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सपा का यूपी में ओबीसी प्लान, बसपा की तिकड़ी से बीजेपी के वोटबैंक में सेंध लगाने की रणनीति

2022 के यूपी चुनाव में बीजेपी 50 फीसदी प्लस वोटों का टारगेट लेकर चल रही है. यही वजह है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव यूपी की सत्ता में वापसी के लिए अपने कोर वोटबैंक मुस्लिम-यादव को पुख्ता करने के बाद अपना पूरा ध्यान ओबीसी वोटर लगा रहे हैं.

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लालजी वर्मा, अखिलेश यादव, रामअचल राजभर
लालजी वर्मा, अखिलेश यादव, रामअचल राजभर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सपा की नजर यूपी में बीजेपी के ओबीसी वोटबैंक पर
  • बसपा से निष्कासित नेताओं के सहारे साधने में जुटी
  • यूपी की सियासत में ओबीसी वोटर निर्णायक भूमिका में

उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने के लिए साढ़े चार साल पहले बीजेपी ने 40 फीसदी प्लस वोटों की सीमा रेखा खींच दी है. 2022 के चुनाव में बीजेपी 50 फीसदी प्लस वोटों का टारगेट लेकर चल रही है. यही वजह है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव यूपी ने सत्ता में वापसी के लिए अपने कोर वोटबैंक मुस्लिम-यादव को पुख्ता करने के बाद पूरा ध्यान ओबीसी वोटर पर लगा रखा है ताकी अपने सियासी आधार के वोटों में इजाफा कर किया जा सके. 

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ओबीसी वोटों के लिए सपा का खास प्लान

सपा ने ओबीसी वोटों का साधने के लिए खास प्लान तैयार किया है. पार्टी अपने अंदरूनी संसाधनों या नेताओं की बदौलत तो गैरयादव पिछड़ी जातियों तक पहुंचने की कोशिश कर ही रही है, उससे भी अहम यह कि सपा ने दूसरे दलों के बड़े ओबीसी चेहरों और छोटे दलों और ओबीसी के संगठनों पर भी अपनी नजरें गड़ा रखी हैं. 

समाजवादी पार्टी को लगता है कि ओबीसी वोट बैंक अगर सीधे से नहीं जुड़ता तो दूसरे दलों के कद्दावर नेताओं की बदौलत भी जुड़े या फिर ऐसे संगठन और राजनीतिक दल जो बेशक छोटे हों लेकिन उनका प्रभाव अपने समाज पर हो. इसीलिए बसपा को अलविदा कहने वाले ओबीसी नेताओं को अखिलेश यादव गले लगाने में जुटे हैं. इस फेहरिस्त में लालजी वर्मा, रामअचल राजभर से लेकर आरएस कुशवाहा जैसे ओबीसी नेता शामिल हैं. 

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बसपा नेताओं के जरिए सपा बिछा रही बिसात

बसपा से निष्कासित लालजी वर्मा और रामअचल राजभर ने अखिलेश यादव से मुलाकात की है, जिसके बाद माना जा रहा है कि नवरात्र में अंबेडकर नगर की एक बड़ी जनसभा में यह दोनों नेता सपा का दामन थामेंगे. इन दोनों नेताओं की सियासी पकड़ अंबेडकरनगर में और उसके आसपास के जिलों में काफी मानी जाती है. लालजी वर्मा बसपा के बड़े नेता रहे और कुर्मी समाज से आते हैं. वहीं, दूसरे नेता रामअचल राजभर हैं, जो अतिपिछड़े राजभर समाज से आते हैं. इन दोनों ही नेताओं की पूर्वांचल में अपने-अपने समाज में मजबूत पकड़ मानी जाती है. 

