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UP चुनाव: OBC नेताओं के लगातार BJP छोड़ने से बने माहौल को तोड़ने के लिए पार्टी ने बनाई रणनीति

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान, धर्म सिंह सैनी का मंत्री पद से इस्तीफा और आधा दर्जन ओबीसी विधायकों के छोड़ने से बन रहे माहौल को तोड़ने के लिए बीजेपी ने खास प्लान बनाया है. बीजेपी अपने और दोनों सहयोगी दल के ओबीसी चेहरे के साथ-साथ दलित नेताओं का मोर्चे पर लगाने का प्लान बनाया है.

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योगी आदित्यनाथ, अमित शाह, केशव मौर्य
योगी आदित्यनाथ, अमित शाह, केशव मौर्य
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बीजेपी लगातार छोड़ रहे ओबीसी नेता
  • केशव मौर्य को फिर से बीजेपी करेगी आगे

उत्तर प्रदेश में ओबीसी नेता जिस तरह से लगातार बीजेपी छोड़ रहे हैं, उससे पार्टी की चिंताएं बढ़ गई हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान, धर्म सिंह सैनी का मंत्री पद से इस्तीफा और आधा दर्जन ओबीसी विधायकों के छोड़ने से बीजेपी खिलाफ बन रहे माहौल को तोड़ने के लिए खास प्लान बनाया है. बीजेपी अपने और दोनों सहयोगी दल के ओबीसी चेहरे के साथ-साथ दलित नेताओं को आगे कर पहले सपा के सियासी चक्रव्यूह को तोड़ने और फिर उसके बाद आक्रमक तरीके से हिंदुत्व को धार देने की रणनीति बनाई गई है.  

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बीजेपी ने काउंटर करने का बनाया प्लान 

यूपी में मची ओबीसी नेताओं की भगदड़ से बन रहे सियासी माहौल को तोड़ने के लिए बीजेपी ने गैर-यादव ओबीसी नेता के तौर पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, अपना दल (एस) की अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल और निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद जैसे नेताओं को आगे करके मैदान में मोर्चा संभालने की रणनीति बनाई है. दिल्ली में बीजेपी कोर कमेटी की बैठक के बाद केशव प्रसाद मौर्य ही पत्रकारों को संबोधित करने के लिए आगे आए थे. बीजेपी ने इस तरह संकेत देना शुरू कर दिया है. 

दरअसल, बीजेपी केशव प्रसाद मौर्य को अब मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं घोषित कर सकती, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह पहले ही योगी आदित्यनाथ का नाम ले चुके हैं. योगी के अगुवाई में चुनाव लड़ने का फैसला भी पार्टी कर चुकी है, लेकिन केशव मौर्य को भी साथ में आगे रखने का प्लान बनाया है ताकि हिंदुत्व के साथ-साथ ओबीसी को साधा जा सके.

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केशव मौर्य को फिर से आगे बढ़ाएगी पार्टी

सूत्रों की मानें तो बीजेपी सूबे के ओबीसी वोटबैंक को संदेश देने के लिए डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को मौर्य समाज के बाहुल वाली सीट फाफामऊ से चुनाव लड़ाने की भी तैयारी कर रही है. इसी इलाके से पार्टी छोड़ने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य भी आते हैं. फाफामऊ सीट की सीमा स्वामी प्रसाद का गृह क्षेत्र से लगती है. इस तरह से मौर्य समाज के वोटबैंक को सपा में जाने के रोकने का प्लान है. हालांकि, बीजेपी छोड़ रहे ओबीसी नेताओं को रोकने के लिए केशव प्रसाद मौर्य लगातार ट्वीट कर अपील भी कर रहे हैं. यह भी बीजेपी की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. 

केशव के साथ अन्य OBC नेता संभालेंगे मोर्चा

केशव मौर्य के साथ-साथ बीजेपी अपने दूसरे अन्य ओबीसी नेताओं को भी आगे करेगी, जिनमें कुर्मी समाज और लोध समाज के नेता भी शामिल हैं. इसके अलावा अति पिछड़ा समाज के कुछ नेताओं को भी अहमियत देने की रणनीति है. यही वजह है बीजेपी ने अपने सहयोगी अपना दल (एस) को पिछली बार से ज्यादा सीटें इस बार दे रही है और संजय निषाद की पार्टी को भी अच्छी खासी सीटें मिल सकती हैं. इस तरह से दोनों ओबीसी आधार वाले सहयोगी दलों को सियासी अहमियत देकर सूबे के ओबीसी वोटबैंक का साधे रखने का प्लान है. 

