फिल्म "पुष्पा" का एक डायलॉग इन दिनों लोगो के सिर चढ़कर बोल रहा है. इसकी लाइनें कुछ इस तरह है, "पुष्पा जानकर फ्लावर समझा क्या मैं फायर है". इसी के तर्ज पर जिस "पुष्पा" को फ्लावर समझकर भाजपा ने टिकट काट दिया था, अब वही "फायर" बन कर बसपा से चुनाव के मैदान में कूद गयी हैं. हम बात कर रहे हैं देवरिया जिले के रामपुर कारखाना विधानसभा सीट से भाजपा की बागी और बसपा प्रत्याशी पुष्पा शाही की. जब वह टिकट लेकर अपने विधानसभा रामपुर कारखाना के बड़हरा चौराहे पर पहुंची तो बसपाईयों ने उनका जोरदार स्वागत किया.
इस मौके पर पुष्पा शाही ने बताया कि बहन मायावती ने एक महिला का दर्द समझा और टिकट दिया. रोते हुए पुष्पा शाही ने भाजपा पर टिकट न देकर अन्याय करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस बार वह जीत दर्ज कर विधानसभा में पहुंचने का काम करेंगी.
गौरतलब है कि पुष्पा शाही के पति गिरजेश उर्फ गुड्डू शाही रामपुर कारखाना विधानसभा जबसे बना (2012 में विधानसभा का गठन हुआ था) अर्थात 2012 में निर्दलीय लड़कर 44 हजार 687 मत पाकर दूसरे स्थान पर रहे. वहीं 2017 में वे निर्दलीय लड़े तो 41 हज़ार 814 मत पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे. 2019 का समय आया तो गिरजेश शाही भाजपा में ये सोचकर शामिल हुए कि 2022 में भाजपा उन्हें रामपुर कारखाना से अपना उम्मीदवार बनाएगी.
गिरजेश ने अपनी पत्नी पुष्पा के लिए टिकट की मांग की थी लेकिन सूची आयी तो इनका नाम न होकर सुरेंद्र चौरसिया का नाम था, जिसके बाद गिरजेश शाही ने अपने गांव नौतन में अपने समर्थकों को इकट्ठा किया. यहां पुष्पा लोगों के बीच फूट-फूट कर रोईं थी. इस दौरान इनके समर्थकों ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की नसीहत दी. वह तैयारी करने में जुट गये और बसपा से टिकट की मांग करने लगे लेकिन बसपा ने यहां से सन्देश उर्फ मिस्टर यादव को टिकट दे दिया. लेकिन पुष्पा ने हार नहीं मानी और मायावती से टिकट के लिए प्रयासरत रहीं. अंततः बसपा ने सन्देश का टिकट काटकर पुष्पा को अपना उम्मीदवार बना दिया है.
आपको बता दे कि रामपुर कारखाना विधानसभा सीट पर सपा से 2012 में विधायक रहीं गजाला लारी चुनाव लड़ रही हैं, तो भाजपा से सुरेंद्र चौरसिया और अब भाजपा बागी पुष्पा की एंट्री बसपा से हो गयी है. अब यहां लड़ाई त्रिकोणात्मक हो गयी है. देखने से लग रहा है कि जो भी लड़ेगा वह अब बसपा की उम्मीदवार पुष्पा शाही से ही लड़ेगा.