यूपी चुनाव में कांग्रेस भी अपनी तैयारी में जुट गई है. चुनौती ज्यादा बड़ी इसलिए है क्योंकि लंबे समय से सत्ता से दूर हैं और संगठन भी कमजोर दिखाई पड़ रहा है. अब उसी कमजोर संगठन में फिर जान फूंकने का प्रयास कर रही हैं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी जिन्होंने ‘‘प्रशिक्षण से पराक्रम’’ कार्यक्रम शुरू कर दिया है. इस मुहिम के जरिए मजबूत कांग्रेस संगठन बनाने पर जोर दिया जा रहा है.
प्रियंका गांधी की यूपी रणनीति
कांग्रेस प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव ने बताया कि प्रियंका गांधी का मकसद कांग्रेस संगठन को त्याग, करुणा, क्षमता, नीति और समाज की आखिरी उम्मीद तक उतरने वाला बनाना है. प्रत्येक कांग्रेसजनों को समाज की नैतिक जिम्मेदारी उठाने के लिए अपने आप को नैतिक आधार पर भी परिपक्व करना होगा. उनका मानना है कि कांग्रेस पार्टी सदैव से ही संवेदनशील, सकारात्मक और रचनात्मक दिशा में समाज के निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही है. नफरत और बंटवारे की जो राजनीति पिछले तीन दशकों से उत्तर प्रदेश में गैर कांग्रेसी दलों की हावी रहीं, उससे प्रदेश का सांस्कृतिक विकास थम सा गया है.
टेक्नोलॉजी का सहारा, चुनाव में कितना फायदा?
इस बार यूपी चुनाव में टेक्नोलॉजी का भी कांग्रेस भरपूर इस्तेमाल करने जा रही है. इसी कड़ी में प्रियंका गांधी ने आदेश दिए हैं कि सभी कांग्रेस कार्यकर्ताओं का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार किया जाएगा. वहीं उदेश्य ऐसे कार्यकर्ताओं को ढूंढना रहेगा जो सत्ता के बारे में सोचे बिना सामाजिक सेवा और जनमानस के प्रति सत्कार की सोच बढ़ाने का काम करें. प्रियंका गांधी का मकसद आगामी विधानसभा चुनाव से पहले सांगठनिक और वैचारिक तौर पर मजबूत अभय कांग्रेस खड़ी करनी है जो आर एस एस और बीजेपी की तानाशाही रणनीति और विघटनकारी कुटिल चालों को मुंहतोड़ जबाव दे सके.
इस सब के अलावा यूपी चुनाव से पहले सभी कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पार्टी के उन महापुरुषों के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है जिन्होंने ना सिर्फ संगठन को मजबूत किया बल्कि देश के विकास में भी सक्रिय योगदान दिया. प्रियंका गांधी चाहती हैं कि यूपी में कांग्रेस सकारात्मकर राजनीति के जरिए सत्ता में भी आए और लोगों के मन में जगह भी बनाएं.