उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आते जा रहे हैं, वैसे-वैसे राजनीतिक दल भी सियासी मैदान में अपनी फील्डिंग मजबूत करने में लग गए हैं. गुजरात की तरह यूपी में भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बीजेपी को लंबे समय तक के लिए सत्ता में बने रहते हुए देखना चाहता है.
यही वजह है कि संघ के नए सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले अब 2022 चुनाव तक लखनऊ में प्रवास करेंगे जबकि भैयाजी जोशी राममंदिर निर्माण प्रोजेक्ट के केयरटेकर होंगे. इससे साफ जाहिर होता है कि बीजेपी के साथ-साथ संघ भी अब मिशन-2022 के लिए जुट गया है.
बता दें कि अगले साल के शुरू में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन इनमें सबसे अहम उत्तर प्रदेश है. 2017 में बीजेपी 15 साल के सियासी वनवास को खत्म कर सूबे की सत्ता में लौटी है, जिसे अब आरएसएस किसी भी सूरत में बीजेपी के हाथों से जाने नहीं देना चाहती है. इसके पीछे वजह यह भी है कि आरएसएस और बीजेपी दोनों के लिए ही यूपी सियासी एजेंडे के साथ-साथ धार्मिक और वैचारिक तौर पर भी काफी महत्वपूर्ण है.
आरएसएस 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव और फिर 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के लिए किसी तरह की गुंजाइश छोड़ना नहीं चाहता. उसके अगले साल 2025 में संघ का शताब्दी वर्ष भी है. इस लिहाज से संघ ने कुछ बेहद अहम फैसले लिए हैं, जिसके तहत सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले को मुख्यालय नागपुर के बजाय लखनऊ में रहकर सूबे के राजनीतिक माहौल को मजबूत बनाए रखने के मिशन पर लगाया गया है.
दरअसल, पिछले तीन दशक से यूपी की सियासत में सत्ता में रहने वाली पार्टी दोबारा से वापसी नहीं कर सकी है. अगले साल फरवरी में होने वाले चुनावों को लेकर बीजेपी की स्थिति पहले की तरह मजबूत नहीं बताई जा रही है. यूपी पंचायत चुनाव में बीजेपी तीसरे नंबर पर रही थी जबकि 2017 में बीजेपी अकेले दम पर 311 सीटें लेकर आई थी और गठबंधन को 325 सीटें मिली थीं.
आरएएस ने अपनी वीटो पावर का इस्तेमाल करते हुए योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश की सत्ता की कमान तब सौंपी थी. जबकि 2017 में न तो योगी के नाम पर यूपी का चुनाव लड़ा गया था और न ही उन्हें मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा था.
हालांकि, सवा चार साल में योगी हिंदुत्व के एजेंडे पर खरे उतरे हैं, लेकिन पार्टी नेताओं के साथ संतुलन बनाकर नहीं रह सके. सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच तनातनी किसी से छिपी नहीं है, जिसके चलते संघ और बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने लखनऊ से लेकर दिल्ली तक बैठक कर दोनों नेताओं के बीच एक समन्वय बनाने की कोशिश की है.
आरएसएस दूरगामी योजना के तहत हर फैसला लेता है. इसी के तहत संघ सवा चार साल पहले सीएम के तौर पर योगी को आगे लाया था. संघ के एक पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि संघ योगी को मोदी का विकल्प नहीं बल्कि उनके बाद की बीजेपी के लिए तैयार कर रहा है. इसीलिए 2022 का चुनाव बीजेपी से ज्यादा आरएसएस के लिए भी महत्वपूर्ण है.
संघ नहीं चाहता है कि यूपी चुनाव में किसी तरह का कोई सियासी नुकसान उठाया जाए, क्योंकि सूबे का अपना अलग ही एक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है. अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो रहा है. आरएसएस की 'विस्तार योजना' (हिंदुओं के बीच सामाजिक और धार्मिक लामबंदी के लिहाज से) के लिए यूपी अहम माना जाता है. इसके अलावा मथुरा और काशी भी इसी यूपी में हैं, जहां लंबे समय से अयोध्या की तरह ही विवाद है.
हाल ही में बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष और प्रभारी राधा मोहन सिंह ने लखनऊ प्रवास में संघ के अहम नेताओं के साथ बैठक की थी तो उसमें 2022 के चुनाव को लेकर संघ ने अपने फीडबैक दिए थे. इसकी के बाद बीजेपी के कोरग्रुप की बैठक में संगठन और सरकार के बीच बेहतर तालमेल बनाने के साथ-साथ पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी को भी दूर करने का फैसला लिया गया था. इस कड़ी में अब संघ यूपी के चुनाव पर खास नजर है.
2022 के चुनाव के मद्देनजर संघ के दो बड़े नेता भैयाजी जोशी और दत्तात्रेय होसबाले एक साथ उत्तर प्रदेश में रहेंगे. भैयाजी जोशी अयोध्या में मंदिर निर्माण प्रोजेक्ट के केयरटेकर होंगे. वे इस प्रोजेक्ट पर पूरी नजर रखेंगें, जिसे बीजेपी एक उपलब्धि के तौर पर लोगों के बीच ले जाने का फैसला किया है.
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण संघ का प्रमुख एजेंडा रहा है. अस्सी के दशक में संघ प्रमुख बालासाहब देवरस ने बीजेपी को इसे राजनीतिक आंदोलन में बदलने की सलाह दी थी, जिसके बाद बीजेपी ने पालमपुर में राममंदिर के लिए सक्रिय भूमिका निभाने का फैसला किया और लालकृष्ण आडवाणी ने 1990 में रथयात्रा के जरिए माहौल बनाने का काम किया था. इसके बाद यूपी में बीजेपी सरकार के रहते हुए 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने बाबरी विध्वंस किया.
वहीं, अब राममंदिर निर्माण को 2024 तक पूरा करने का टारेगट है ताकि लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी देश भर में इसे अपनी बड़ी उपलब्धि के तौर पर लोगों के सामने पेश कर सके. विधानसभा चुनाव के मद्देनजर संघ के दो बड़े नेता भैयाजी जोशी और दत्तात्रेय दत्तात्रेय होसबाले पहली बार एक साथ यूपी में रहेंगे और राममंदिर निर्माण के साथ-साथ चुनावी माहौल बनाने का काम भी परदे के पीछे से करेंगे.