गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कमलापति त्रिपाठी के परिवार का कांग्रेस से नाता खत्म हो गया है. कमलापति त्रिपाठी के प्रपौत्र ललितेशपति त्रिपाठी ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के करीबी रहे ललितेशपति ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देते हुए कहा कि पार्टी के द्वारा उन्हें लगातार नजरअंदाज किया जा रहा था, जिसके चलते कांग्रेस को अलविदा कहा है.
कांग्रेस छोड़ने के बाद ललितेश के समाजवादी पार्टी में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही थी, लेकिन उन्होंने कहा कि अभी किसी भी पार्टी में जाने का विचार नहीं किया है. फिलहाल किसी भी पार्टी में शामिल होने की अभी कोई प्राथमिकता नहीं है. ललितेश ने कहा कि आगे की रणनीति तय करने के लिए अपने लोगों से बातचीत करेंगे. अपने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करने के बाद इस पर विचार विमर्श किया जाएगा.
2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ललितेश पति त्रिपाठी का कांग्रेस छोड़ने से पूर्वांचल में पार्टी को एक बड़ा झटका लगा है. मिर्जापुर के मड़िहान विधानसभा सीट से वह 2012 से 2017 तक विधायक रह चुके हैं. 2019 में कांग्रेस ने उन्हें लोकसभा का चुनाव लड़ाया था, लेकिन जीत नहीं सके. कांग्रेस से यूपी उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा रहे, लेकिन पिछले उन्हें इस्तीफा दे दिया था.
हालांकि, पिछले दिनों 10 सितंबर को यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी लखनऊ दौरे पर आई थी तो ललितेशपति त्रिपाठी ने उनसे मुलाकात की थी. इसके बाद ही कांग्रेस से उनका मोहभंग हुआ है और कई दशकों से त्रिपाठी परिवार का कांगेस से रहा जुड़ाव ललितेश के इस्तीफे से साथ टूट गया है.
इंदिरा गांधी के दौर पर ललितेशपति त्रिपाठी की सियासी तूती उत्तर प्रदेश में बोलती थी. ललितेश के परबाबा कमलापति त्रिपाठी 1971 में यूपी के मुख्यमंत्री बने और करीब सवा दो साल तक इस पद पर शासन किया. 1973, 1978, 1980, 1985 और 1986 में कांग्रेस की ओर से राज्यसभा के सांसद भनी बने. यूपी के सीएम से लेकर केंद्र सरकार में मंत्री तक रहे. पूर्वी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का ब्राह्मण चेहरा माने जाते थेय उनकी सियासी विरासत को ललितेश त्रिपाठी ने संभाला और कांग्रेस से अब उनका भी मोहभंग हो गया है.