Aparna Yadav Joins BJP: दिल्ली भाजपा मुख्यालय में मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव बुधवार को भाजपा में शामिल हो गईं. इस दौरान भाजपा की ओर से ऐलान भी किया गया कि अब बीजेपी ने यादव परिवार के भीतर भी जड़ें जमा ली है, लेकिन क्या अपर्णा यादव का बीजेपी में जाना सपा को बड़ा नुकसान पहुंचाएगा? या अपर्णा बीजेपी के लिए कितनी महत्वपूर्ण साबित होंगी? ये 10 मार्च को ही पता चल पाएगा. चर्चा यह है कि अपर्णा लखनऊ कैंट से उम्मीदवार हो सकती हैं जहां से रीता बहुगुणा जोशी अपने बेटे के लिए टिकट चाहती थीं.
अपर्णा का भाजपा में जाना, न तो चौंकाता है और न ही इसे हैरतअंगेज फैसला कहा जा सकता है. दरअसल, ज्यादातर लोग जानते थे कि देर-सबेर अपर्णा बीजेपी में जाएंगी. ये सारी बातें पिछले 5 साल से यूपी की राजनीतिक गलियारों में घूम रही थी. अपर्णा का भाजपा से प्रेम और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से करीबी के बारे में सब जानते हैं. इसकी झलक तब दिखी थी, जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ के सरकारी गौशाला का निरीक्षण किया था और तब गौ सेवा के बहाने ही सही अपर्णा यादव ने अपनी नजदीकियां जता दी थी.
पिछले 5 सालों में अपर्णा समाजवादी पार्टी में तो बनी रही, लेकिन कभी अखिलेश यादव या उनके परिवार के नजदीक नहीं हो पाईं. अखिलेश के परिवार और अपर्णा के बीच एक अनकही दूरी बनी रही. यह दूरी तब भी दिखी थी जब 2017 चुनाव में मुलायम सिंह के कहने पर अपर्णा यादव को लखनऊ कैंट से टिकट मिला था. इसके बावजूद अपर्णा चुनाव हार गईं थीं, हालांकि अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने उनके लिए चुनाव प्रचार भी किया था.
पीएम मोदी की भी समय-समय पर प्रशंसा
अपर्णा यादव प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा भी समय-समय पर करती रहीं. फिर वह चाहे धारा 370 का मामला हो या फिर वह बालाकोट स्ट्राइक हो या फिर CAA. अपर्णा यादव पार्टी लाइन से अलग भाजपा के साथ-साथ पीएम मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ करती रहीं. हालांकि हमेशा मुलायम सिंह यादव का नाम लेकर अपर्णा ने कहा कि जो नेताजी की इच्छा होगी, वे वही करेंगी. समाजवादी पार्टी में भी अपर्णा के लिए सब कुछ मुलायम सिंह यादव ही थे, लेकिन इस बार जब उन्हें लगा कि टिकट नहीं मिल पाएगा तो अपर्णा यादव बीजेपी का दामन थामना ही बेहतर समझा.
पिछले 5 साल में न तो कोई काम मिला, न संगठन में कोई पद
समाजवादी पार्टी में रहते हुए पिछले 5 सालों तक अपर्णा यादव को कोई भी काम नहीं मिला था और ना ही संगठन का कोई पद. ऐसे में उनके बीजेपी में जाने की चर्चा बहुत पहले से ही थी. बीजेपी को राजनीतिक लाभ इतना जरूर होने जा रहा है कि बीजेपी एक परसेप्शन की लड़ाई लड़ रही है. पार्टी ने यादव परिवार के भीतर भी अपनी जड़ें गहरी कर ली हैं. अपर्णा यादव के अलावा मुलायम सिंह के साढू प्रमोद गुप्ता भी बीजेपी आ गए हैं और उन्होंने एक बार फिर अखिलेश यादव पर मुलायम सिंह को किनारे लगाने का आरोप लगाया है.
बड़ा सवाल है कि क्या बीजेपी को कोई सियासी फायदा होगा?
दरअसल, अपर्णा मुलायम सिंह के दूसरे बेटे प्रतीक यादव की पत्नी हैं. प्रतीक यादव सियासत से दूर रहते हैं और अपना बिजनेस संभालते हैं. ऐसे में मुलायम सिंह का सियासी विरासत सिर्फ अखिलेश यादव के पास था, इसलिए अपर्णा यादव के आने से बीजेपी को सिर्फ परसेप्शन का इतना फायदा होगा कि वह भी यादव परिवार में सेंध लगाने में सफल हुई लेकिन वोटों के ख्याल से यादव वोटों पर अपर्णा का कोई असर नहीं है. अपर्णा यादव की ज्वाइनिंग भले ही दिल्ली दफ्तर में हुई हो लेकिन उन्हें ज्वाइन कराने के दौरान यूपी भाजपा के बड़े चेहरे मौजूद थे. राष्ट्रीय नेतृत्व के बजाय प्रदेश नेतृत्व ने ही उन्हें दिल्ली में पार्टी की सदस्यता दिलाई है.
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