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UP: BSP नेता का राजनीति से संन्यास, युवा बेटे को अखिलेश को किया सुपुर्द

इन दिनों बीएसपी के कद्दावर नेता माने जाने वाले आज़मगढ़ के दीदारगंज से विधायक और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर (Sukhdev Rajbhar) द्वारा सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने का मामला सुर्खियों में बना है.

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दीदारगंज से बसपा विधायक सुखदेव राजभर. (फाइल फोटो)
दीदारगंज से बसपा विधायक सुखदेव राजभर. (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सुखदेव राजभर के बेटे ने की लेटर की पुष्टि
  • बेटे कमलकांत को टिकट ना मिलने से नाराज हैं सुखदेव
  • मुन्ना सिंह को मिल सकता है बीएसपी से टिकट

एक तरफ 2022 विधानसभा चुनाव को लेकर बहुजन समाज पार्टी (BSP) ब्राह्मण सम्मेलन कर रही है और अपने पक्ष में माहौल बनाने की कवायद में जुटी है. वहीं, दूसरी तरफ इन दिनों बीएसपी के कद्दावर नेता माने जाने वाले आज़मगढ़ के दीदारगंज से विधायक और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर (Sukhdev Rajbhar) द्वारा सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने का मामला सुर्खियों में बना है.

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सुखदेव राजभर ने एक पत्र लिखकर राजनीति से संन्यास लेने का ऐलान किया है साथ ही अपने बेटे कमलाकांत राजभर को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को सुपुर्द किया है.

लेकिन सुखदेव राजभर के इस लेटर को लेकर अब कई सवाल उठाए जा रहे हैं. बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर ने एक बयान जारी करते हुए इस लेटर पर सवाल उठाते हुए आपत्ति जाहिर की है. जिसमें कहा गया है कि सुखदेव राजभर डायलिसिस पर हैं और बेहद बीमार हैं. उन्होंने कहा है कि कुछ स्वार्थी लोग अपने लाभ के लिए विपक्षियों की गोद में बैठ कर इस तरह का कृत्य कर रहे हैं. जिसका वह खंडन करते हैं और राजभर समाज उनके साथ मजबूती से जुड़ा है इसका वह दावा करते हैं.

बेटे को टिकट ना मिलने से नाराज हैं सुखदेव!

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दरअसल, इस तरह के चल रहे वाद विवाद और लेटर के पीछे मुख्य वजह दीदारगंज विधानसभा से आने वाले 2022 चुनाव में टिकट को लेकर बताया जा रहा है. चर्चा है कि सुखदेव राजभर अस्वस्थ होने के कारण अपने बेटे कमला कांत राजभर को टिकट दिलाना चाहते थे.जिसको लेकर पार्टी हाईकमान ने मना कर दिया. उधर इस विधानसभा पर भूपेंद्र वीर सिंह उर्फ मुन्ना सिंह का नाम तेजी से सामने आया है जिनको दीदारगंज से टिकट देने की बात कही जा रही है.

बताया जा रहा है कि इसी बात से नाराज होकर सुखदेव राजभर ने सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने की बात कही है. साथ ही साथ उन्होंने बहुजन समाज पार्टी पर सवालिया निशान उठाया है और आरोप लगाया है कि बहुजन समाज पार्टी अपने मिशन से भटक गई है.

पार्टी पर लगाया मिशन से भटकने का आरोप

सुखदेव राजभर ने यह भी आरोप लगाया है कि पार्टी स्वार्थी किस्म के लोगों से घिर गई है. जिस मूवमेंट को लेकर पार्टी की शुरुआत हुई थी, वह अपने मूल्यों को भूल गई है. लिहाजा यह फैसला लिया गया है कि मेरे बेटे का भविष्य बहुजन समाज पार्टी में ना होकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ है. इसलिए अब बसपा का साथ छोड़ सपा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने का फैसला लिया गया है और उन्हें सुपुर्द किया गया है.

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एक तरफ जहां बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर सुखदेव राजभर के इस पत्र को नकार रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ जब इन सारी बातों की सच्चाई जानने के लिए सुखदेव राजभर के पुत्र कमला कांत राजभर से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि लेटर की बातें सत्य है. काफी दिनों से बीमार चल रहे पिताजी को देखने ना तो चार-पांच महीने से प्रदेश अध्यक्ष ही आए और ना ही पार्टी के तरफ से कोई सुध ली गई.

 

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