिए पहले भी चाणक्य की भूमिका निभाने वाले गृहमंत्री अमित शाह ने पूरी ज़िम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली है. अमित शाह अपने पुराने स्टाइल में ‘दिन में जनसभा’ और ‘रात में बैठक’ करके न सिर्फ़ संगठनात्मक तैयारी को अंतिम रूप दे रहे हैं बल्कि टिकटों पर शुरुआती मंथन भी कर रहे हैं.

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गृह मंत्री अमित शाह
गृह मंत्री अमित शाह
स्टोरी हाइलाइट्स
  • फिर पुराने स्टाइल में अमित शाह, यूपी की तैयारी में बढ़ी सक्रियता
  • दिन में जनसभा कर रहे, रात में कार्यकर्ताओं संग बैठक

यूपी के चुनाव में प्रचार और अभियानों में पूरा ज़ोर लगा रही भाजपा फ़िलहाल संगठन को साधने और टिकटों के होमवर्क में भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती. पार्टी के सभी शीर्ष नेता जहां यात्रा और जनसभा में लगे हैं, वहीं यूपी के लिए पहले भी चाणक्य की भूमिका निभाने वाले गृहमंत्री अमित शाह ने पूरी ज़िम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली है. अमित शाह अपने पुराने स्टाइल में ‘दिन में जनसभा’ और ‘रात में बैठक’ करके न सिर्फ़ संगठनात्मक तैयारी को अंतिम रूप दे रहे हैं बल्कि टिकटों पर शुरुआती मंथन भी कर रहे हैं.

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मंगलवार को हरदोई और सुल्तानपुर की जनसभा में विपक्ष पर आक्रामक होने के बाद काशी क्षेत्र पहुंचे अमित शाह ने रात में संगठनात्मक बैठक की. ये बैठक चुनाव प्रबंधन के माहिर माने जाने वाले अमित शाह के पुराने अंदाज की ओर इशारा कर रही हैं. रात में बैठकें अमित शाह की यूपी चुनाव से पहले बढ़ी सक्रियता और टिकट वितरण और फ़ाइनल फीडबैक की ओर भी साफ़ संकेत कर रही हैं.

काशी में मंथन से रणनीति का संकेत 

गृहमंत्री अमित शाह ने 28 दिसम्बर को जन विश्वास यात्रा के बाद में काशी में रात्रि प्रवास किया था.दिन भर की यात्रा और प्रयास के बाद रात में हरदुआ लॉन ओर बैठक में फीडबैक और टिकटों को लेकर भी अहम चर्चा हुई. इस बैठक में क्षेत्र के चुनाव प्रभारी, सह प्रभारी, काशी और गोरक्ष क्षेत्र के मंत्री, क्षेत्रीय पदाधिकारी के अलावा सांसद और विधायक भी मौजूद थे. बैठक में काशी की 71 और गोरक्ष क्षेत्र की 62 सीटों पर मंथन भी किया गया. इस बार पार्टी सत्ता में है और जिस तरह से 150 से ज़्यादा विधायकों के टिकट कटने की चर्चा हो रही है, उसमें टिकट को लेकर फीडबैक और ज़्यादा ज़रूरी है. काशी में रात्रि प्रवास के बाद अमित शाह 30 दिसम्बर को मुरादाबाद,अलीगढ़ और उन्नाव में जनसभा करेंगे. रात्रि विश्राम लखनऊ में करेंगे. इसके बाद 31 दिसम्बर को अयोध्या, संत कबीरनगर और गोरखपुर में जनसभा के बाद वे बरेली पहुंचेंगे जहां रात्रि विश्राम होगा. देखा जाए तो काशी क्षेत्र(गोरक्ष क्षेत्र का भी मंथन), अवध क्षेत्र और रूहेलखंड में अमित शाह का रात्रि प्रवास होगा.जहां वो पार्टी पदाधिकारियों के साथ रात में बैठक और संवाद करेंगे. 

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वरिष्ठ पत्रकार रतन मणि लाल मानते हैं कि ये इलेक्शन प्रेपरेशन(चुनाव की तैयारी ) नहीं बल्कि उससे पहले की मीटिंग है. ज़ाहिर है उसमें टिकट तय करने को लेकर भी मंथन शामिल है. इसलिए इसमें अमित शाह का होना महत्वपूर्ण है. रतन मणि लाल कहते हैं कि यूपी में हर बार सरकार बदलती रही है. ये पहली बार है जब कोई पार्टी दोबारा सत्ता में आने के लिए प्रयास कर रही है .इसके लिए जिस तरह का अनुभव और परख चाहिए वो अमित शाह के पास है.

