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BJP के ऑफर पर जयंत चौधरी का जवाब- मैं कोई चवन्नी नहीं जो पलट जाऊं

UP Elections 2022: जाट नेताओं से मुलाकात के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि अगर सपा और आरएलडी की सरकार बनी तो अखिलेश की चलेगी, आरएलडी की नहीं. उन्होंने कहा था कि जयंत ने गलत घर चुन लिया.

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जयंत चौधरी
जयंत चौधरी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • जयंत चौधरी ने कहा- 700 किसान परिवारों को न्योता दे भाजपा
  • अमित शाह ने दिल्ली में जाट नेताओं से मुलाकात की थी

उत्तर प्रदेश चुनाव के बीच तीखी बयानबाजी जारी है. बीजेपी गठबंधन में शामिल होने के अमित शाह के ऑफर पर आरएलडी चीफ जयंत चौधरी का बयान आया है. उन्होंने कहा- 'मैं कोई चवन्नी नहीं कि पलट जाऊं'.

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जयंत चौधरी ने भाजपा के गठबंधन में शामिल होने के ऑफर पर कहा कि भाईचारे से किसी को एलर्जी नहीं है. लेकिन ये लोग तब कहां थे, जब किसानों को लाठियां पड़ रही थीं. उन्होंने कहा कि भाजपा को पहले उन 700 परिवारों को यह न्योता देना चाहिए, जिनका परिवार किसान आंदोलन के बीच उजड़ गया. 

इससे पहले बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिमी यूपी के जाट नेताओं के साथ बैठक की थी. इसके बाद उन्होंने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रहे जयंत चौधरी को इशारों में बीजेपी गठबंधन में शामिल होने का ऑफर दिया था. अमित शाह ने कहा था कि अगर सपा और आरएलडी की सरकार बनी तो अखिलेश की चलेगी, आरएलडी की नहीं. आप लोग बड़े बुजुर्ग हो, कुछ भी हो बालियान के साथ मेरे घर पर आ जाना. मुझे डांट लेना पर वोट भाजपा को देना. मैं फिर कहता हूं कि जयंत ने गलत घर चुन लिया, अभी कुछ नहीं हो सकता. लेकिन 2024 के लिए उन्हें आप जरूर समझाइए. अगर झगड़ा है तो आपस में बैठकर सुलझा लेंगे, बाहर से किसी को क्यों बुलाना.

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जाट समुदाय के लोग जयंत से बात करेंगे- संजीव बालियान

बैठक में केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने कहा था कि जाट बिरादरी नहीं चाहती कि अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बनें. वहीं, सांसद परवेश वर्मा ने कहा था कि जयंत चौधरी ने गलत रास्ता चुना है. हम जयंत चौधरी का बीजेपी में स्वागत करना चाहते थे, लेकिन उन्होंने गलत रास्ता चुन लिया. जाट समुदाय के लोग उनसे बात करेंगे. उनके लिए हमारा दरवाजा हमेशा खुला है. 

पश्चिमी यूपी में 17 फीसदी जाट वोटर्स

अमित शाह ने बुधवार को सांसद परवेश वर्मा के घर पर बैठक की थी. बता दें कि पश्चिमी यूपी में 17 फीसदी जाट हैं. यहां 45 से 50 सीट ऐसी हैं, जहां जाट वोटर ही जीत-हार तय करते हैं, लेकिन करीब एक साल तक चले किसान आंदोलन के कारण जाट वोटर्स बीजेपी से दूर जा सकते हैं. यही कारण है कि अमित शाह ने जाट समुदाय के ढाई सौ से ज्यादा नेताओं को मुलाकात की. 

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