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UP Election: यूपी चुनाव में सीट ही नहीं खानदानी साख भी दांव पर, नेताओं के इन बेटे-बेटियों के सामने है चैलेंज

UP election news: यूपी चुनाव के पहले चरण की आधा दर्जन से ज्यादा सीटों पर पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज नेताओं के बेटे-बेटियां किस्मत आजमा रहे हैं, जिनके सामने अपनी सीट जीतने के साथ-साथ परिवार की सियासी विरासत को बचाने की चुनौती है. इनमें राजनाथ सिंह, कल्याणा, चौधरी मुनव्वर हसन से लेकर हुकुम सिंह तक के परिवार शामिल हैं.

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पंकज सिंह, नाहिद हसन, संदीप सिंह, पंकज मलिक
पंकज सिंह, नाहिद हसन, संदीप सिंह, पंकज मलिक
स्टोरी हाइलाइट्स
  • चरण चरण की विरासत के लिए कई सीटों पर जंग
  • तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों के परिवार की साख दांव पर
  • कैराना-चरथावल सीट पर दो परिवारों के बीच लड़ाई

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP election 2022) के पहले चरण में 11 जिलों की 58 सीटों पर कुल 623 प्रत्याशी मैदान में किस्मत आजमा रहे  हैं. इस चरण में कई दिग्गज नेताओं के बेटे-बेटियां भी चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में किसी के सामने अपने दादा की विरासत बचाने की चुनौती है तो किसी के सामने अपने पिता की राजनीतिक साख को बरकरार रखने की चिंता है. पहले चरण में यूपी के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों के परिवार की साख दांव पर लगी है तो कई सांसद और पूर्व मंत्री के बेटे भी ताल ठोक रहे हैं. 

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आरएलडी के प्रमुख जयंत चौधरी (Chaudhary Jayant Singh RLD) भले ही खुद चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, लेकिन पार्टियों के प्रत्याशी के जरिए वो अपने दादा पूर्व प्रधानमंत्री व यूपी के सीएम रहे चौधरी चरण सिंह और पिता चौधरी अजित सिंह की विरासत बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं.

वहीं, नोएडा सीट से चुनावी मैदान में उतरे पंकज सिंह के सामने अपने पिता यूपी के पूर्व सीएम और केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की सियासी साख मजबूत बनाए रखने की चुनौती है. ऐसे ही यूपी के दो बार मुख्यमंत्री रहे बीजेपी के दिग्गज नेता कल्याण सिंह के पोते संदीप सिंह के सामने भी अपने दादा और पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की फिक्र है. 
 
कल्याण सिंह के पोते किस सीट लड़ रहे हैं चुनाव?

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के दिग्गज नेता कल्याण सिंह की तीसरी पीढ़ी सियासी मैदान में है. अलीगढ़ जिले की अतरौली विधानसभा सीट से दूसरी बार चुनाव लड़ रहे संदीप सिंह पूर्व सीएम कल्याण सिंह के पोते और एटा के मौजूदा सांसद राजवीर सिंह के बेटे हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में पहली बार अतरौली सीट से उतरे और जीतकर विधानसभा पहुंचे. योगी सरकार में उन्होंने वित्त, चिकित्सा शिक्षा व तकनीकी शिक्षा राज्यमंत्री का पद संभाला और अब दूसरी बार इसी सीट से किस्मत आजमा रहे हैं. 

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अतरौली सीट पर बीजेपी उम्मीदवार संदीप सिंह के सामने सपा ने वीरेश यादव को उतारा है तो बसपा से प्रत्याशी ओमवीर सिंह मैदान में है. कांग्रेस से धर्मेंद्र कुमार किस्मत आजमा रहे हैं. इस बार के चुनाव में सपा का आरएलडी से गठबंधन है. ऐसे में संदीप सिंह के लिए अपने दादा और पिता की सियासी विरासत को बचाने की चुनौती खड़ी है. ऐसे में देखना है कि इस सीट पर कौन बाजी मारता है. 

राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह की किस्मत दांव पर

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे चुके केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह नोएडा सीट से दूसरी बार चुनावी मैदान में उतरे हैं. पंकज सिंह के खिलाफ सपा ने सुनील चौधरी को उतारा है तो कांग्रेस ने पंखुड़ी पाठक और बसपा ने कृपाराम शर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया है. पंकज सिंह ने 2017 में नोएडा सीट से चुनावी पारी का आगाज किया था और एक लाख से ज्यादा वोटों से जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे थे, लेकिन इस बार उनके सामने विपक्षी दलों ने जबरदस्त तरीके से चक्रव्यूह रचा है. इस सीट पर ब्राह्मण वोटों के समीकरण को देखते हुए कांग्रेस और बसपा ने ब्राह्मण कार्ड खेला है तो बसपा ने गुर्जर प्रत्याशी उतारकर मुकाबले को रोचक बना दिया है. 