बसपा के ही एक और बड़े नेता आरएस कुशवाहा ने भी दो दिन पहले सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात की है. इस मुलाकात की तस्वीर बाकायदा सपा ने ट्वीट की है. आरएस कुशवाहा भी ओबीसी समाज से आते हैं और लखीमपुर खीरी से हैं. यूपी में कुशवाहा, मौर्या, शाक्य सैनी के बीच आरएस कुशवाहा की अच्छी पकड़ मानी जाती है. हालांकि, बसपा से निष्कासित तीनों नेताओं की जातियों को देखें तो कुशवाहा, कुर्मी और राजभर समाज पिछले कुछ समय से बीजेपी के साथ चट्टान की तरह खड़ा रहा है, लेकिन अब सपा इन नेताओं के सहारे ऐसी जातियों को साधने की कवायद में है. 

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पूर्वांचल में अंबेडकरनगर, बस्ती, आजमगढ़ इन इलाकों में सपा के लिए लालजी वर्मा और रामअचल राजभर कुर्मी और राजभर वोट बैंक साध सकते हैं वहीं दूसरी तरफ आरएस कुशवाहा अगर समाजवादी पार्टी ज्वाइन करते हैं जिसकी पूरी संभावना है तो वह लखीमपुर खीरी, पीलीभीत और उन इलाकों में कुशवाहा और मौर्य वोट के लिए सपा के ट्रंप कार्ड साबित हो सकते हैं. ओबीसी नेताओं की यह तिकड़ी ही सपा की कतार में है जो पिछड़ी जाति से हैं और समाजवादी पार्टी ने यही प्लान कर रखा है.

यादव-मुस्लिम से ज्यादा ओबीसी पर तवज्जो

सपा भी इस बार के चुनाव में बीजेपी की तर्ज पर पिछड़ी जातियों को ज्यादा टिकट देगी, जिसके लिए वो यादव और मुस्लिम टिकट के कोटे को कुछ कम करेगी. समाजवादी पार्टी ने महान दल के केशव देव मौर्य को अपने गठबंधन में जोड़ रखा है. बदायूं, बरेली, एटा, कासगंज, फर्रुखाबाद और पूर्वांचल के कुछ हिस्सों में महान दल का खास प्रभाव है. ऐसे ही सपा ने संजय चौहान के साथ भी हाथ मिला रखा है, जो नोनिया जाति से नेता हैं. सपा संजय चौहान को पूर्वांचल में भरपूर घुमा रही है, जिससे कि वो उनके समाज को अपने साथ जोड़ सके. 

सपा को लगता है कि बीजेपी के ओबीसी वोटबैंक में केशव मौर्य को मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने को लेकर मौर्य कुशवाहा समाज में बड़ी नाराजगी है, जिसका वो फायदा उठा सकती है. यही वजह है मौर्य कुशवाहा सैनी शाक्य ऐसे तबके को जोड़ने के लिए वह केशव मौर्य जो कि बीजेपी के नेता और सरकार में डिप्टी सीएम हैं उनके मुद्दे को उठा रही है. अखिलेश यादव भी कई बार अपनी सभाओं में इस बात को दोहराते हैं और इन ओबीसी जातियों के बीच यह बात जोर-शोर से प्रचारित की जा रही है कि केशव मौर्य का चेहरा दिखाकर बीजेपी ने वोट लिया लेकिन उन्हें सिर्फ झुनझुना पकड़ा दिया. 

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बसपा ही नहीं बीजेपी के कई बड़े नेता भी सपा के संपर्क में बताए जा रहे हैं. माना जा रहा है कि जिन नेताओं के टिकट कटने हैं खासकर ओबीसी विधायकों और मंत्रियों ऐसे विधायक मंत्री और नेताओं पर सपा की नजर है. वह एक साथ कई लोगों को आने वाले वक्त में पार्टी ज्वाइन भी कराएगी.

सूबे में चुनावी तपिश चढ़ने के साथ सपा का ओबीसी प्लान धीरे-धीरे सामने आ रहा है और अखिलेश यादव के जनसभा कार्यक्रम शुरू होने के साथ ही पार्टी को लगता है कि एक बड़ा ओबीसी का धड़ा पार्टी के साथ आएगा जिसके साथ कई बड़े चेहरे भी आएंगे. 

 

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