उत्तर प्रदेश की सत्ता में वापसी के लिए समाजवादी पार्टी हरसंभव कोशिशों में जुटी है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सभी छोटे दलों के साथ गठबंधन के दरवाजे खोल दिए हैं. इस कड़ी में आम आदमी पार्टी के यूपी प्रभारी संजय सिंह ने बुधवार को अखिलेश यादव से मुलाकात कर गठबंधन पर चर्चा की. अखिलेश AAP सहित तमाम छोटे दलों का वेलकम तो कर रहे हैं, लेकिन असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्ताहादुल मुस्लिमीन पार्टी के लिए गठबंधन के दरवाजे बंद कर दिए हैं.
सपा ने छोटे दलों के लिए खोले दरवाजे
यूपी चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी अपने सियासी समीकरण दुरुस्त करने और राजनीतिक दलों के साथ गठजोड़ बनाने में जुटी है. इस कड़ी में सपा की ओमप्रकाश राजभर की पार्टी के बाद जयंत चौधरी की आरएलडी के साथ गठबंधन फाइनल करने के बाद अब आम आदमी पार्टी और अपना दल के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की बातचीत शुरू हो गई है. इतना ही नहीं सूबे के तमाम छोटे दलों को भी अखिलेश यादव अपने साथ मिलाने की मुहिम में जुटे हैं.
सपा नेता सुनील सिंह साजन ने कहा कि सपा लगातार छोटे दलों को साथ लेने की कोशिश कर रही है. 2022 के चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए सपा का दरवाजा सभी छोटे दलों के लिए खुला है. ऐसे में किस दल के साथ गठबंधन होगा इसे सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव तय कर रहे हैं.
ओवैसी की सपा गठबंधन में नो एंट्री
यूपी में ओवैसी की पार्टी को गठबंधन में लिए जाने के सवाल पर सुनील साजन ने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव साफ कर चुके हैं कि असदुद्दीन ओवैसी के साथ किसी तरह का कोई गठबंधन नहीं होगा. इससे साफ जाहिर है कि अखिलेश किसी भी सूरत में ओवैसी से हाथ मिलाने को तैयार नहीं हैं जबकि छोटे दलों के साथ लगातार सपा हाथ मिला रही है. यूपी में अभी तक सपा का आरएलडी, भारतीय सुहेलदेव समाज पार्टी, महान दल और जनवादी पार्टी के साथ गठबंधन तय है.
अखिलेश से मिले कृष्णा पटेल-संजय सिंह
वहीं, अब आम आदमी पार्टी और अपना दल के साथ अखिलेश यादव गठबंधन की बातचीत शुरू कर दी है. अपना दल की अध्यक्ष कृष्णा पटेल और आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने बुधवार को अखिलेश यादव से लखनऊ में मुलाकात की है. इस दौरान दोनों दलों के साथ गठबंधन पर करने पर चर्चाएं हुए हैं, जिसे संजय सिंह और कृष्णा पटेल दोनों ने आजतक से बातचीत में स्वीकार किया है. वहीं, अपना दल की नेता और कृष्णा पटेल की बड़ी बेटी ने भी साफ कर दिया है कि अपना दल का सपा के साथ गठबंधन तय हो गया है.
संजय सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश की सत्ता से बीजेपी को हटाने की रणनीति पर हम काम कर रहे हैं. इस संबंध में अखिलेश यादव से बातचीत हुई है, जिसमें बीजेपी के खिलाफ न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर चर्चा हुई है. अखिलेश यादव यूपी में बीजेपी के खिलाफ अंब्रेला गठबंधन बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं, जिसके लिए तमाम दलों के साथ बातचीत कर रहे हैं. हमारी बात अभी सपा से शुरू हुई है और जल्द ही इस दिशा में कोई फैसला किया जाएगा.
ओवैसी को साथ लेने से क्यों बच रही सपा?
दरअसल, असदुद्दीन ओवैसी को सपा इसलिए साथ लेने से बच रही है, क्योंकि बीजेपी को ध्रुवीकरण का मौका नहीं देना चाहते है. सपा अगर ओवैसी के साथ मैदान में उतरती तो उन पर भी मुस्लिम परस्त और कट्टरपंथी पार्टी के साथ खड़े होने का आरोप लगेगा. यही वजह है कि ओवैसी के साथ बिहार और पश्चिम बंगाल के बाद अब यूपी के विपक्षी दल भी हाथ मिलाने के तैयार नहीं हैं.
2014 के बाद से राजनीतिक पैटर्न बदल गया है. देश में अब बहुसंख्यक समाज केंद्रित राजनीति हो गई है और इस फॉर्मूले के जरिए बीजेपी लगातार चुनाव जीत रही है. असदुद्दीन ओवैसी की छवि एक मुस्लिम परस्त नेता के तौर पर है और उनके भाषण भी इसी तरह के हैं. ऐसे में उनके साथ हाथ मिलाने से बहुसंख्यक वोटर का ध्रुवीकरण होगा.
यूपी में सिर्फ मुस्लिम वोटों के सहारे सरकार नहीं बनाई जा सकती है. इसीलिए सूबे का कोई भी प्रमुख दल ओवैसी की पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करना चाहता. इसके अलावा हैदराबाद से बाहर ओवैसी ने जहां भी सियासी जगह बनाई है, वहां खुद की राजनीति के दम पर नहीं बल्कि किसी न किसी दल के सहारे जीत दर्ज की है.
महाराष्ट्र में प्रकाश अंबेडकर के साथ गठबंधन कर जीत दर्ज की और बिहार में उपेंद्र कुशवाहा और मायावती के सहारे. ऐसे ही गुजरात में भारतीय ट्राइबल पार्टी के साथ हाथ मिलाकर पार्षद की सीटें जीते हैं, लेकिन यूपी में अब उनके लिए सभी दलों ने दरवाजे बंद कर दिए हैं.