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पंकज मलिक के सामने पिता की साख बचाने का सवाल

पश्चिमी यूपी के मुजफ्फरनगर की चरथावल विधानसभा सीट से सपा के टिकट पर चुनाव में उतरे पंकज मलिक के सामने अपने पिता पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक की साख बचाने की चुनौती है. हरेंद्र मलिक पश्चिमी यूपी में जाट समुदाय के बड़े नेता माने जाते हैं और पंकज मलिक दो बार विधायक रह चुके हैं. मुजफ्फरनगर दंगे के चलते 2017 में हार गए थे, लेकिन इस बार कांग्रेस छोड़कर सपा से मैदान में हैं. पकंज मलिक के सामने बीजेपी से सपना कश्यप प्रत्याशी हैं तो कांग्रेस से यासमीन राणा किस्मत आजमा रही हैं. बसपा ने सलमान सईद को उतारा है, जो पूर्व सांसद और कांग्रेस नेता सईदुज्‍जमा के बेटे हैं. इस तरह से पंकज मलिक और सलमान सईद के बीच अपने-अपने पिता की सियासी विरासत को बचाने की चुनौती है.  

कैराना सीट पर बीजेपी और सपा प्रत्याशी के बीच मुकाबला

पश्चिमी यूपी के शामली जिले की कैराना विधानसभा सीट पर दो सियासी परिवार के राजनीतिक वारिसों के बीच सियासी जंग है. सपा ने नाहिद हसन को उतारा है, जिनके पिता मुनव्वर हसन से लेकर मां तबस्सुम हसन तक सांसद रहे हैं. वहीं, इसी सीट पर बीजेपी से मृगांका सिंह चुनावी मैदान में उतरी हैं, जो पूर्व सांसद हुकुम सिंह की बेटी हैं. मृगांका यहां से दो बार चुनाव हार चुकी हैं. एक बार नाहिद हसन ने मात दी थी तो एक बार उनकी मां ने हराया था. इस तरह एक बार फिर से दोनों नाहिद और मृगांका आमने-सामने हैं. कैराना सीट पर  बसपा प्रत्याशी राजेंद्र सिंह उपाध्याय और कांग्रेस प्रत्याशी हाजी अखलाक हैं. ऐसे में देखना है कि इस बार कौन सियासी बाजी मारता है. 

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बागपत सीट पर क्या नवाब परिवार का रुतबा बचेगा?

बागपत जिले में भले ही चौधरी चरण सिंह की सियासी तूती बोलती रही है, लेकिन बागपत विधानसभा सीट पर नवाब परिवार का कब्जा रहा है. नवाब परिवार के तीसरी पीढ़ी के अहमद हमीद बागपत सीट से आरएलडी के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे हैं. ऐसे में अहमद हमीद अपने दादा शौकत हमीद और पिता कोकब हमीद की सियासी विरासत वाली सीट पर जीत के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. इस सीट से कोकब हमीद पांच बार विधायक रहे हैं, लेकिन पिछले दो चुनाव से नवाब परिवार को मात खानी पड़ रही है. किसान आंदोलन के चलते इस बार रालोद को सियासी संजीवनी मिली है. जाट-मुस्लिम समीकरण के जरिए अहमद हमीद अपने पिता की सियासी विरासत को दोबारा से बनाने के लिए संघर्ष रहे हैं. 

बड़े भाई की विरासत के लिए पाने की जद्दोजहद

बुलंदशहर सदर सीट पर आरएलडी के टिकट से चुनावी मैदान में उतरते मोहम्मद युनूस के सामने अपने भाई मोहम्मद अली की सियासी विरासत को बरकरार रखने की चुनौती है. मो. अलीम इस सीट से दो बार लगातार विधायक रहे हैं और 2017 के चुनाव में बीजेपी लहर में उन्हें मात खानी पड़ी थी. हाजी अलीम का निधन हो गया है और उनके छोटे भाई मो. युनूस चुनावी मैदान में है. ऐसे में बीजेपी ने प्रदीप चौधरी को उतारा है तो कल्लू कुरैशी को प्रत्याशी बनाया है. कांग्रेस से इस सीट पर सुशील चौधरी मैदान में है. ऐसे में देखना है कि हाजी युनूस क्या अपने भाई की तरह विधानसभा पहुंचते हैं कि नहीं? 

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