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UP Cabinet Expansion: सामाजिक संतुलन के साथ सियासी समीकरण साधने की कोशिश!

UP Cabinet Expansion: जितिन प्रसाद को छोड़ दें तो बाक़ी 6 मंत्री बीजेपी की चुनावी रणनीति का भी संकेत दे रहे हैं जिसके तहत पार्टी इस चुनाव में अति पिछड़े और दलित जातियों पर भरोसा कर रही है.

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सीएम योगी आदित्यनाथ
सीएम योगी आदित्यनाथ
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पितृपक्ष में योगी कैबिनेट का विस्तार
  • 10 जातियों को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश

योगी सरकार का बहुप्रतीक्षित कैबिनेट विस्तार रविवार शाम को हो गया. हाल ही में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले जितिन प्रसाद कैबिनेट मंत्री बने तो पलटू राम, छत्रपाल गंगवार, संगीता बिंद, धर्मवीर प्रजापति, दिनेश खटिक और संजीव कुमार ने भी मंत्री पद की शपथ ली.

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सबसे बड़ी बात ये है कि जितिन प्रसाद को छोड़ दें तो बाक़ी 6 मंत्री बीजेपी की चुनावी रणनीति का भी संकेत दे रहे हैं जिसके तहत पार्टी इस चुनाव में अति पिछड़े और दलित जातियों पर भरोसा कर रही है. हालांकि रैली-आयोजनों में भी मुहूर्त देखने वाली बीजेपी ने चुनाव में ज़्यादा समय न होने की वजह से पितृपक्ष में ही शपथ समारोह का आयोजन कर मंत्रियों को शपथ दिलवा दी.

पितृपक्ष में योगी सरकार का विस्तार

विस्तार ऐसे समय में हुआ है जब नए मंत्रियों के लिए कामकाज का कोई समय नहीं बचेगा. पर पार्टी ने लंबे समय के क़यास के बाद आख़िर मंत्रिमंडल विस्तार का फैसला कर लिया. योगी मंत्रिमंडल का आख़िरी विस्तार पितृपक्ष में हुआ. इससे पहले 21 सितम्बर 1997 को कल्याण सिंह ने तब पितृपक्ष में ही शपथ ली थी जब मायावती से पॉवर शेयरिंग के तहत 6 महीने पूरे होने पर कल्याण सिंह भाजपा की तरफ से सीएम बने थे.

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वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्रा कहते हैं, ‘बीजेपी खुद को परम्परा और सनातन संस्कृति का वाहक मानती है. पर चुनाव को देखते हुए पितृपक्ष में ही जातियों को संदेश देने के लिए विस्तार करवा दिया.’ साथ ही योगेश मिश्र ये भी सवाल उठाते हैं कि ‘बीजेपी majority politics’ करती रही है. ऐसे में जाति आधारित राजनीति में उतरने की कोई ज़रूरत नहीं थी. लेकिन चुनाव के वक़्त इस विस्तार से ये बताने की कोशिश की गयी है कि बीजेपी इन पिछड़ी और दलित जातियों को महत्व देती है.’ 

10 जातियों को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश

बीजेपी ने सामाजिक संतुलन साधने का संदेश दिया तो मिशन 2022 से पहले सियासी समीकरण दुरुस्त करने की भी कोशिश की. रविवार को ही राज्यपाल को विधान परिषद के लिए भेजे गए नामों में भी सामाजिक संतुलन और सियासी समीकरण को एक साथ साधने की क़वायद दिखी. मंत्रिमंडल विस्तार और एमएलसी के नामों के ज़रिए बीजेपी ने 10 जातियों को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की.

वरिष्ठ पत्रकार बृजेश शुक्ल कहते हैं, ‘अब चुनाव क़रीब हैं तो बीजेपी ने उन जातियों को साधने की कोशिश की है जिन पर पार्टी की हमेशा से नजर रही है. ताकि समीकरण को ठीक किया जा सके.’

बीजेपी का सियासी संदेश

हालांकि बीजेपी के उपाध्यक्ष विजय पाठक का कहना है कि बीजेपी अपने कार्यकर्ताओं को महत्व देती है. इसकी बानगी इस विस्तार में भी मिल रही है. पलटू राम हो या संगीता बिंद या फिर धर्मवीर प्रजापति, छत्रपाल गंगवार सब बीजेपी कार्यकर्ता हैं. दिनेश खटिक जैसे ज़मीनी कार्यकर्ता भी हैं. वो कार्यकर्ता जो पार्टी के लिए काम करते हैं. बीजेपी ने हमेशा ऐसे लोगों को सम्मान दिया है. विजय बहादुर पाठक आगे कहते हैं ‘ इन जातियों के लिए बीजेपी आज से नहीं काम कर रही है, हमारा तो नारा ही है, सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास.... और हम सबको साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं.’

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