अमित शाह के पुराने स्टाइल में तैयारी का संकेत 

अमित शाह की यूपी में सक्रियता उनके पुराने अंदाज को बता रही है. 2014 के लोकसभा चुनाव के समय यूपी प्रभारी रहे अमित शाह ने पार्टी के लिए सफलता की जो स्क्रिप्ट लिखी उसमें ‘रात्रि बैठकों’ का महत्वपूर्ण रोल था. उस समय अमित शाह ने रायबरेली, सुल्तानपुर , शाहजहांपुर जैसी छोटी-छोटी पर सियासी लिहाज़ से महत्वपूर्ण ज़िलों में प्रवास किया और रात में भी बैठकें कीं. लम्बे समय से सत्ता से बाहर रही भाजपा के कार्यकर्ताओं के लिए ये बड़ी बात थी कि अमित शाह इनको खुद फ़ोन करें. कहा तो ये भी जाता था कि हर एक बूथ का हिसाब किताब हर समय अमित शाह के पास रहता था. अमित शाह ने खुद बूथ स्तर तक कार्यकर्ताओं से अचानक फ़ोन से बात करना और मीटिंग में एक एक को नाम से बुलाकर तैयारी के लिए निर्देशित करना शुरू किया. उस समय इस बात और अमित शाह के इस अंदाज की बड़ी चर्चा रही क्योंकि उससे पहले शीर्ष नेतृत्व में से किसी नेता का चुनाव तैयारी पर इतनी बारीकी से नज़र रखना कार्यकर्ताओं के लिए एक नयी बात थी. 

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उस समय उत्तर प्रदेश की सीटों में से हर एक के समीकरण के बारे में अमित शाह को न सिर्फ़ गहन जानकारी हुई बल्कि चुनाव का रिज़ल्ट आते आते ये होमवर्क और रणनीति की सफलता साफ़ दिख गयी जब भाजपा ने सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए और गुजरात से बाहर भी अमित शाह को चुनावी रणनीति का चाणक्य साबित कर दिया.

शाह का सहयोग कर रहे ये नेता

2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का यूपी में वनवास ख़त्म हुआ. इस बार नड्डा के पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष होते हुए भी अमित शाह ने पूरे कैम्पेन की रूपरेखा को खुद अंतिम रूप दिया. अमित शाह को अब तक पूरे उत्तर प्रदेश की ज़मीनी हक़ीक़त का अंदाज़ा हो चुका था. यूपी प्रभारी के तौर पर अमित शाह का ये अनुभव काम आया. इस बार भी अमित शाह ने छोटी छोटी जगहों का दौरा किया. लखनऊ में भाजपा प्रदेश पार्टी ऑफ़िस में अमित शाह ने रात्रि प्रवास के दौरान आधी-आधी रात तक मीटिंग कर तैयारी को अंतिम रूप दिया. क ख़ास बात और रही कि अमित शाह के इस चुनावी अभियान और प्रबंधन को यूपी में संगठन के निचले स्तर तक के जाने  में यूपी भाजपा के संगठन महामंत्री सुनील बंसल की भी अहम ज़िम्मेदारी रही. रतन मणि लाल कहते हैं ‘इस बार अलग चुनौती है. बड़ी संख्या में टिकट कटने हैं. ऐसे में टिकट तय करने से पहले फ़ाइनल फ़ीडबैक बहुत अहम है. अमित शाह इस बात को लेकर काम कर रहे होंगे.’

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अब जब भाजपा की 6 जन विश्वास यात्राएं लगातार चल रही हैं.अखिलेश यादव की विजय रथ यात्रा भी जारी है और प्रियंका गांधी की यूपी में सक्रियता बढ़ गयी है. प्रधानमंत्री के कार्यक्रम लगातार हो रहे हैं. जन विश्वास यात्राओं में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और यूपी के सभी केंद्रीय मंत्री भी शामिल हैं. खुद यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने यात्रा अभियान की कमान सम्भाली है. 

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