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ओबीसी विधायकों को देगी टिकट

सूत्रों की मानें तो बीजेपी यूपी में ओबीसी नेताओं के टिकट को काटने के बजाय उनकी सीट बदलने की दिशा में रणनीति बना रही है. इसके अलावा जिन नेताओं का टिकट काटा जा रहा है, उन्हें पार्टी से जोड़े रखने के लिए आश्वासन दिया जा रहा है. साथ ही बीजेपी-आरएसएस संयुक्त रूप से जमीन पर काम करेगा और सपा के ओबीसी कार्ड के जवाब में पीएम मोदी, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के नाम को उदाहारण के तौर पर रखने का आदेश दे दिया गया है.

ओबीसी क्रीमीलेयर सीमा बढ़ाने का दांव

केंद्र की मोदी सरकार ओबीसी आरक्षण के लिए क्रीमीलेयर की सीमा को आठ लाख से बढ़ाकर 12 लाख करने की तैयारी में है. अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की क्रीमी लेयर के लिए इनकम लिमिट को बढ़ाकर, चुनाव से पहले बड़ा सियासी संदेश देने की रणनीति है. यह कदम ओबीसी वोटों के लिए बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकता है. बीजेपी केंद्र की सत्ता में जब से आई है तब से लगातार क्रीमी लेयर की लिमिट बढ़ाने का काम चल रही है.

दलित नेताओं को भी आगे कर रही बीजेपी

बीजेपी ने अपने दलित नेताओं को स्वामी प्रसाद और उनके साथ गए नेताओं को काउंटर करने के लिए मोर्चे पर लगा दिया है. इसी कड़ी में बाराबंकी से बीजेपी सांसद उपेंद्र सिंह रावत ने कहा है कि बीजेपी कभी पिछड़ा और दलित विरोधी नहीं रही है, पार्टी छोड़कर जाने वाले नेता जो यह कह रहे हैं कि वह सरासर गलत है. ये दलित-पिछड़े समाज के हितैशी नहीं बल्कि मौका परस्त लोग हैं. 

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पिछड़ों को साधने के अलावा पार्टी की नजर अब बसपा के दलित वोट बैंक पर है. बीजेपी ने अब अपनी रणनीति में बदलाव किया है. पहले पार्टी गैर जाटव वोटों पर ही ज्यादा फोकस कर रही थी, लेकिन अब सभी दलितों को साधने का प्लान है. यूपी में बसपा की कमजोरी और सपा-आरएलडी गठबंधन के काउंटर में जाटव वोटों करने के लिए लिए आगे करेगी. बीजेपी और सपा के बीच होती लड़ाई में जाटव वोटर उसके पाले में आ सकता है. इसके लिए पार्टी नेता दलित बस्तियों में जाकर बताएंगें कि मोदी और योगी सरकार की योजनाओं का लाभ दलित और पिछड़े तबके को मिल रहा है.  

बीजेपी का घर-घर अभियान से साधेगा प्लान

बीजेपी ने यूपी में घर-घर संपर्क अभियान शुरू कर दिया है. इसके साथ ही पार्टी पिछड़ों और दलितों को लेकर अलग मुहिम छेड़ने जा रही है. बीजेपी अपने सभी दलित और ओबीसी नेताओं और मंत्रियों को मोर्चे पर लगाने का फैसला किया है ताकि सपा के सियासी चक्रव्यूह को तोड़ा जा सके. इसके अलावा योगी आदित्यनाथ के जरिए हिंदुत्व के वोट को सहेजना का काम होगा, जिसके लिए उन्हें अयोध्या सीट से चुनाव लड़ाने की तैयारी चल रही हैं. लेकिन उससे पहले ओबीसी नेताओं को एकजुट कर अपनी पुरानी सोशल इंजीनियरिंग को मजबूत करने की रणनीति है. 

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उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सत्ता की वापसी में ओबीसी वोटों की अहम भूमिका रही हैं, जिनमें खासकर गैर-यादव ओबीसी के जातियों की. 2017 में बीजेपी टिकट पर 101 ओबीसी विधायक चुने गए थे. बीजेपी में एकसाथ दो मौर्य नेताओं की मौजूदगी पार्टी के आधार को मजबूत करने के लिए काफी थी. इसके अलावा अन्य पिछड़ी उपजातियों के नेता भी बीजेपी के लिए ट्रंप कार्ड साबित हुए थे. इसलिए बीजेपी ने ओबीसी नेताओं के जरिए भी सपा के प्लान को ध्वस्त करने की रणनीति बनाई है.


 

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